Last Updated:August 14, 2025, 13:47 IST
Kerala News: साल 1957 में केरल में पहली बार सीपीआई की सरकार बनी. इससे अमेरिका और ब्रिटेन चिंतित हुए. जब सीपीआई नेताओं के मॉस्को जाने की योजना की खबर मिली तो नेहरू ने रूसी राजदूत को फटकारा.

केरल को कम्युनिस्टों का गढ़ कहा जाता है. दशकों से लेफ्ट का सेंटर रहा है. आज भी यहां लेफ्ट की सरकार है. केरल बीते दिनों खूब सुर्खियों में रहा. कारण कि जून में खराब मौसम के कारण ब्रिटेन का एफ-35 बी फाइटर जेट फंस गया. महीनों तक यह लड़ाकू विमान फंसा रहा. इसकी मौजूदगी ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा. केरल में एफ-35बी विमान कांड के बहाने आज हम उस कहानी को जानेंगे, जब शीत युद्ध के दौरान केरल की धरती पर पूरी दुनिया की नजर थी. जी हां, शीत युद्ध के घटनाक्रम को याद करें तो केरल की धरती स्पाई यानी जासूसों की भी धरती रही है. शीत युद्ध के दौर में दुनिया के दो पावर सेंटर सोवियत संघ रूस और अमेरिका ने केरल को अपने लिए स्पाई सेंटर के रूप में यूज किया. 1950 और 1960 के दशक में शीत युद्ध के दो अहम खिलाड़ी सोवियत रूस और अमेरिका ने केरल में अपने स्पाई नेटवर्क को केरल में खूब एक्टिव रखा. उस दौरान एक घटना ऐसी हुई, जिसमें पंडित नेहरू ने रूसी राजदूत को जमकर फटकारा था.
दरअसल, यह कहानी है साल 1957 की. केरल में पहली बार सीपीआई यानी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने जीत का परचम लहराया था. केरल में लेफ्ट की जीत से अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक खलबली मच गई थी. भारत में पहली बार किसी राज्य में लेफ्ट की सरकार बनी थी. अव्वल तो यह कि यह पहली बार था, जब लोकतांत्रिक तरीके से किसी कम्युनिस्ट पार्टी ने सत्ता हासिल की थी. जैसे ही केरल में लेफ्ट की सरकार बनी, वाशिंगटन से लेकर ब्रिटेन तक के होश उड़ गए. खुद नेहरू भी कम्युनिस्ट के बढ़ते प्रभाव से चिंतित थे. कारण कि भारत के राज्य में लेफ्ट की सरकार होने का मतलब था रूस का प्रभाव. जैसा पश्चिमी देश मानते थे.
जब नेहरू ने लगाई रूसी राजदूत को फटकार
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, जैसे ही केरल में कम्युनिस्ट की सरकार बनी, वैसे ही सीपीआई के सीनियर नेता की चाहत रूस जाने की हुई. सीपीआई के सीनियर नेता रूस जाकर यह सीखना और समझना चाहते थे कि मॉस्को में सरकार कैसे चलती है. इसकी भनक उस वक्त के पीएम पंडित नेहरू को लग गई. अप्रैल 1957 में खुफिया ब्यूरो के प्रमुख बीएन मुल्लिक ने पंडित नेहरू को एक सीक्रेट सूचना दी थी. उन्होंने यह बताया कि सीपीआई के कुछ नेता मॉस्को की सलाह लेने की योजना बना रहे थे कि केरल में कम्युनिस्ट सरकार को कैसे चलाया जाए. जैसे ही नेहरू को यह बात पता चली वह नाराज हो गए. उन्हें गुस्सा आया. उन्होंने तुरंत सोवियत राजदूत मेंशिकोव को बुलावा भेजा. जब सोवियत के राजदूत सामने आए तो उन्होंने सख्त फटकार लगाई और चेतावनी दी कि वह भारत के आंतरिक मामलों में दखल न दें.
सीआईए की हुई खूब खातिरदारी
हालांकि, यह सब तब हो रहा था, जब उसी वक्त सीआईए की भारत में खूब खातिरदारी हो रही थी. अमेरिका समेत पश्चिम देश केरल में लेफ्ट की सरकार को अस्थिर करना चाहते थे. शीत युद्ध के चरम में अमेरिका-ब्रिटेन समेत पश्चिमी देश कम्युनिस्ट के प्रभाव को रोकना चाहते थे. इसके लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और ब्रिटिश इंटेलिजेंस को इस काम पर लगाया गया था. साल 1957 और 1959 के बीच कांग्रेस और लेफ्ट विरोधी नेताओं के जरिए पैसे पहुंचाए गए. सीआईए ने पैसे के जरिए यहां खूब उथल-पुथल मचवाई. नतीजा हुआ कि साल 1959 में केरल की सीपीआई सरकार को बर्खास्त करना पड़ा. अमेरिका ने तब कहा था कि सोवियत संघ केरल में कम्युनिस्टों को धन मुहैया करा रहा था. ऐसे आरोप लगते हैं कि केरल की लेफ्ट सरकार को गिराने में खुद नेहरू की सरकार और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के बीच सीक्रेट सहयोग चला था.
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
August 14, 2025, 13:47 IST