Last Updated:August 23, 2025, 07:44 IST
Rare Earth Magnet: रेयर अर्थ मैग्नेट मॉडर्न टेक्नोलॉजी के लिए काफी जरूरी है. इसके बिना इलेक्ट्रिक कार से लेकर स्मार्टफोन तक की मैन्यूफैक्चरिंग असंभव सी हो जाएगी. टेक्नोलॉजी की पूरी दुनिया अटक सी जाएगी.

Rare Earth Magnet: सोचिए अगर एक दिन ऐसा हो जाए कि आपके मोबाइल फोन की स्क्रीन न चले, टेस्ला जैसी इलेक्ट्रिक कारें रुक जाएं, टीवी की चमकदार तस्वीर गायब हो जाए, हवाई जहाज़ का इंजन अटक जाए या पावर प्लांट की टर्बाइन ठप पड़ जाए तो इसका सबसे बड़ा कारण होगा रेयर अर्थ चुंबकों का गायब होना.
असल में मॉडर्न टेक्नोलॉजी का पूरा खेल इन रेयर अर्थ मिनरल्स पर टिका है. ये 17 धातुएं हैं, जिन्हें जमीन से निकालना और रिफ़ाइन करना बेहद मुश्किल है. खास बात यह है कि इनसे बने चुंबक ही स्मार्टफोन से लेकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों तक हर हाईटेक मशीन का दिल हैं. बिना इनके इलेक्ट्रिक कार का मोटर नहीं चलेगा, स्मार्टफोन की स्क्रीन नहीं जलेगी और आधुनिक तकनीक की पूरी दुनिया भी ठप पड़ जाएगी.
चीन की पकड़ और दुनिया की मजबूरी
आज दुनिया भर में रेयर अर्थ की 60-70% खदानें चीन के पास हैं और इनकी रिफ़ाइनिंग का 90% काम वहीं होता है. यानी हर 10 में से 9 चुंबक चीन से आते हैं. यही वजह है कि चीन इस क्षेत्र का ओपेक बन चुका है, जैसा कभी अरब देश तेल के मामले में थे.
अमेरिका, जापान और यूरोप जैसे देशों ने शुरुआती सालों में इन धातुओं को उतनी अहमियत नहीं दी, लेकिन चीन ने 70 के दशक से ही पूरी रणनीति बना ली थी. उसने बड़े पैमाने पर खनन शुरू किया, रिफ़ाइनिंग टेक्नोलॉजी विकसित की और इतने सस्ते दाम पर सप्लाई दी कि अमेरिका ने 2002 में अपनी खदानें तक बंद कर दीं. नतीजा दुनिया चीन पर पूरी तरह निर्भर हो गई.
इलेक्ट्रिक कारों का खेल और खतरा
आज जब क्लाइमेट चेंज से लड़ने के लिए पेट्रोल-डीजल की जगह बैटरी वाली गाड़ियों का युग शुरू हो रहा है, रेयर अर्थ चुंबक और भी अहम हो गए हैं. टेस्ला जैसी कंपनियां अगर इन धातुओं से बने चुंबक न पाएं तो उनका उत्पादन ठप पड़ जाएगा. यही वजह है कि चीन ने जब सप्लाई रोकने की धमकी दी तो ऑटोमोबाइल कंपनियों से लेकर मोबाइल इंडस्ट्री तक हड़कंप मच गया.
भारत कहां खड़ा है?
भारत की जमीन में करीब 70 लाख टन रेयर अर्थ मिनरल्स होने का अनुमान है. लेकिन चुनौती यह है कि इनको निकालना, साफ़ करना और चुंबक में बदलना आसान नहीं. तकनीक और ढांचा तैयार करने में समय लगेगा. भारत ने इसके लिए नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन शुरू किया है ताकि भविष्य में चीन पर निर्भरता कम हो.
नया ‘तेल युद्ध’ बन सकता है रेयर अर्थ
तेल की राजनीति ने दुनिया का नक्शा बदला था. अब वही हालात रेयर अर्थ मिनरल्स को लेकर बन सकते हैं. चीन के पास सबसे बड़ा भंडार (करीब 4.4 करोड़ टन) है, ब्राज़ील (2.1 करोड़ टन) दूसरे नंबर पर और भारत तीसरे नंबर पर है. भविष्य की जंग पेट्रोल-डीज़ल पर नहीं बल्कि इन धातुओं पर हो सकती है.
टेक्नोलॉजी की धड़कन
आज टेक्नोलॉजी की हर धड़कन रेयर अर्थ मिनरल्स पर टिकी है. चीन की पकड़ इतनी मज़बूत है कि वह पूरी दुनिया को ब्लैकमेल कर सकता है. आने वाले सालों में यही रेयर अर्थ नए जमाने का कच्चा तेल बनने वाले हैं. अगर दुनिया ने समय रहते विकल्प नहीं तलाशा, तो अगला वर्ल्ड वॉर ‘तेल’ नहीं बल्कि ‘रेयर अर्थ चुंबक’ पर लड़ा जा सकता है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 23, 2025, 07:44 IST