गंदी से गंदी लिखावट भी सुधर जाएगी, 1 महीने तक आजमाएं ये ट्रिक्स

1 hour ago

नई दिल्ली (How to Improve Child Handwriting Tips for Kids). कुछ बच्चों की लिखावट एकदम मोतियों जैसी होती है. उनका लिखा हुआ पढ़कर दिल खुश हो जाता है, लगता है कि जैसे पेन या पेंसिल से न लिखकर, सीधे टाइप किया हो. वहीं, कुछ बच्चों की लिखावट को समझना मुश्किल होता है. आपको अपने कॉमन सेंस से उनके अक्षरों को मिलाकर शब्द समझना पड़ता है. शिक्षकों को भी इन बच्चों की कॉपी चेक करने में काफी परेशानी होती है.

अगर आपके बच्चे की लिखावट खराब है तो इसके लिए उसे डांटने के बजाय आपको भी उसके साथ थोड़ी मेहनत करनी होगी (How to Improve Kids Handwriting). बच्चे की गंदी लिखावट को सुधारने के लिए धैर्य, अभ्यास और सही टेक्नीक्स की जरूरत होती है. इससे न सिर्फ उसकी लिखावट बेहतर होती है, बल्कि उसका आत्मविश्वास भी बढ़ता है. जानिए हैंडराइटिंग सुधारने के कुछ ऐसे टिप्स, जो 7-10 साल के बच्चे के लिए परफेक्ट हैं.

बच्चे की लिखावट खराब क्यों है?
बच्चे की लिखावट सुधारने से पहले आपको उसकी परेशानी समझने की जरूरत है. तभी आप उसकी मदद कर पाएंगे. जानिए बच्चे की लिखावट खराब होने की कुछ वजहें-

1- मोटर स्किल्स की कमी: छोटे बच्चों में फाइन मोटर स्किल्स (हाथ और उंगलियों की निपुणता) पूरी तरह विकसित नहीं होती है.
2- गलत पकड़: पेन या पेंसिल को गलत तरीके से पकड़ने से लिखावट खराब हो सकती है.
3- जल्दबाजी: बच्चे जल्दी लिखने की कोशिश में अक्षरों को सही आकार नहीं दे पाते.
4- अभ्यास की कमी: लेखन की रेगुलर प्रैक्टिस नहीं होने से भी लिखावट बिगड़ जाती है.
5- दृष्टि या अन्य समस्याएं: कभी-कभी दृष्टि की कमजोरी या डिस्ग्राफिया जैसी लर्निंग डिसएबिलिटी भी इसका कारण हो सकती है.

पहला कदम: बच्चे की लिखावट की समस्याओं का कारण समझें. उदाहरण के लिए, क्या वह जल्दबाजी करता है या पेंसिल ठीक से नहीं पकड़ता है?

बेसिक टेक्नीक्स पर करें फोकस
अब जब आप बच्चे की खराब लिखावट का कारण समझ गए हैं तो उसे सुधारने के तरीकों पर फोकस कर सकते हैं. इसके लिए एकदम बेसिक से शुरू करें-

1- सही पकड़ (Grip): बच्चे को त्रिकोणीय पेंसिल या ग्रिपर वाली पेंसिल दें, जो सही पकड़ को बढ़ावा देती है. उसे सिखाएं कि पेंसिल को अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा उंगली से हल्के दबाव के साथ पकड़ा जाता है. पकड़ न तो बहुत टाइट हो और न ही बहुत ढीली.

2- खेल-खेल में अभ्यास: उसे चॉपस्टिक से छोटी चीजें (जैसे मूंगफली) उठाने को कहें, इससे उंगलियों की पकड़ मजबूत होगी.

3- बैठने की सही मुद्रा: बच्चे को सीधे बैठने और मेज पर कोहनियां टिकाने की आदत डालें. कुर्सी और मेज की ऊंचाई ऐसी हो कि पैर जमीन पर सपाट रहें और पीठ सीधी हो.

4- उचित कागज और पेन/पेंसिल: छोटे बच्चों के लिए मोटी पेंसिल या क्रेयॉन बेहतर हैं क्योंकि इन्हें पकड़ना आसान होता है. चार लाइन वाली कॉपी (प्राइमरी क्लास वाली) का इस्तेमाल करें. इससे अक्षरों का आकार और अलाइनमेंट सही रहेगा.

मोटर स्किल्स कैसे ठीक करें?
लिखावट सुधारने के लिए उंगलियों और कलाई की मांसपेशियों को मजबूत करना जरूरी है. लोग मानते नहीं हैं लेकिन इससे भी राइटिंग बेहतर होती है. इसके लिए इन एक्टिविटीज की मदद ले सकते हैं-

1- प्ले-डोह (आटा गूंथना): बच्चे को आटे से आकृतियां बनाने के लिए कहें. इससे उंगलियों की ताकत बढ़ती है.

2- कैंची से काटना: रंगीन कागज पर लाइन बनाएं, फिर बच्चे से उसे काटने के लिए कहें.

3- बीड्स थ्रेडिंग: मोतियों को धागे में पिरोने की एक्टिविटी उंगलियों की निपुणता बढ़ाती है.

4- पेंटिंग या ड्रॉइंग: उंगली से पेंटिंग, स्केचिंग या ट्रेसिंग करने से हाथ का कंट्रोल बेहतर होता है.

5- गेम्स: लेगो, ब्लॉक बिल्डिंग या छोटे खिलौनों से खेलना भी मददगार साबित हो सकता है.

टिप: इन एक्टिविटीज को बच्चे के सामने खेल की तरह प्रेजेंट करें. इससे उसे यह पढ़ाई का हिस्सा या बोझ नहीं लगेगा.

