नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कैश फार जॉब स्कैम मामले में काफी तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी से बुधवार को कहा कि पहली नजर में आप भ्रष्ट व्यक्ति हैं. आपके ठिकानों से करोड़ों रुपये बरामद हुए हैं. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) से उनके लगातार जेल में रहने पर सवाल उठाया और कहा कि उन्हें अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता. सु्प्रीम कोर्ट की बेंच ने पार्थ चटर्जी के वकील मुकुल रोहतगी से कहा, ‘पहली नजर में आप (पार्थ चटर्जी) भ्रष्ट व्यक्ति हैं. आपके परिसर से करोड़ों रुपये बरामद हुए. आप समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं? भ्रष्ट व्यक्ति को इस तरह जमानत मिल सकती है?’
मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को छोड़कर अन्य सभी आरोपियों को मामले में जमानत दे दी गई है, जिनमें सबसे ताजा जमानत एक सप्ताह पहले दी गई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘हर कोई मंत्री नहीं था मिस्टर रोहतगी. आप टॉप पर थे. आप दूसरों के साथ समानता की मांग नहीं कर सकते. हां, आप जांच में देरी और अभियोजन पक्ष की भूमिका पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन मामले के गुण-दोष पर नहीं.’ ED का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि अगर पार्थ चटर्जी को इस मामले में जमानत मिल जाती है तो भी वह जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे, क्योंकि उनके खिलाफ सीबीआई के भी मामले चल रहे हैं.
राजू की दलील पर रोहतगी का पलटवार
मुकु रोहतगी ने एएसजी राजू की दलील पर आपत्ति जताते हुए कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि उन्हें दूसरों के दुख से बहुत आनंद मिल रहा है. अन्य मामलों में जो कुछ भी होता है, मैं उस पर नजर रखूंगा. मुझे कहीं से तो शुरुआत करनी होगी. वह किस तरह की दलील दे रहे हैं? मैं 2.5 साल से जेल में हूं.’ जस्टिस सूर्यकांत ने एएसजी एसवी राजू से जांच एजेंसी की ओर से जांच पूरी करने के लिए आवश्यक समय के बारे में पूछा. कोर्ट ने कहा कि उसे अधिकारों में संतुलन बनाना है. रोहतगी ने दलील दी कि कैश उनके मुवक्किल से नहीं, बल्कि एक कंपनी के परिसर से बरामद की गई थी. इसपर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि पार्थ चटर्जी का कंपनी पर वास्तविक नियंत्रण था और संपत्तियां उनके और अर्पिता मुखर्जी के संयुक्त नाम से खरीदी गई थीं. पीठ ने रोहतगी से कहा, ‘मंत्री बनने के बाद आपने डमी लोगों को रखा. इससे पहले आपने खुद कंट्रोल किया. मामले साल 2022 के हैं. आप मंत्री थे, जाहिर है कि आप अपने खिलाफ जांच का आदेश नहीं देने जा रहे. न्यायिक हस्तक्षेप के कारण ही जांच शुरू हुई. आरोप है कि 28 करोड़ रुपये बरामद किए गए. निश्चित रूप से इतनी बड़ी राशि आवास में नहीं रखी गई होगी.’
जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. शीर्ष अदालत ने 27 नवंबर की सुनवाई के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में कनविक्शन की कम दर पर ईडी से सवाल किया था और आश्चर्य जताया था कि पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है. पार्थ चटर्जी को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मियों की भर्ती में कथित अनियमितता के मामले में गिरफ्तार किया गया था. चटर्जी को गिरफ्तार किये जाने के बाद उन्हें ममता बनर्जी सरकार में मंत्री पद से हटा दिया गया था, जबकि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें महासचिव सहित सभी पार्टी पदों से भी हटा दिया.
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FIRST PUBLISHED :
December 4, 2024, 21:10 IST