China on rare-earth metals: चीन के एक ऐलान ने अमेरिका में खलबली मचा दी है. जिसकी वजह से यूएस थिंक टैंक का मूड और मनोदशा दोनों खराब होने लगी है. इसकी वजह कोई ऐसी वैसी नहीं 'रेयर ऑफ द रेयरेस्ट' और विशुद्ध कारोबारी है. मस्क जैसे दोस्त के 'दुश्मन' बनने से भी उन्हें इतना सदमा नहीं लगा था, जितनी हालत शी जिनपिंग के इस फैसले ने खराब कर दी है. अगर ये कहें कि अमेरिका के 'सुपरपावर' होने का टैग मानो खतरे में आ गया है.
क्या है '2025 का घोषणा नंबर 62'?
चीनी वाणिज्यिक मंत्रालय ने इसी महीने '2025 का घोषणा नंबर 62' जारी करके ऐसा नियम बना दिया जो था तो चीनी अधिकारियों और कारोबारियों के लिए लेकिन इसकी गूंज हजारों किलोमीटर दूर अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन डीसी में सुनाई दी. '2025 की घोषणा संख्या 61' के मुताबिक चीन ने इस साल अप्रैल में घोषित सात के अलावा पांच अन्य रेयर अर्थ मैटेरियल्स के निर्यात पर अपना नियंत्रण बढ़ा दिया है. इस लिस्ट में जोड़े गई पांच धातुएं होल्मियम, एर्बियम, थ्यूलियम, यूरोपियम और यटरबियम हैं. इससे पहले चीन ने जनवरी में जिन 7 मैटेल्स यानी दुर्लभ खनिजों के एक्सपोर्ट को बैन किया था, वो - सैमरियम, गैडोलीनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम, ल्यूटेटियम, स्कैंडियम और यट्रियम थें.
दुनिया में कितने तरह के रेयर अर्थ मैटेरियल?
अब तक वैज्ञानिकों ने कुल 17 रेयर अर्थ मैटेरियल्स की खोज की है. रेयर अर्थ मिनरल्स फिलहाल 17 दुर्लभ खनिजों का एक समूह है जिनकी रासायनिक प्रकृति एक जैसी है. मौजूदा दौर में हाईटेक उत्पादों को बनाने में इनका इस्तेमाल होता है.
जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति ट्रंप के 'टैरिफ बम' की धमकियों के बीच जारी अघोषित ट्रेड वार की नौटंकी से निपटने के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ये नया नियम जारी करके 17 में से 12 के एक्सपोर्ट को कड़े नियंत्रण में ले लिया है. इसके साथ चीन ने रेयर अर्थ मैटेरियल को फिल्टर करने के लिए उपयोग किए जाने वाले विशेष तकनीकी उपकरणों के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि इनमें अधिकांश प्रतिबंध 1 दिसंबर से प्रभावी होंगे.
शी जिनपिंग के इस ऐलान का सीधा मतलब है कि नए नियमों के तहत विदेशी कंपनियों को चीनी सरकार से उन उत्पादों के निर्यात की मंजूरी लेनी होगी जिनमें थोड़ी-सी भी रेयर अर्थ की मात्रा होगी और उन्हें उस उत्पाद के इस्तेमाल को लेकर भी घोषणा करनी होगी. डॉलर, चिप और हथियारों के दम पर अमेरिका सुपरपावर है खैर हथियार तो रूस और अन्य देशों के पास भी है लेकिन डॉलर की मजबूती और तकनीकि उत्पादों के चलते वो नंबर वन बना हुआ है.
अगर चीन ने पूरी तरह अमेरिका के लिए रेयर अर्थ मैटेरियल बैन कर दिया तो उसे ये काम कहीं और से चलाना होगा और चीन अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से रेयर अर्थ का सुपरपावर है ऐसे में वो आने वाले समय में दुनिया के वर्ल्ड ऑर्डर में बदलाव करके नया सिरमौर बन सकता है.
ऐसे हुआ तो ट्रंप का अमेरिका को फिर से महान बनाने का दावा किसी दगे कारतूस की तरह फुस्स हो जाएगा और राष्ट्रपति का ये कार्यकाल खत्म होने के बाद उनका बुढापा और खराब हो जाएगा शायद इसलिए वो रेयर अर्थ धातुओं को लेकर चीन के फैसले से 'जल बिन मछली' की तरह तड़प रहे हैं.