जहां फडणवीस, शिंदे और अजित पवार, वहीं खड़ा दिखा यह शख्स, कभी शरद पवार के थे खेवनहार, अब दादा के हनुमान
/
/
/
जहां फडणवीस, शिंदे और अजित पवार, वहीं खड़ा दिखा यह शख्स, कभी शरद पवार के थे खेवनहार, अब दादा के हनुमान
मुंबई. महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले गए थे और 23 नवंबर को नतीजे सामने आ गए थे. सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन (बीजेपी, शिवसेना-शिंदे और एनसीपी (अजित पवार गुट)) को जनता ने झोली भरकर वोट दिया. परिणाम यह हुआ कि महायुति की सरकार ने दो तिहाई से भी ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की. विपक्षी दलों की धज्जियां उड़ गईं. विपक्षी महविकास अघाड़ी गठबंधन में किसी भी दल को 30 सीटें भी नसीब नहीं हुईं. प्रचंड बहुमत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी और फिर कैबिनेट में विभाग को लेकर बात अटकी रही. इसके चलते महाराष्ट्र में सरकार का गठन नहीं हो सका. अब सबकुछ सेटल हो चुका है. देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे. सूत्रों की मानें तो विभाग का बंटवारा भी सहयोगी दलों के बीच तकरीबन हो चुका है. इस बीच देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया. इस पूरे घटनाक्रम में एनसीपी चीफ अजित पवार के साथ एक नेता साये की तरह नजर आया. हर मोड़ पर, हर घड़ी वह दादा के साथ दिखे, जिसको लेकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है.
अजित पवार उर्फ अजित दादा के साथ हमेशा दिखने वाले शख्स और कोई नहीं, बल्कि एनसीपी के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल हैं. प्रफुल्ल पटेल को अजित पवार का क्राइसिस मैनेजर तक कहा जा रहा है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के टूटने से लेकर अभी तक उन्होंने हर कदम पर अजित दादा का साथ दिया है. बताया जाता है कि अजित पवार भी हर महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसले से पहले प्रफुल्ल पटेल से सलाह-मशवरा जरूर करते हैं. प्रफुल्ल पटेल वहीं खड़े दिखे हैं, जहां अजित पवार मौजूद हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का नतीजा आने के बाद सीएम पोस्ट से लेकर विभाग के बंटवारे तक को लेकर महायुति के घटक दलों में इंटेंस बातचीत और बारगेनिंग हुई है. इन सबमें प्रफुल्ल पटेल अपने नेता अजित पवार के हाथों को मजबूती देते दिखे हैं.
करना था इनकार मगर इकरार कर बैठे.. ‘वर्षा’ में क्या हुआ, जो डिप्टी CM के लिए मान गए एकनाथ शिंदे
अजित पवार के हनुमान
महाराष्ट्र में सरकार गठन से पहले मुंबई से लेकर दिल्ली तक कई दिनों तक बातचीत का दौर चलता रहा. महायुति के सहयोगी दलों के साथ वार्ता के तकरीबन हर दौर में प्रफुल्ल अजित पवार के साथ मजबूती से डटे रहे. कभी कोई भी ऐसा पल नहीं आया जब लगा हो कि प्रफुल्ल पटेल अपने नेता से इतर जा रहे हों. सूत्र बताते हैं कि बातचीत के तौर-तरीकों के निर्धारण से लेकर बयान देने की टाइमिंग और रणनीति बनाने तक में प्रफुल्ल पटेल ने अजित पवार का साथ दिया. प्रफुल्ल पटेल कुछ मौकों पर अजित पवार के संदेशवाहक के तौर पर भी दिखे. जब एक साथ कई मोर्चों पर बातचीत की नौबत सामने आई तो प्रफुल्ल पटेल ने एक मोर्चे को मजबूती से संभाले रखा, लिहाजा उन्हें अजित पवार का हनुमान भी कहा जाने लगा है.
कभी थे शरद पवार के खेवनहार
प्रफुल्ल पटेल का कद अविभाजित एनसीपी में भी ऊंचा था. इसी का नतीजा था कि UPA के कार्यकाल के दौरान उन्हें महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया गया था. शरद पवार के दो मजबूत हाथों में से एक प्रफुल्ल पटेल भी थे. एक तरफ जहां शरद पवार हर मौके पर प्रफुल्ल पटेल के साथ खड़े रहे तो दूसरी तरफ प्रफुल्ल पटेल साहेब के भतीजे अजित पवार के साथ मिलकर उनको मजबूती देते रहे. राजनीतिक दबाव के समय में प्रफुल्ल पटेल ने संकटमोचक की भूमिका निभाई. शरद पवार ने कई मौकों पर प्रफुल्ल पटेल को पार्टी की तरफ से मुख्य वार्ताकार के तौर पर भी आगे बढ़ाया. इसके साथ प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का ट्रेजरर भी माना जाता है.
Tags: Ajit Pawar, Maharashtra Elections, Maharashtra News, PRAFUL PATEL
FIRST PUBLISHED :
December 4, 2024, 22:28 IST