नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह आवारा कुत्तों के संबंध में विभिन्न नगर निकायों विशेषकर मुंबई एवं केरल के निकायों द्वारा पारित आदेशों से संबंधित मुद्दे पर विचार करने से नहीं बच रहा है, लेकिन वह विचाराधीन मामले के दायरे का विस्तार नहीं होने देगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पक्षकारों को पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 का अध्ययन करना चाहिए क्योंकि इससे पहले उठाए गए कई मुद्दों का समाधान हो सकता है. न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा, ‘‘हम भी एक बात स्पष्ट कर दें. हम इस मुद्दे से निपटने से पीछे नहीं हट रहे हैं लेकिन हम इसका दायरा बढ़ने नहीं देंगे.’’
पीठ ने कहा कि 2023 के नियम अब लागू हैं और उनका अध्ययन किया जाना चाहिए. एक वकील ने कहा कि पीठ उन्हें 2023 के नियमों का अध्ययन करने के लिए कुछ समय दे सकती है. एक अन्य वकील ने 2023 नियमों के कार्यान्वयन के लिए भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) द्वारा हाल में जारी एक परामर्श का उल्लेख किया और कहा, ‘‘यदि हम सभी इसका पालन करें, तो मैं कह सकता हूं कि 90 प्रतिशत समस्याओं का समाधान हो जायेगा’’.
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पीठ ने कहा, ‘‘आप कृपया 2023 नियमों और परामर्श को ध्यान से पढ़ें. इन 2023 के नियमों को पढ़ने के बाद यदि ज्यादातर समस्याओं का समाधान हो रहा है, तो हम कुछ शब्दों में कह सकते हैं कि 2023 के नियमों के मद्देनजर अधिकारी मामलों की जांच कर सकते हैं और कानून के अनुसार समस्याओं से निपट सकते हैं. और यदि उसके बाद भी कोई समस्या खड़ी होती है, तो पक्षकार उच्च न्यायालयों का रुख करने के लिए स्वतंत्र हैं.’’
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि आठ मई तय की. पिछले साल सितंबर में याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले में कोई अंतरिम निर्देश नहीं देना चाहेगा और वह संबंधित कानूनों, नियमों, उनके कार्यान्वयन और पहले उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के बाद ही कोई फैसला करेगा. एक वकील ने कहा था कि अलग-अलग हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर भिन्न विचार रखे हैं.
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FIRST PUBLISHED :
April 24, 2024, 20:41 IST