Russia Power Plant On Moon: रूस एक बार फिर अंतरिक्ष की रेस में अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी में है. इसके लिए पुतिन ने एक बड़ी योजना बनाई है. बता दें कि अगले दशक में रूस चांद पर पावर प्लांट स्थापित करने की प्लानिंग कर रहा है, जिससे उसके मून मिशन और चीन के साथ मिलकर बनने वाले रिसर्च स्टेशन को चलाया जा सके. रूस की ओर से यह कदम ऐसे वक्त पर उठाया गया है जब चीन-अमेरिका चांद पर अमनी मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं.
चांद पर पावर प्लांट लगाएगा रूस
रूस की सरकारी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscosmos)की ओर से एक बयान जारी किया गया है, जिसमें बताया गया है कि उसने साल 2036 तक चांद पर पावर प्लांट लगाने का टारगेट रखा है. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए रूसी एयरोस्पेस कंपनी लावोच्किन एसोसिएशन के साथ कॉलैबोरेट किया गया है. बता दें कि साल 2023 में रूस की स्पेस में अपनी महत्वाकांक्षाओं को बड़ा झटका लगा था. उस दौरान रूसी लूना 25 मिशन चंद्रमा पर लैंडिंग के दौरान तुरंत क्रैश हो गया था.
न्यूक्लियर होगा पावर प्लांट?
रोस्कोस्मोस के अनुसार यह रूसी पावर प्लांट रूस के लूनार मिशन को एनर्जी देगा, जिसमें साइंटिस्ट, ऑब्जर्वेटरी और लूनर रोवर्स समेत रूस और चीन का इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन भी शामिल है. रोस्कोस्मोस की ओर से सीधे तौर पर यह नहीं बताया गया है कि यह प्लांट न्यूक्लियर होगा, हालांकि बयान में जिक्र कुछ संस्थाओं ने इस तरफ इशारा जरूर किया है कि इस प्रोजेक्ट में रोसएटम (Rosatom) नाम की एक रूसी सरकारी कंपनी समेत देश का टॉप न्यूक्लियर रिसर्च इंस्टीट्यूट कुर्चातोव भी शामिल है.
क्यों जरूरी है लूनार मिशन?
रोस्कोस्मोस के चीफ दिमित्री बकानोव ने पहले ही साफ कर दिया है कि उनकी सबसे पहली प्राथमिकता चांद पर पावर प्लांट लगाना है. एजेंसी के मुताबिक इस मिशन का टारगेट एक परमानेंट साइंटिफिक लूनार स्टेशन बनाना और मिशन से आगे बढ़कर लगातार रिसर्च करते रहना है. वहीं चांद की बात करें तो यह केवल एक सेटेलाइट न होकर धरती के झुकाव को बैलेंस रखने का भी काम करता है. इससे ही समुद्रों में प्रवाह आता है और जलवायु स्थिर रहती है. ऐसे में भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए चांद पर रिसर्च बेहद माना जाता है.

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