नई दिल्ली. चुनाव में राजनीतिक पार्टियों को पैसे देना और उनका सपोर्ट करना तो दुनियाभर में होता है. अमेरिका में भी सालों से ऐसा होता आया, लेकिन इस बार के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से जो कुछ भी दिख रहा है, वह न सिर्फ अमेरिका के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए बिल्कुल नया है. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान देखा होगा कि दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी एलन मस्क खुलकर उनका सपोर्ट कर रहे थे. यहां तक तो ठीक है, लेकिन चुनाव के बाद जिस तरह से मस्क पूरी दुनिया को ज्ञान देते फिर रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि ट्रंप को आने के बाद वह खुद को कुछ ज्यादा ही ताकतवर समझने लगे हैं.
हाल की कुछ घटनाओं से साफ पता चलता है कि ट्रंप की वापसी के बाद कैसे अमेरिका के कुछ बिजनेसमैन खुद को सरकार के खासमखास की तरह पेश करना शुरू कर दिए हैं. इसमें सबसे आगे हैं एलन मस्क तो जॉर्ज सोरोस भी दूसरे देशों पर निशाना साधने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते. अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कुर्सी से जाते-जाते सोरोस को अमेरिका का सर्वोच्च नागरिकता सम्मान देकर एक नया बखेड़ा खड़ा कर दिया. यह घटना भी दिखाती है कि कैसे सरकारें खुलेआम अपने चहेते अरबपतियों को सपोर्ट करती हैं. खैर, मस्क का नया रूप आम आदमी को भले ही अच्छा लगे लेकिन हर किसी के फट्टे में टांग अड़ाने की उनकी आदत दुनिया के कई बड़े नेताओं को अच्छी नहीं लग रही.
क्यों इतना चढ़े हुए हैं मस्क
एलन मस्क हालिया चुनाव के बाद इतना मुखर कैसे हो गए, इसके पीछे दो बड़ी वजहें हैं. पहली बात तो ये है कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी एक बिजनेसमैन हैं. जाहिर है कि दुनिया के सबसे बड़े बिजनेसमैन के साथ उनकी करीबी स्वाभाविक तौर पर रहेगी. दूसरी बात कि एलन मस्क भी खुले हाथों ट्रंप पर लक्ष्मी लुटा रहे हैं. चुनाव के दौरान मस्क ने करीब 2,142.5 करोड़ रुपये ट्रंप के अभियान में खर्च किए. अब जबकि सस्ता ट्रंप के हाथ आ चुकी है तो एलन मस्क इसका फायदा तो जरूर ही उठाना चाहेंगे. ये तो हुई अलग बात, लेकिन जिस तरह वे दुनिया के अन्य देशों के खिलाफ जहर उगल रहे है, वह सभी को अखरना शुरू हो गया है.
मस्क ने किन देशों से लिया पंगा
एलन मस्क ने हाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यूरोपीय देश जर्मनी में होने वाले चुनाव पर निशाना साधा था. इसके बाद यूरोप के तमाम नेताओं ने मस्क को आड़े हाथों लिया. मस्क ने जर्मन चांसलर ओलाफ शोज को ‘मूर्ख’ बताया था और उन्हें इस्तीफा देने की नसीहत तक दे डाली थी. इसके बाद जर्मन चांसलर ने मस्क को तगड़ा रिप्लाई किया. बाद में उनके साथ नॉर्वे, ब्रिटेन और फ्रांस के नेता भी शामिल हो गए और सभी ने मस्क से जुबानी जंग छेड़ दी.
किस नेता ने मस्क को क्या बोला
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने चेतावनी दी कि स्पेसएक्स के मालिक ने ‘एक सीमा’ पार कर दी है. मस्क ने कहा था कि बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार ब्रिटिश प्रधानमंत्री को जेल में डाल देना चाहिए और वह बलात्कार के लिए माफी भ्ज्ञी मांगें. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मस्क पर एक नए ‘अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियावादी आंदोलन’ को बढ़ावा देने और चुनावों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया. नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोरे ने कहा कि यह चिंताजनक है कि इतनी शक्ति रखने वाला व्यक्ति (एलन मस्क) अन्य देशों के मामलों में इतनी सीधी भागीदारी कर रहा है. जर्मन सरकार ने पहले ही अरबपति एलन मस्क की आलोचना की है, क्योंकि उन्होंने आगामी चुनावों में एक दूर-दराज़ समर्थक रूस पार्टी, अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD) का समर्थन किया था. इसके बाद जर्मनी के चांसलर ने भी मस्क पर पलटवार किया था.
सोरोस से भी भिड़ गए मस्क
एलन मस्क सिर्फ विदेशी नेताओं पर ही नहीं, अमेरिका में भी अपने या यूं कहें कि ट्रंप के विरोधियों पर खुल्लमखुला निशाना साधते हैं. हाल में जब जो बाइडन ने जॉर्ज सोरोस को सर्वोच्च नागरिकता सम्मान दिया तो मस्क ने फिर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सोरोस का बुरा सपना ही अमेरिका और यूरोप को नष्ट कर रहा है. सोरोस वही शख्स हैं जो गाहे बगाहे भारत और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते रहते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
January 8, 2025, 11:46 IST