ट्रंप के घर में सेंध लगाने में पाकिस्तान से 300 फीसदी पीछे भारत, जानिए कैसे?

1 week ago

Last Updated:August 14, 2025, 12:15 IST

India vs Pakistan: दुनिया को यदि अपने इशारे पर चलाना है तो बम-तोप के साथ नैरेटिव वॉर में भी अपना दबदबा बनाना जरूरी है. डोनाल्‍ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में इसका असर देखने को मिल रहा है.

ट्रंप के घर में सेंध लगाने में पाकिस्तान से 300 फीसदी पीछे भारत, जानिए कैसे?पाकिस्‍तान अमेरिकी पावर कॉरिडोर और राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के आधिकारिक घर व्‍हाइट हाउस में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए भारत के मुकाबले 300 फीसद ज्‍यादा खर्च कर रहा है. (फोटो: एपी)

India vs Pakistan: पहलगाम अटैक और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्‍तान में नैरेटिव वॉर छिड़ गया है. खासकर अमेरका की कैपिटल सिटी वॉशिंगटन में पैठ बनाने की जद्दोजहद शुरू हो गई है. वॉशिंगटन के पावर कॉरिडोर यानी व्‍हाइट हाउस में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए दुनिया के तमाम देश लॉबिंग पर लाखों डॉलर खर्च करते हैं. भारत और पाकिस्‍तान भी इससे अछूता नहीं है. इस मामले में भारत पड़ोसी देश पाकिस्‍तान पर हमेशा भारी पड़ता रहा है. अब चौंकाने वाली जानकरी सामने आई है. राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के घर में सेंध लगाने के लिए पाकिस्‍तान ने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं. इस्‍लामाबाद अमेरिका में लॉबिंग के लिए भारत से 300 फीसद ज्‍यादा खर्च कर रहा है. मतलब यह कि इस मामले में भारत पाकिस्‍तान से पिछड़ गया है.

वॉशिंगटन डीसी के गलियारों में पहुंच बनाने के लिए पाकिस्तान, भारत की तुलना में तीन गुना ज्यादा खर्च कर रहा है. यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस में दर्ज दस्तावेजों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान हर महीने लगभग 6 लाख डॉलर (5 करोड़ रुपये) लॉबिंग और स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन पर खर्च कर रहा है, जबकि भारत का मासिक खर्च सिर्फ 2 लाख डॉलर (करीब 1.66 करोड़ रुपये) ही है. आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने व्हाइट हाउस, कांग्रेस (अमेरिकी संसद) और अन्य सरकारी एजेंसियों में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए छह लॉबिंग और लीगल फर्म की सेवाएं ली हैं. दूसरी ओर, भारत केवल दो लॉबिंग फर्म को ही इसके लिए हायर किया है. बता दें कि भारत की इकोनॉमी पाकिसतान की अर्थव्‍यवस्‍था से 10 गुना ज्‍यादा बड़ी है.

लॉबिंग का दिख रहा नतीजा

अमेरिका में पाकिस्तान की सक्रियता के हालिया नतीजे भी देखने को मिले हैं. इस्लामाबाद ने अपनी लॉबिंग के जरिए सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की मुलाकात राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से करवाई. इसके अलावा, पाकिस्तान ने अमेरिकी प्रशासन को अपने क्रिटिकल मिनरल्स और तेल भंडार में निवेश के अवसरों से आकर्षित किया है. हाल के महीनों में वॉशिंगटन ने पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में भी मान्यता दी है. ‘हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स’ की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के लॉबिंग नेटवर्क में कई फर्म ट्रंप सरकार से करीबी रिश्ते रखती हैं. ऑर्किड एडवाइजर्स एलएलसी को पाकिस्तान 2.5 लाख डॉलर प्रति माह दे रहा है. इसका मकसद ट्रंप प्रशासन, वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ तक पाकिस्तान की पहुंच बढ़ाना है. सीडन लॉ को 2 लाख डॉलर हर महीने माह दिए जा रहे हैं. यह फर्म अमेरिका-पाकिस्तान के बीच आर्थिक साझेदारी (विशेषकर क्रिटिकल मिनरल्स सेक्टर में) मजबूत करने पर काम कर रही है. रिपोर्ट की मानें तो इसी फर्म ने अमेरिका के 30% टैरिफ को घटाकर 19% कराने में मदद की. सीडन लॉ के सब-कॉन्ट्रैक्टर जैवलिन एडवाइजर्स के संस्थापक ट्रंप के पूर्व बॉडीगार्ड कीथ शिलर और ट्रंप ऑर्गनाइजेशन के पूर्व एग्जीक्यूटिव जॉर्ज सोरियल हैं.

पाकिस्‍तानी नैरेटिव का विस्‍तार

कॉन्शियंस प्वाइंट कंसल्टिंग को 25 हजार डॉलर प्रति माह और पब्लिक रिलेशन फर्म क्वॉर्विस को 1.5 लाख डॉलर हर महीने मिल रहे हैं. क्वॉर्विस ने पहले 9/11 हमलों के बाद सऊदी अरब की छवि सुधारने का काम किया था. इन नेटवर्क्स के जरिए पाकिस्तान न केवल आर्थिक मुद्दों पर, बल्कि कश्मीर और भारत से जुड़े नैरेटिव को भी अमेरिकी कांग्रेस, व्हाइट हाउस और पब्लिक तक पहुंचा रहा है.

भारत का सीमित खर्च और रणनीति

भारत ने अमेरिका में लॉबिंग के लिए दो प्रमुख फर्में नियुक्त की हैं. एसएचडब्ल्यू पार्टनर्स को 1.5 लाख डॉलर हर माह दिए जा रहे हैं. इसके मुखिया पूर्व ट्रंप सलाहकार जेसन मिलर हैं, जो साल 2016 में ट्रंप के चीफ मीडिया स्पोक्सपर्सन रह चुके हैं. हालांकि, मिलर पर निजी जीवन से जुड़ी विवादित आरोप भी लग चुके हैं. बीजीआर एसोसिएट्स को 50 हजार डॉलर प्रति माह मिलते हैं. यह वॉशिंगटन की तीसरी सबसे बड़ी लॉबिंग फर्म मानी जाती है और ट्रंप प्रशासन से इसके गहरे रिश्ते हैं. बीजीआर ने दक्षिण कोरिया, सर्बिया, पनामा और साइप्रस जैसे देशों के लिए भी लॉबिंग की है. हालांकि, इसके साथ भारत के कॉन्‍ट्रैक्‍ट की ताज़ा प्रति यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि यह फर्म अभी भी भारत के लिए काम कर रही है.

3:1 की बढ़त

पाकिस्तान के 3:1 वित्तीय बढ़त का मतलब है कि वह अमेरिका में ज्यादा राजनीतिक और आर्थिक पॉलिसी मेकर्स तक पहुंच बना सकता है. यह स्थिति भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती है, खासकर ऐसे समय में जब नई दिल्ली पाकिस्तान को आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराने और कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपना पक्ष अमेरिका तक मजबूती से पहुंचाने की कोशिश कर रही है. वॉशिंगटन में पावर पॉलिटिक्स का बड़ा हिस्सा लॉबिंग और रणनीतिक संचार से तय होता है. ऐसे में पाकिस्तान की बढ़ी हुई निवेश क्षमता और नेटवर्किंग भारत के लिए एक लंबी अवधि की प्रतिस्पर्धा का संकेत देती है, जिसका असर आने वाले महीनों में द्विपक्षीय और क्षेत्रीय नीतियों पर दिख सकता है.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 14, 2025, 12:11 IST

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