Last Updated:August 23, 2025, 10:13 IST
Sergio Gor : डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार जबसे अमेरिका की सत्ता संभाली है, अपने एजेंडे को हाइपरसोनिक रफ्तार से लागू करने में जुटे हैं. उनकी ओर से छेड़े गए टैरिफ वॉर से दुनिया भर में हलचल मची हुई है.

Sergio Gor : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत में नया अमेरिकी राजदूत नामित किया है. यह नियुक्ति केवल कूटनीतिक बदलाव भर नहीं मानी जा रही, बल्कि संकेत दे रही है कि आने वाले समय में भारत-अमेरिका रिश्तों का चरित्र और स्वरूप बदलने वाला है. सर्जियो गोर की छवि ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा के कट्टर समर्थक और डोनाल्ड ट्रंप के भरोसेमंद सहयोगी के रूप में रही है, जिससे यह स्पष्ट है कि अमेरिका अब भारत के साथ अपने रिश्तों को ज्यादा लेन-देन आधारित नजरिए से देखेगा.
1. लेन-देन आधारित कूटनीति का दौर
सर्जियो गोर को व्हाइट हाउस का ‘हार्डलाइन लॉयलिस्ट’ माना जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि उनकी नियुक्ति का अर्थ है कि अमेरिकी कूटनीति में लॉन्ग टर्म साझेदारी की जगह तात्कालिक अमेरिकी हितों को प्राथमिकता मिलेगी. यह भारत के लिए चुनौती होगी क्योंकि अब वार्ता में सहयोग से ज्यादा दबाव और शर्तें प्रमुख भूमिका निभा सकती हैं.
2. टैरिफ का दबाव और आर्थिक जोखिम
अमेरिका ने हाल ही में भारतीय टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण और तेल से जुड़े उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है. यह निर्णय भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों और लाखों नौकरियों पर खतरा बन गया है. जानकारों के मुताबिक, यह कदम केवल आर्थिक नहीं बल्कि रणनीतिक दबाव का हिस्सा है, जिससे भारत को रूस और चीन के साथ उसके बढ़ते व्यापार पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया जा सके. लेकिन इसका उलटा असर भी हो सकता है. भारत ने हाल के महीनों में मॉस्को और बीजिंग के साथ संबंध और मजबूत किए हैं, जो अमेरिकी प्रभाव को कमजोर कर सकते हैं.
3. जियो-पॉलिटिकल बैलेंस पर असर
सर्जियो गोर को राजदूत के साथ-साथ विशेष दूत की भूमिका भी सौंपी गई है. इसका मकसद भारत की भू-राजनीतिक दिशा को अमेरिकी हितों के अनुरूप ढालना है. लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि आक्रामक कूटनीतिक रणनीति से उल्टा असर हो सकता है और भारत रूस और चीन की ओर और ज्यादा झुक सकता है. इससे दक्षिण एशिया में अमेरिकी प्रभाव सीमित होने का खतरा है.
4. रक्षा, तकनीक और व्यापार में संभावनाएं
इसके बावजूद सर्जियो गोर का कार्यकाल कुछ अवसर भी ला सकता है. भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते को तेज गति मिलने की संभावना है. फार्मास्युटिकल्स, आईटी और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग गहरा सकता है. साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, ऊर्जा और रक्षा उत्पादन में निवेश व साझेदारी के नए रास्ते खुल सकते हैं. हालांकि, इन संभावनाओं को वास्तविकता में बदलने के लिए दोनों देशों को टकराव और तनाव से बचना होगा.
5. विदेश नीति का सीमित अनुभव
सर्जियो गोर की निष्ठा और प्रशासनिक क्षमता पर कोई सवाल नहीं है, लेकिन उनके पास विदेश नीति का प्रत्यक्ष अनुभव बेहद कम है. इससे अमेरिकी कूटनीतिक सर्कल और थिंक टैंकों में असहजता देखी जा रही है. राजनयिकों का मानना है कि यह नियुक्ति भारत के साथ संवाद को और जटिल बना सकती है.
5. निवेशकों और कारोबारी जगत के लिए चेतावनी
भारतीय वस्त्र, रत्न और तकनीक से जुड़े कारोबारी क्षेत्रों में निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ गया है. क्षेत्र-विशेष टैरिफ और अस्थिर कूटनीतिक वातावरण सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-अमेरिका रिश्तों में अगले कुछ महीने निवेश और व्यापार जगत के लिए बेहद अनिश्चित रहने वाले हैं.
कुल मिलाकर सर्जियो गोर की नियुक्ति भारत-अमेरिका संबंधों में संभावनाओं और जोखिमों दोनों का संकेत है. जहां एक ओर रक्षा और तकनीक में सहयोग के नए रास्ते खुल सकते हैं, वहीं लेन-देन आधारित अमेरिकी कूटनीति और ऊंचे टैरिफ भारत के लिए बड़ी चुनौतियां खड़ी कर सकते हैं.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 23, 2025, 10:13 IST