Last Updated:July 22, 2025, 14:22 IST
Jagdeep Dhankhar Resignation: उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ राजस्थान के रहने वाले हैं. वे देशभर में बीजेपी का बड़ा जाट चेहरा हैं. अब उनके इस्तीफे से सूबे की जाट राजनीति पर क्या असर होगा इस पर...और पढ़ें

हाइलाइट्स
जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया.धनखड़ के इस्तीफे से राजस्थान की जाट राजनीति गरमाई.धनखड़ का इस्तीफा बीजेपी की जाट रणनीति पर असर डालेगा.जयपुर. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनका अचानक इस्तीफा देना सियासी गलियारों के अलावा देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. धनखड़ जाट समुदाय से आते हैं. वे राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किठाना गांव के रहने वाले हैं. धनखड़ बीजेपी के पास बड़ा जाट चेहरा है. धनखड़ जब उपराष्ट्रपति चुने गए थे तब राजनीति के जानकारों ने इसे बीजेपी की देशभर के जाट समुदाय को साधने की रणनीति बताया था. अब चूंकि धरखड़ ने इस्तीफा दे दिया है और वह स्वीकार भी हो गया है तो अब सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या अब बीजेपी जाट समुदाय को फिर से किस तरीके साधेगी.
देश की शीर्ष संवैधानिक कुर्सियों में से एक पर आसीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने न सिर्फ राष्ट्रीय राजनीति बल्कि राजस्थान की जाट राजनीति में भी नई सरगर्मी पैदा कर दी है. इसका असर सिर्फ दिल्ली की सत्ता तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे राजस्थान की सियासी बिसात पर भी पड़ने के आसार हैं. धनखड़ एक अनुभवी वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. वे जाट समाज का बड़ा कद्दावर चेहरा हैं. राजनीति के जानकार मानते हैं कि धनखड़ के इस्तीफे की पूर्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आने वाले समय में बीजेपी की ओर से की जा सकती है.
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धनखड़ लंबे समय से बीजेपी से जुड़े हैं
धनखड़ लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े हैं और 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे हैं. लेकिन इन सबसे बड़ी बात यह है कि धनखड़ राजस्थान के झुंझुनूं जिले से आते हैं और एक प्रभावशाली जाट नेता हैं. उनका नाम जाट समुदाय के बीच न केवल लोकप्रियता के लिए जाना जाता है, बल्कि वे उस नेतृत्व शून्यता को भरने वाले चेहरों में से एक हैं जो पिछले कुछ वर्षों में राज्य में नजर आया है.
धनखड़ बीजेपी में बड़ा चेहरा बनकर उभरे
राजस्थान की राजनीति में जाट समुदाय एक बड़ा वोट बैंक है. खासकर पश्चिमी राजस्थान में. अब तक जाट वोट बैंक पारंपरिक रूप से कांग्रेस की ओर झुका हुआ माना जाता रहा है. खासकर अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत के दौर में. लेकिन हाल के वर्षों में बीजेपी की तरफ से कोई बड़ा जाट चेहरा न होने से यह वर्ग राजनीतिक रूप से अनिर्णीत सा रहा है. बाद में धनखड़ बीजेपी में बड़ा चेहरा बनकर उभरे. उनके इस्तीफे से राजस्थान की जाट राजनीति में हलचल है.
कांग्रेस इस्तीफे का कारण ‘स्वास्थ्य’ मानने को तैयार नहीं है
हालांकि धनखड़ ने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य बताया है. लेकिन कांग्रेस उनके इस कारण को मानने के लिए तैयार नहीं है. राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने इस पर शंका जताई है. पूर्व में उपराष्ट्रपति धनखड़ के राजस्थान के बार-बार होने वाले दौरों पर बयान देने वाले गहलोत अब अचानक सिम्पेथी वाले मोड में आ गए हैं. धनखड़ के इस्तीफे के बाद गहलोत ने बयान देते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति बतौर राज्यसभा सभापति दबाव में काम कर रहे थे. वहीं पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने भी कहा कि बीजेपी किसान के बेटे और किसानों के प्रति संवेदनशील नहीं है. धनखड़ के इस्तीफे के बाद ‘उकसावे’ की राजनीति जोर खाना स्वाभाविक है. अगर यह जोर खाएगी तो इसका असर पर कहीं ना कहीं आएगा.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
Location :
Jaipur,Jaipur,Rajasthan