टीका भी लगाना होगा, टोपी भी पहननी होगी...नीतीश के मुस्लिम टोपी पर बवाल क्यों?

4 days ago

Last Updated:August 23, 2025, 10:13 IST

Bihar Chunav 2025: बिहार में नीतीश कुमार ने एक कार्यक्रम में मुस्लिम टोपी पहनने से परहेज किया. इसको लेकर तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश पर करारा कटाक्ष किया है. वहीं 'टोपी ट्रांसफर' (नीतीश के टोपी नहीं पहनने की बात...और पढ़ें

टीका भी लगाना होगा, टोपी भी पहननी होगी...नीतीश के मुस्लिम टोपी पर बवाल क्यों?सीएम नीतीश कुमार को पहनाना चाह रहा था मुस्लिम टोपी, पर उन्होंने नहीं पहना, मगर क्यों?

पटना. बापू सभागार में बिहार मदरसा शिक्षा बोर्ड के शताब्दी समारोह में नीतीश कुमार ने मुस्लिम टोपी पहनने से इंकार कर दिया. पहले सलीम परवेज और फिर मंत्री जमा खान ने टोपी पहनाने की कोशिश की, लेकिन नीतीश ने टोपी लेकर जमा खान को ही पहना दी. इसका वीडियो वायरल होने के बाद राजद और कांग्रेस ने इसे मुस्लिम विरोधी रुख बताकर नीतीश पर निशाना साधा. राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, “नीतीश अब किसी धर्म का सम्मान नहीं करते”. वहीं, कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने तंज कसा कि नीतीश हमेशा अल्पसंख्यकों को “टोपी पहनाते” रहे हैं. तेजस्वी यादव ने भी सीएम नीतीश पर करारा कटाक्ष किया है. वहीं ‘टोपी ट्रांसफर’ (नीतीश के टोपी नहीं पहनने की बात) के मुद्दे को लेकर अब सियासत गर्म है. नीतीश कुमार को मुस्लिमों के खिलाफ बताया जा रहा है और उनका भगवाकरण होने का आरोप लगाया जा रहा है. लेकिन क्या यही सच है? दरअसल नीतीश कुमार ने मुस्लिमों के लिए जितने काम किये हैं, वे मिसाल हैं. सीएम नीतीश ने अपने कार्यकाल में जितने काम किये उतने न तो कांग्रेस के राज में हुए और न ही लालू राबड़ी शासनकाल में. अब जब सीएम नीतीश के टोपी नहीं पहनने को लेकर सवाल उठाया जा रहा है इसको लेकर सवाल उठता है कि बिहार में टोपी ट्रांसफर की सियासत क्या है?

नीतीश का रुख और सेक्युलर छवि पर सवाल

नीतीश कुमार की सेक्युलर छवि उनकी राजनीति की पहचान रही है. उन्होंने अक्सर कहा है कि- “टीका भी लगाना होगा, टोपी भी पहननी होगी”. हालांकि, बीजेपी से गठबंधन के बाद हाल के वर्षों में उनके कुछ कदमों पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं. इस कहानी में आगे बढ़ें इससे पहले यह जाने कि नीतीश कुमार ने केवल टोपी पहनने से ही नहीं, बल्कि पंडित जी को टीका लगाने से भी रोक दिया था. जानकार कहते हैं कि इस घटना के पीछे का कारण यह था कि नीतीश कुमार ने सभी धर्मों का सम्मान करने और किसी एक धर्म को विशेषाधिकार नहीं देने की नीति अपना रखी है.

नीतीश कुमार की सोच और जमीन की हकीकत

जानकार कहते हैं कि नीतीश कुमार की इस सोच के पीछे का उद्देश्य यह था कि सभी धर्मों और समुदायों को समान सम्मान और अवसर मिलना चाहिए. उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि किसी एक धर्म को विशेषाधिकार न दिया जाए और सभी धर्मों का सम्मान किया जाए. इस घटना का महत्व यह है कि नीतीश कुमार ने अपने कार्यों के माध्यम से यह दिखाया कि वह सभी धर्मों का सम्मान करने और समानता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हालांकि, सीतामढ़ी में मंदिर में टीका लगाने से इंकार और अब टोपी विवाद ने विपक्ष को मौका दिया है.

