Last Updated:June 14, 2025, 13:36 IST
Indian Army Story: पिता की बहादुरी से प्रेरित होकर एन रोज़ ने कठिनाइयों को पार करके NDA ग्रेजुएट होकर सेना में अधिकारी बनी हैं. उन्होंने इस मुकाम को पाकर इतिहास रच दिया है.

NDA Indian Army Story: पिता से इंस्पायर होकर बेटी सेना में बनीं अफसर
हाइलाइट्स
NDA से ग्रेजुएट होकर इतिहास रचा.पिता की बहादुरी से प्रेरित होकर बनीं सेना में अधिकारी.NDA के 148वें कोर्स की पहली महिला कैडेटों में से एक थीं.Indian Army Story: एक पिता के लिए उससे बड़ी कोई खुशी नहीं होती है, जब उनकी बेटी उन्हीं के फील्ड में अपना करियर बनाने की ओर बढ़ रही हों. ऐसी ही कहानी एक लड़की की है, जब उनके पिता कमांडर एम.पी. मैथ्यू भारतीय नौसेना से रिटायर हुए, ठीक उसके एक महीने बाद एन रोज़ (NDA Ann Rose) ने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से ग्रेजुएट होकर इतिहास रच दिया. अब वह अपने पिता की तरह ही डिफेंस में अधिकारी बनेंगी. वह NDA के 148वें कोर्स की पहली महिला कैडेटों में से एक थीं, जिन्होंने इस प्रतिष्ठित मिलिट्री एकेडमी से सफलता हासिल की.
पिता से बेटी तक: सेवा और समर्पण की विरासत
यह कहानी केवल एक पिता और बेटी की नहीं, बल्कि समर्पण, साहस और चरित्र की पीढ़ियों की गाथा है, जो एक गर्वित नौसेना अधिकारी से उसकी बेटी को सुपुर्द की गई मशाल की तरह आगे बढ़ी. नेवी चिल्ड्रन स्कूल, कोच्चि की पूर्व छात्रा एन रोज़ ने बचपन से ही अपने पिता की बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा को नजदीक से देखा और महसूस किया.
कठिनाइयों को पार कर बना सपना हकीकत
एन रोज़ ने यह जानकर भी कि मिलिट्री करियर महिलाओं के लिए कितनी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, अपने संकल्प को कभी कमजोर नहीं होने दिया. वर्ष 2021 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महिलाओं के लिए NDA के द्वार खुले, तब उन्होंने पूरी मेहनत और लगन से तैयारी की और भारत की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में सफल होकर 2022 में NDA में प्रवेश किया.
लीडरशिप की परख: NDA का तीन साल का कड़ा प्रशिक्षण
तीन वर्षों के कठोर प्रशिक्षण ने उन्हें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से एक मजबूत और सक्षम लीडर बनाया. इस दौरान उन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए पूरी मेहनत की और 30 मई 2025 को NDA के परेड ग्राउंड से सम्मानपूर्वक पास आउट हुईं.
परिवार की सेवा में एक नई मिसाल
कमांडर मैथ्यू की नौसेना में सेवा और उनकी बेटी एन रोज़ की NDA से ग्रेजुएट होकर सेना में शामिल होने की यह यात्रा, परिवार की सेवा और राष्ट्र के प्रति समर्पण की मिसाल प्रस्तुत करती है. झंडे को सलामी देना हो या परेड में कनिष्ठों द्वारा सलामी पाना, यह कहानी गर्व, साहस और उद्देश्य के साथ सेवा का प्रतीक है.
पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin...और पढ़ें
पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin...
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