Last Updated:August 23, 2025, 06:04 IST
Fed Reserve Interest Rate : अमेरिकी केंद्रीय बैंक के प्रमुख जेरोम पॉवेल आखिरकार राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव के आगे झुक गए और सितंबर में होने वाली बैठक के दौरान ब्याज दरें घटाने का संकेत भी दे दिया है.

नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सिर्फ भारत या दुनिया के अन्य देशों पर ही नहीं धौंस जमा रहे हैं, बल्कि अपने यहां के अधिकारियों पर भी दबाव डालने से नहीं चूकते. अमेरिका में कमजोर जॉब के आंकड़े आने और महंगाई बढ़ने के बावजूद वह फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल पर ब्याज दरें घटाने का दबाव बना रहे थे. अब पॉवेल ने भी संकेत दे दिया है कि ब्याज दरों में जल्द कटौती की जा सकती है. पॉवेल ने इससे जॉब मार्केट को कुछ राहत मिलने की बात तो स्वीकारी लेकिन यह भी कहा कि टैरिफ का असर कीमतों पर भी साफ-साफ दिखने लगा है.
अमेरिका में पिछले 8 महीने से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है और फेड रिजर्व प्रमुख की मंशा यही थी कि महंगाई काबू में आने तक इस ब्याज दरों को यथावत रखा जाए. उन्होंने शुक्रवार को कहा भी था कि ज्यादा महंगाई का जोखिम और कमजोर जॉब मार्केट की वजह से चुनौतीपूर्ण माहौल बन रहा है. नौकरियां घटने का जोखिम गहराता जा रहा है, जबकि टैरिफ का असर महंगाई पर भी दिखने लगा है. टैरिफ का साफ असर उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर दिख रहा है और आने वाले समय में अनिश्चितता और बढ़ेगी.
पॉवेल का हो सकता है आखिरी फैसला
माना जा रहा है कि फेड रिजर्व के प्रमुख का ब्याज दरों को लेकर यह आखिरी फैसला हो सकता है, क्योंकि उनका कार्यकाल अब पूरा होने वाला है और ट्रंप प्रशासन निश्चित रूप से उन्हें आगे रखने पर सहमत नहीं होगा. फिलहाल वह दोधारी तलवार पर चल रहे हैं, क्योंकि ट्रंप के टैरिफ से एक तरफ तो महंगाई बढ़ रही है और दूसरी ओर जॉब मार्केट पर दबाव बढ़ता जा रहा है. साथ उन्हें ट्रंप की आलोचनाओं का भी शिकार बनना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि लेबर मार्केट में बैलेंस बनाने में दिक्कतें तो आ रही हैं, लेकिन वर्कर की डिमांड को माहौल बन रहा है.
दुविधापूर्ण होता जा रहा माहौल
पॉवेल ने कहा कि टैरिफ का असर अब उपभोक्ताओं की जरूरत वाले सामान पर साफ दिखने लगा है और आने वाले महीने इससे भी ज्यादा दुविधापूर्ण होंगे. टैरिफ लगाने का समय अभी सही नहीं था, लेकिन इससे निपटने की तैयारियां भी कर रहे हैं. हम यह नहीं होने देना चाहते कि महंगाई के इस दौर में वस्तुओं के दाम एकसाथ बढ़ जाएं. इसके लिए फेड रिजर्व को कई मोर्चे पर एकसाथ काम करना होगा.
कहां-कहां दिख रहा जोखिम
फेड रिजर्व की बैठक सितंबर के मध्य में होनी है और पिछले साल दिसंबर के बाद से अब तक उसकी दरें 4.25 फीसदी से 4.5 फीसदी के बीच दिख रही थी. दुनिया की सबसे बड़ी इकनॉमी के सामने लेबर मार्केट को सुधारने की भी चुनौतियां आ गई हैं. टैरिफ ने देश में आयात होने वाली वस्तुओं की कीमतें बढ़ा दी हैं, जिसका असर महंगाई पर भी दिख रहा और ऐसी स्थिति में ब्याज दरों में कटौती करना संभव नहीं होता. फेड का मानना है कि महंगाई दर को 2.6 फीसदी के आसपास ही रखा जाए, जबकि फूड और एनर्जी की महंगाई दर अभी 2.8 फीसदी से ज्यादा है, जो फेड के तय दायरे से बाहर दिख रही है. आधिकारिक आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि मई और जून में जॉब मार्केट काफी दबाव में रहा और हायरिंग भी कम हुई. अनुमान लगाए जा रहे कि इस बार फेड अपनी ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 23, 2025, 06:04 IST