नीतीश कुमार और मुसलमान, जानिये कितने किये काम

राजद का दावा है कि नीतीश का “भगवाकरण” हो रहा है. हालांकि, जदयू का कहना है कि नीतीश ने टोपी इनकार नहीं किया, बल्कि सम्मान में जमा खान को पहनाया. लेकिन, आरोपों-प्रत्यारोपों से इतर जानते हैं कि सीएम नीतीश ने मुस्लिम समुदाय के लिए क्या-क्या कार्य किये और करवाए हैं जो पहले की सरकारों ने सोचे तक नहीं थे. नीतीश कुमार ने 2006 से शुरू हुआ कब्रिस्तानों की घेराबंदी का कार्य इसका बड़ा उदाहरण है. बिहार में 9,000 पंजीकृत कब्रिस्तानों में से 8,000 की घेराबंदी पूरी हुई. मदरसा शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के समान वेतन, उर्दू अनुवादकों और शिक्षकों की नियुक्ति, अल्पसंख्यक छात्रावासों का निर्माण जैसे कदमों ने मुस्लिम समुदाय को सशक्त किया. बिहार अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष गुलाम रसूल बलियावी ने कहा, नीतीश ने मुस्लिमों के लिए जितना किया, उतना किसी और ने नहीं.

सीएम नीतीश कुमार के टोपी नहीं पहने पर सवाल क्यों?

जानकार बताते हैं कि नीतीश कुमार ने मुस्लिमों के लिए जितने काम किये हैं वह मिसाल है. सीएम नीतीश ने जितने काम किये उतने न तो कांग्रेस के राज में हुए और न ही लालू राबड़ी शासनकाल में. अब जब सीएम नीतीश के टोपी नहीं पहनने को लेकर सवाल उठाया जा रहा है इसको लेकर सवाल उठता है कि बिहार में टोपी ट्रांसफर की सियासत क्या है? कांग्रेस के शासनकाल में सबसे बड़ा दंगा भागलपुर का हुआ था. लालू यादव पर कामेश्वर यादव को संरक्षण देने के आरोप लगे थे.

भागलपुर दंगा में नीतीश की सख्ती बनाम पूर्व सरकारों की नाकामी

वर्ष 1989 के भागलपुर दंगे में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे जो कांग्रेस शासनकाल की सबसे बड़ी विफलता थी. जांच में देरी और दोषियों को सजा नहीं मिली. इसके बाद राजद शासनकाल में भी दंगाइयों को संरक्षण के आरोप लगे. नीतीश ने सत्ता में आते ही जांच तेज की और दोषियों को सजा दिलाई, पीड़ितों को मुआवजा दिया. उनकी सरकार ने सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए, जो पहले की सरकारों में नहीं दिखे. 2020 के चुनाव में जदयू से 19 मुस्लिम विधायक जीते जो नीतीश के समर्थन को बताता है.

कांग्रेस और राजद पर दिखावे की सियासत का आरोप

कांग्रेस और राजद ने मुस्लिम वोटों को साधने के लिए प्रतीकात्मक कदम उठाए, लेकिन ठोस कार्यों में कमी रही. राजद की “एमवाई” (मुस्लिम-यादव) रणनीति ने ऊपरी मुस्लिम जातियों को लाभ पहुंचाया, लेकिन पसमांदा जैसे गरीब मुस्लिम समुदाय उपेक्षित रहे. नीतीश ने एनआरसी का खुलकर विरोध किया और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए कदम उठाए. राजद की तुलना में नीतीश ने शिक्षा, रोजगार और बुनियादी ढांचे में समुदाय को अधिक लाभ पहुंचाया. कांग्रेस और राजद शासनकाल में ऐसी उपलब्धियां कम दिखीं.

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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First Published :

August 23, 2025, 10:13 IST

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