चीन की औरतें भी कम नहीं, खूब खा रहीं माला डी, भारत की क्या स्थिति

4 days ago

Last Updated:August 23, 2025, 10:27 IST

China News: UNFPA रिपोर्ट के अनुसार चीन गर्भनिरोधक उपयोग में टॉप देशों में शामिल हुआ. फिनलैंड, स्विट्जरलैंड, कनाडा, ब्रिटेन में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं इनका उपयोग करती हैं. अमेरिका इस मामले में चीन से पीछे ह...और पढ़ें

चीन की औरतें भी कम नहीं, खूब खा रहीं माला डी, भारत की क्या स्थितिUNFPA की रिपोर्ट के मुताबिक, गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल में चीन टॉप 10 देशों में शामिल हो गया है.

दुनियाभर में बर्थ कंट्रोल यानी माला डी जैसी गर्भ निरोधक (Contraceptive) गोलियों के इस्तेमाल को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार चीन अब उन शीर्ष देशों की सूची में शामिल हो गया है, जहां महिलाओं में गर्भनिरोधक का इस्तेमाल सबसे अधिक है. वहीं, भारत इस लिस्ट में 57वें स्थान पर है, जहां आधी महिलाएं (करीब 50%) गर्भनिरोधक का उपयोग करती हैं. यह आंकड़े फिनलैंड, स्विट्जरलैंड, कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों के साथ तुलना करते हैं, जहां 70% से अधिक महिलाएं गर्भनिरोधक का उपयोग करती हैं.

UNFPA की यह रिपोर्ट जनसंख्या नियंत्रण, महिला स्वास्थ्य और परिवार नियोजन की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देती है, जो विकासशील देशों के लिए एक सबक है. आइए, इन आंकड़ों के पीछे की कहानी और इसके अर्थ पर विस्तार से नजर डालते हैं.

इस रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी देशों जैसे फिनलैंड, स्विट्ज़रलैंड, कनाडा और ब्रिटेन लंबे समय से जन्म-नियंत्रण अपनाने में अग्रणी रहे हैं. इन देशों की महिलाओं में गर्भनिरोधक का उपयोग व्यापक रूप से देखा जाता है. अब चीन भी इस सूची में शामिल हो गया है और यह एकमात्र एशियाई देश है, जिसने टॉप-10 में जगह बनाई है. यह चीन की एक-बच्चा नीति के बाद परिवार नियोजन पर जोर का नतीजा है.

क्या कहती है रिपोर्ट?

टॉप देश: फिनलैंड, स्विट्जरलैंड, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम में 70% से अधिक महिलाएं गर्भनिरोधक का उपयोग करती हैं.
चीन का प्रदर्शन: चीन में यह दर 70% के करीब है, जो एशियाई देशों में एक मिसाल है.
भारत की स्थिति: भारत 57वें स्थान पर है, जहां आधी महिलाएं (करीब 50%) गर्भनिरोधक का उपयोग करती हैं.

यह आंकड़े 15-49 वर्ष की महिलाओं पर आधारित हैं, जो प्रजनन आयु वर्ग है. UNFPA का कहना है कि गर्भनिरोधक उपयोग महिला सशक्तिकरण, जनसंख्या नियंत्रण और स्वास्थ्य सुधार का महत्वपूर्ण हिस्सा है.

2023-2025 के आंकड़े क्या कहते हैं?

UNFPA और विश्व बैंक के ताजा आंकड़ों (2023-2024) से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर गर्भनिरोधक उपयोग में सुधार हुआ है, लेकिन असमानताएं बनी हुई हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और UNFPA के अनुसार, विकासशील देशों में 25.7 करोड़ महिलाओं की गर्भनिरोधक जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं. भारत में PDHS 2017-18 के अनुसार कुल प्रजनन दर (TFR) 3.2 है, और गर्भनिरोधक दर 34% है, जो 2025 तक 60% तक बढ़ाने का लक्ष्य है. वैश्विक स्तर पर, 2021 में 1.9 अरब महिलाओं में से 87.4 करोड़ आधुनिक गर्भनिरोधक का उपयोग कर रही थीं.

भारत में गर्भनिरोध की राह में कैसे रोड़े?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि गर्भनिरोधक अपनाने की यह प्रवृत्ति न केवल जनसंख्या नियंत्रण में मदद करती है बल्कि मातृ-स्वास्थ्य, परिवार नियोजन और सामाजिक-आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए भी अत्यंत आवश्यक है.

भारत में जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के चलते गर्भनिरोधक का उपयोग सीमित है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी कमजोर है. हालांकि, सरकार की ओर से चलाए जा रहे परिवार नियोजन कार्यक्रमों के चलते धीरे-धीरे सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है.

संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि यदि भारत को वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करनी है तो न केवल गर्भनिरोधक तक आसान पहुंच सुनिश्चित करनी होगी बल्कि महिलाओं को शिक्षित और जागरूक भी बनाना होगा.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 23, 2025, 10:25 IST

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