जब नहीं छपते थे शादी के कार्ड तो कैसे भेजा जाता था विवाह का निमंत्रण

1 week ago

हाइलाइट्स

एक जमाने में घऱ घर जाकर मौखिक तौर पर शादी की सूचना देकर उन्हें आमंत्रित किया जाता था
शाही शादियों में हरकारे को दूसरे राज्यों में भेजकर सूचना दी जाती थी और मुनादी भी पिटी जाती थी
यूरोप में टाउन क्रायर नाम का एक पेशा होता था, जो ऐसे मौकों पर चिल्ला -चिल्लाकर पूरे शहर में घूमते हुए सूचना देता था

अब तो खैर प्रिंटिंग, डिजाइनिंग और डिजिटल के इस युग में विवाह के कार्ड पर तमाम तरह के आते हैं. कुछ कार्ड साधारण होते हैं तो कुछ कई पन्नों के लग्जरी. कुछ को शानदार सजे-धजे कार्डबोर्ड डिब्बों में रखकर दिया जाता है. क्या आपको मालूम है कि जब प्रिंटिंग प्रेस नहीं थे तो कैसे ये कार्ड बनाए जाते थे और भेजे जाते थे. उससे भी पुराने समय में जाएं तो शादी की सूचना अलग तरीके से ही दी जाती थी. यूनान में प्राचीन में समय पत्थर पर उकेरकर शादी के कार्ड भेजे जाते थे.

शादी के कार्ड छपवाने का चलन सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि लगभग हर जगह है. इन कार्डों का इतिहास छपाई मशीन के इतिहास से ज्यादा पुराना नहीं है. हालांकि भारत जैसे देश में लंबे समय तक हाथ से बनाए गए आमंत्रण कार्ड का भी चलन था. जिसे सुंदर तरीके से लिखने वाले शख्स से लिखवाकर भेज दिया जाता था.

उससे पहले जब भारत में पोस्टल डिपार्टमेंट का चलन नहीं था, तब लिखित आमंत्रण पत्र हरकारों के हाथों में देकर दूसरे शहरों में भेजे जाते थे और शादी की सूचना दी जाती थी. तब वो दौर भी था जब लोग अपने शहर में घर घर जाकर शादी की सूचना मौखिक देकर आते थे और आने का आमंत्रण देते थे.

मुनादी से कराई जाती थी शादी की घोषणा
1447 से पहले जब प्रिंटिंग मशीन या छपाई मशीन का आविष्कार नहीं हुआ था. तब इंग्लैंड में एक व्यक्ति (town crier) पूरे नगर में घूम कर जोर-जोर से आवाज देकर शादी की घोषणा करता और लोगों को निमंत्रण दिया करता था. इसे टाउन क्रायर कहा जाता था. ये तब एक पेशा होता था.

पुराने जमाने में राजा भी नगाड़ा पिटवाकर शादी की सूचना देते थे
यह ठीक वैसा ही है जैसे पुराने जमाने में भारत में नगाड़ा या मुनादी पिटवा कर राजाओं के द्वारा जन सामान्य को कोई सूचना दी जाती थी. इसी तरीके से राजा लोग अपनी जनता को शादी के सूचना देते हुए समारोह में उन्हें आमंत्रित करते थे. शाही पत्रों और मुहरों के माध्यम से भी हाथ से लिखा पत्र घोड़ा सवार हरकारों के जरिए पड़ोसी और मित्र राजाओं में भेजा जाता था.

1933 में भारत में हाथ से लिखा शादी का एक आमंत्रण कार्ड.

हाथ से खूबसूरत शादी के कार्ड बनाए जाते थे
दरअसल शादी के कार्ड का चलन मध्यकाल में यूरोप में शुरू हुआ जबकि शिक्षित और समृद्ध सामंती वर्ग ने इस मामले में कुछ अलग करने की सोची. उसने हाथ से लिखे सुंदर शादी के कार्ड का चलन शुरू किया. जो हाथ से खूबसूरत तरीके से बनाए जाते थे. इनमें बहुमूल्य चीजें भी जड़ी होती थीं.

प्रिंटिंग मशीन ने काम आसान किया
प्रिंटिंग मशीन के आने के बाद छपाई पहले से अधिक आसान, कुशल और कम समय में होने लगी. कार्डों की कीमतें काफी गिर गईं. अब इन्हें मध्यमवर्गीय लोग भी छपवा सकते थे. इससे इनका इस्तेमाल बढ़ा. पुराने जमाने में निमंत्रण पत्र काफी विस्तृत होते थे. हर आमंत्रित व्यक्ति का नाम उस पर लिखा होता था. धीरे धीरे जैसे तकनीक का विकास हुआ, उसके साथ प्रिटिंग कार्ड बेहतर और सस्ते होते चले गए.

भारत में कब छपा पहला कार्ड
भारत में शादी के कार्डों का इतिहास 19वीं सदी तक का ही है. भले ये तरीका अंग्रेजों से सीखा हो पर हमने इसे अपनी संस्कृति के अनुसार ढाल लिया. इंग्लैंड की तरह ही यहां का कुलीन वर्ग उनकी नकल कर शादियों के कार्ड छपवाने लगा.

19वीं सदी के यह कार्ड बहुत ही बेरंग, सादे और आकार में छोटे होते थे. इन का मुख्य उद्देश्य बस शादी से जुड़ी जानकारी, जैसे- जोड़े का नाम, शादी का समय तथा स्थान बताना होता था. 1950 तक कार्ड इतने ही सादा छपते रहे.

कब कार्ड रंगीन और चटकीले बन गए
1960 के दशक में चटकीले रंगों का प्रयोग करने से कार्ड और आकर्षक बन गए. 1980 के दशक का समय तो जैसे कार्ड का स्वर्णिम काल था. क्योंकि इस समय कार्डों में भारतीय संस्कृति में रचे-बसे चित्रों और संकेतों जैसे भगवान गणेश का चित्र या श्री राधा-कृष्ण का प्रयोग होने लगा.उनमें भारतीयता आ गई.
अब तो कार्ड की डिजाइनिंग के साथ उनकी पैकेजिंग भी बहुत भव्य हो चुकी है.

डिजिटल क्रांति और शादी के निमंत्रण पर प्रभाव
21वीं सदी के अंत में डिजिटल क्रांति की शुरुआत हुई, जिसने शादी के निमंत्रणों पर असर डाला. ये लोकप्रिय भी हो रहे हैं. ये तुरंत भेजे जा सकते हैं और सस्ते भी हैं.

कैसे होते थे पुराने जमाने के शादी के आमंत्रण 
मिस्र – प्राचीन मिस्र में अभिजात वर्ग के बीच शादियों की घोषणा करने के लिए पपीरस स्क्रॉल का उपयोग किया जाता था. जटिल चित्रलिपि से सजे ये स्क्रॉल, जोड़े के समृद्ध भविष्य के लिए घटना के विवरण और आशीर्वाद देते थे.
यूनान – यूनान में मौखिक घोषणाओं के साथ शादियों का जश्न मनाते थे.
रोम – रोमन विवाह के निमंत्रणों को धातु या पत्थर पर उकेरा जाता था.
चीन – प्राचीन चीन में शादी के निमंत्रण विवरणों पर सावधानीपूर्वक ध्यान देकर तैयार किए जाते थे. विस्तृत डिज़ाइन और सुलेख से परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा और रुचि को प्रदर्शित किया जाता था.

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Tags: Marriage, Marriage ceremony

FIRST PUBLISHED :

April 24, 2024, 12:23 IST

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