गोवा अग्निकांड: लूथरा ब्रदर्स को थाईलैंड से भारत आने में क्यों लगेगा और वक्त?

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नई दिल्ली: गोवा के नाइट क्लब में हुए भीषण अग्निकांड के बाद फरार हुए लूथरा ब्रदर्स की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. थाईलैंड में इमीग्रेशन अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए जाने के बावजूद उनकी भारत वापसी में देरी हो रही है. भारतीय सरकारी सूत्रों के मुताबिक वहां की कानूनी प्रक्रियाओं के कारण डिपोर्टेशन फंसा हुआ है. दूसरी ओर दिल्ली की एक कोर्ट ने गौरव और सौरभ लूथरा की ट्रांजिट अग्रिम जमानत याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है. कोर्ट ने उनके आचरण और मामले की गंभीरता को देखते हुए राहत देने से साफ इनकार किया. जांच में सामने आया है कि क्लब में आग लगने की खबर मिलते ही दोनों भाइयों ने रातोंरात टिकट बुक किए और देश छोड़कर भाग निकले. थाईलैंड के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने विजिट के असली मकसद को छिपाया है. अब उन्हें वहां के डिटेंशन सेंटर में रखा जा सकता है.

आखिर क्यों लूथरा ब्रदर्स को भारत डिपोर्ट करने में हो रही है देरी?

थाईलैंड के इमीग्रेशन अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए जाने के एक दिन बाद भी लूथरा ब्रदर्स की वतन वापसी नहीं हो सकी है. शीर्ष भारतीय सरकारी सूत्रों ने इस देरी की मुख्य वजह थाई कानूनों के तहत जरूरी कानूनी प्रक्रिया को बताया है. लूथरा बंधुओं के पासपोर्ट रद्द कर दिए गए हैं. इसका मतलब है कि उन्हें थाईलैंड से बाहर निकालने के लिए एक इमरजेंसी ट्रेवल डाक्यूमेंट बनाना होगा.

भारतीय दूतावास यह दस्तावेज तत्काल तैयार कर सकता है. लेकिन इसमें अन्य कानूनी औपचारिकताएं भी शामिल हैं. थाईलैंड प्रशासन अब लूथरा बंधुओं के वीजा को रद्द करने की दिशा में बढ़ रहा है. इसका आधार यह है कि उन्होंने अपनी यात्रा के सही उद्देश्यों के बारे में इमीग्रेशन अफसरों को गुमराह किया था.

नियमों के मुताबिक टूरिस्ट वीजा केवल पर्यटन के लिए दिया जाता है. जबकि इंटरपोल का ब्लू नोटिस यह साबित करता है कि वे भारतीय कानून से भगोड़े थे. एक अधिकारी ने बताया कि वीजा रद्दीकरण के लिए थाई कोर्ट के आदेश की जरूरत हो सकती है. यह आदेश उन्हें अवैध रूप से थाईलैंड में रहने वाला घोषित करेगा. केवल यही प्रक्रिया डिपोर्टेशन का रास्ता साफ करेगी.

क्या आग लगने की खबर मिलते ही देश छोड़कर भागे थे लूथरा ब्रदर्स?

दिल्ली की कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान लूथरा बंधुओं की चालाकी खुलकर सामने आ गई. जांच में पता चला कि 6 दिसंबर को गोवा के क्लब में आग लगी थी. जिसमें 25 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी. इसके तुरंत बाद दोनों भाइयों ने देश छोड़ने का प्लान बना लिया था.

अदालत ने पाया कि आरोपियों द्वारा ली गई फ्लाइट के दस्तावेज बताते हैं कि फुकेट के लिए टिकट 7 दिसंबर को सुबह 1:17 बजे बुक किए गए थे. उनकी फ्लाइट उसी दिन सुबह 5:20 बजे रवाना हुई थी. कोर्ट ने कहा कि यह तथ्य जानबूझकर छिपाया गया. उनके वकील ने इसके बजाय यह कहा था कि वे आग लगने से पहले ही थाईलैंड के लिए निकल गए थे.

जज वंदना ने कहा कि आरोपियों का यह आचरण ही उनकी जमानत याचिका खारिज करने का एक बड़ा आधार है. उन्होंने जानबूझकर कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की. सरकारी वकील ने दलील दी कि वे कानूनी प्रक्रिया से बच रहे हैं. उन्होंने गोवा में आग लगने के तुरंत बाद ही देश छोड़ दिया था.

दिल्ली कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए क्या सख्त टिप्पणी की?

दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को सौरभ और गौरव लूथरा की ट्रांजिट अग्रिम जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप पहली नजर में बेहद गंभीर हैं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वंदना ने कहा कि 25 लोगों की जान जाना कोई छोटी बात नहीं है. कोर्ट ने कहा कि आवेदकों के आचरण और उन पर लगाए गए आरोपों की प्रकृति को देखते हुए उन्हें राहत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने यह भी नोट किया कि आवेदन के साथ जो दस्तावेज लगाए गए थे वे दावों का समर्थन नहीं करते. दस्तावेजों के अनुसार लाइसेंस एग्रीमेंट और ट्रेड लाइसेंस पहले ही एक्सपायर हो चुके थे. कोर्ट ने सवाल उठाया कि लूथरा बंधुओं ने गोवा में सक्षम अदालत का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया. कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी या कोर्ट द्वारा कानून के अनुसार की गई कार्रवाई को जान का खतरा नहीं माना जा सकता. सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए जज ने कहा कि एक्स्ट्रा-टेरिटोरियल जमानत केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दी जानी चाहिए.

बीमारी का बहाना बनाने पर कोर्ट ने लूथरा बंधुओं को क्या कहा?