राइटिंग प्रैक्टिस को बना दें मज़ेदार
लिखावट सुधारने के लिए रेगुलर प्रैक्टिस करना जरूरी है, लेकिन इसे बच्चे के लिए रोचक बनाना भी उतना ही जरूरी है. इसके लिए जानिए टिप्स-

1- लेटर ट्रेसिंग: बच्चे को ट्रेसिंग बुक या वर्कशीट्स दें, जहां वह पहले से लिखे अक्षरों पर लिखकर प्रैक्टिस कर सके.

2- सैंड/चावल ट्रे: एक ट्रे में रेत या चावल डालें और बच्चे को उंगली से अक्षर लिखने को कहें. यह मजेदार और इफेक्टिव एक्टिविटी है.

3- स्लेट और चॉक: छोटी स्लेट पर चॉक से लिखने का अभ्यास कराएं. बच्चे इसे पसंद करते हैं.

4- कहानी लिखना: बच्चे को छोटी कहानियां या अपने पसंदीदा कार्टून के बारे में कुछ वाक्य लिखने के लिए कहें.

5- रंगीन पेन: अलग-अलग रंगों के पेन या मार्कर का इस्तेमाल करें. इससे लेखन में रुचि बढ़ेगी.

5- लेटर साइज गाइड: चार लाइन वाली कॉपी में पहले बड़े अक्षर लिखवाएं, फिर धीरे-धीरे आकार छोटा करें. इससे वह दोनों तरह से लिखने में एक्सपर्ट बन जाएगा.

उदाहरण: अपने बच्चे से कहें कि वह अपने पसंदीदा सुपरहीरो का नाम बार-बार लिखे या उसकी फोटो रील के लिए एक छोटा सा नोट लिखे. इससे उसे एक्टिविटी में मजा आने लगेगा.

प्यार और धैर्य से करें शुरुआत
बच्चे की हैंडराइटिंग सुधारने से पहले आपको भी यह समझना होगा कि बदलाव एक दिन में मुमकिन नहीं है. इसके लिए उसे समय दें और बार-बार डांटें या टोकें नहीं.

1- जल्दबाजी न करें: बच्चे को बार-बार टोकने या सुधारने से बचें. इससे उसका आत्मविश्वास कम हो सकता है.

2- छोटे लक्ष्य: शुरुआत में एक दिन में 5-10 मिनट का लेखन अभ्यास काफी है. धीरे-धीरे समय बढ़ाएं.

3- तारीफ करें: अच्छे अक्षरों की तारीफ करें, भले ही छोटी सी प्रोग्रेस हो. उदाहरण: ‘वाह, तुमने ‘अ’ तो बहुत सुंदर लिखा है!’

4- इनाम दें: बच्चे के अच्छे प्रयास के लिए उसे स्टिकर, उसका पसंदीदा स्नैक या छोटा गिफ्ट दें.

टिप: अपने बच्चे के साथ मजेदार लेखन प्रतियोगिता करें, जैसे ‘देखते हैं, कौन सबसे सुंदर ‘क’ लिखता है!’ इससे वह प्रेरित होगा.

एक्सपर्ट से लें मदद
विदेश की तरह अब भारत में भी चाइल्ड काउंसलिंग एक आम प्रक्रिया है. अगर काफी मेहनत के बाद भी बच्चे की लिखावट में सुधार नहीं हो रहा है तो एक्सपर्ट से मदद लेने में न हिचकिचाएं.

1- एक्सपर्ट गाइडेंस: अगर लगातार प्रैक्टिस के बाद भी सुधार न हो तो किसी ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट से संपर्क करें. वे फाइन मोटर स्किल्स या डिस्ग्राफिया जैसी समस्याओं का आकलन कर सकते हैं.

2- आई चेकअप: बच्चे की आंखों की जांच कराएं क्योंकि कमजोर दृष्टि भी लिखावट को प्रभावित कर सकती है.

3- स्कूल से संपर्क: बच्चे के टीचर से बात करें और पूछें कि स्कूल में उसकी लिखावट कैसी है. वे अतिरिक्त अभ्यास या सुझाव दे सकते हैं.

हर दिन करें इतनी प्रैक्टिस
1- रेगुलर प्रैक्टिस: रोजाना 10-15 मिनट हैंडराइटिंग प्रैक्टिस के लिए समय निकालें. उदाहरण के लिए, बच्चे को किसी टॉपिक पर एक छोटा पैराग्राफ लिखने के लिए कहें.

2- लिखावट का मॉडल: बच्चे के सामने खुद साफ-सुथरे अक्षरों में लिखें. बच्चे नकल करके सीखते हैं. आप उनके लिए प्रेरणा बन सकते हैं.

3- शॉर्ट सेशंस: लंबे समय तक लिखने से बच्चा थक सकता है. छोटे-छोटे सेशंस में प्रैक्टिस कराएं.

4- डायरी लेखन: बच्चे को उसकी पसंद की डायरी खरीदकर दें. उससे कहें कि वह उसमें रोजाना की खास बातें लिखे, उसके साथ क्या अच्छा हुआ, क्या गलत आदि.

हैंडराइटिंग में सुधार होने में कितना वक्त लगेगा?
1-2 महीने: अगर रोज 10-15 मिनट प्रैक्टिस की जाए तो अक्षरों का आकार और अलाइनमेंट 1-2 महीने में सुधरने लगेगा.
3-6 महीने: लगातार अभ्यास से लिखावट साफ और पढ़ने योग्य हो सकती है.

ध्यान दें: हर बच्चे की प्रोग्रेस अलग होती है. धैर्य रखें और इस प्रोसेस को मजेदार बनाएं.

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