गौरव लूथरा ने अंतरिम राहत पाने के लिए अपनी मेडिकल कंडीशन का हवाला दिया था. इसमें सीजर डिसऑर्डर और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां शामिल थीं. हालांकि कोर्ट ने इन दलीलों को भी सिरे से खारिज कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि आवेदक के वकील ने खुद यह स्वीकार किया है कि मेडिकल स्थिति ऐसी नहीं है कि वह यात्रा न कर सके या अपना बिजनेस न चला सके. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि पेश किए गए मेडिकल दस्तावेज काफी पुराने हैं. वे किसी गंभीर मेडिकल स्थिति को नहीं दर्शाते.

इस आधार पर किसी भी तरह की अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ‘जान को खतरा’ होने की दलील भी बेबुनियाद है. कानून से भागने वाले व्यक्ति को कोर्ट से मदद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि बिना किसी पूर्वाग्रह के यह याचिका खारिज की जाती है.

अब आगे क्या होगा और कब तक भारत आ पाएंगे क्लब मालिक?

सूत्रों का कहना है कि लूथरा बंधुओं को शुक्रवार को अन्य कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए बैंकॉक के एक डिटेंशन सेंटर में ले जाया जाएगा. एक अधिकारी ने बताया कि इसमें 2 दिन या उससे ज्यादा का समय लग सकता है. हमें उस टाइमलाइन के भीतर आने वाले वीकेंड को भी ध्यान में रखना होगा. थाईलैंड में वीजा रद्द होने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही उन्हें भारत भेजा जा सकेगा. चूंकि भारतीय एजेंसियों ने उनके खिलाफ ब्लू नोटिस जारी करवाया था. इसलिए उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी. उन्हें गुरुवार सुबह पैतोंग बीच के होटल इंडिगो से उठाया गया था. दिल्ली कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद अब उन पर भारतीय अधिकारियों द्वारा कानूनी कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है. गोवा सरकार के वकील ने कहा कि कानून उन लोगों की मदद नहीं करता जो समन या वारंट का पालन करने से इनकार करते हैं. अब लूथरा ब्रदर्स को भारत आकर जांच का सामना करना ही होगा.

क्या एक्सपायर हो चुके लाइसेंस पर चल रहा था गोवा का वह क्लब?

कोर्ट की कार्यवाही के दौरान एक और चौंकाने वाली बात सामने आई. जज ने दस्तावेजों को देखने के बाद टिप्पणी की कि क्लब के संचालन से जुड़े कई अहम पेपर एक्सपायर हो चुके थे. इसमें लीज डीड और ट्रेड लाइसेंस शामिल हैं. यह दिखाता है कि क्लब मालिकों ने सुरक्षा और नियमों के प्रति कितनी लापरवाही बरती थी.

सरकारी वकील ने कोर्ट में कहा कि आरोपी अब राहत की मांग कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने खुद कानून का पालन नहीं किया. उन्होंने कहा कि यह एंटीसिपेटरी बेल का मामला नहीं है. अपराध की गंभीरता और आवेदकों का आचरण उन्हें किसी भी सुरक्षा से वंचित करता है.

वकील ने कहा कि उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट सहित गंभीर आरोप लंबित हैं. ऐसे में कोर्ट को उन्हें संरक्षण नहीं देना चाहिए. कोर्ट ने माना कि आरोपियों का यह तर्क कि वे तुरंत लौटने को तैयार हैं. उनकी पिछली हरकतों को देखते हुए विश्वसनीय नहीं लगता.

क्या आरोपी अब भी किसी तरह की कानूनी राहत की उम्मीद कर सकते हैं?

हालांकि दिल्ली कोर्ट ने उनकी ट्रांजिट जमानत याचिका खारिज कर दी है. लेकिन कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि लूथरा बंधुओं के पास अब भी सक्षम कोर्ट में जाने का विकल्प है. वे क्षेत्राधिकार रखने वाली गोवा की कोर्ट में जाकर उचित राहत की मांग कर सकते हैं.

लेकिन जिस तरह से दिल्ली कोर्ट ने उनके आचरण पर सख्त टिप्पणी की है. उसे देखते हुए आगे की राह आसान नहीं होगी. गोवा सरकार के वकील ने साफ कर दिया है कि वे कानून की प्रक्रिया से बचने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कोर्ट को बताया कि एक बार जब यह साबित हो जाता है कि कोई व्यक्ति कानून की प्रक्रिया से बचने का प्रयास कर रहा है. तो कोर्ट को उसकी सहायता नहीं करनी चाहिए.

लूथरा ब्रदर्स के वकीलों ने तर्क दिया था कि वे जांच में शामिल होने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अगर वे आज रात भारत उतरते हैं तो जांच अधिकारी के बुलाने पर आधी रात को भी पेश हो जाएंगे. लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इनकार कर दिया. अब उन्हें भारत आने पर गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है.

आगे का प्लान: क्या पुलिस हिरासत में ही होगी पूछताछ?

अब जब लूथरा ब्रदर्स की वापसी लगभग तय है. तो गोवा पुलिस उनसे हिरासत में पूछताछ की तैयारी कर रही है. 25 लोगों की मौत के मामले में पुलिस यह जानना चाहेगी कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी क्यों की गई. साथ ही एक्सपायर हो चुके लाइसेंस पर क्लब कैसे चल रहा था.

इस मामले में पुलिस की जांच का दायरा बढ़ सकता है. स्थानीय अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो सकती है जिन्होंने क्लब को चलने दिया. लूथरा ब्रदर्स के बयान इस पूरे मामले की तह तक जाने में अहम होंगे. फिलहाल सबकी निगाहें थाईलैंड की कानूनी प्रक्रिया पर टिकी हैं. जहां से हरी झंडी मिलते ही उन्हें भारत लाया जाएगा.

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