ट्रंप को रास नहीं आ रहा जिनका साथ.. उनको साइडलाइन करने का बनाया खास प्लान

1 week ago

डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल दुनियाभर के राजनीतिक एक्सपर्ट्स के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है. क्या कुछ हो जाए कहा नहीं जा सकता है. वैसे भी ट्रंप अपनी खास कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं. इसी कड़ी में सॉफ्ट लैंडिंग प्लान चर्चा में है. सीधे बर्खास्तगी की बजाय नई पोस्टिंग देकर बाहर निकाला जाता है. ट्रंप ने अपनी टीम में वफादार लोगों को जगह दी है लेकिन जिनसे तालमेल नहीं बैठ पा रहा उन्हें साइडलाइन करने का खास प्लान अपनाया जा रहा है. हाल ही में तीन बड़े पदों पर बदलाव इसी रणनीति का हिस्सा माने जा रहे हैं.

इसे फायरिंग कहना गलत है?

असल में इस प्लान का पहला नाम है नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर माइक वाल्ट्ज का जिन्होंने गलती से एक पत्रकार को प्राइवेट चैट में जोड़ दिया था. चैट में यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य अभियान पर चर्चा हो रही थी. इस गड़बड़ी के बाद भी ट्रंप ने उन्हें सीधे नहीं हटाया बल्कि संयुक्त राष्ट्र में राजदूत नियुक्त कर दिया. ट्रंप ने इसे नेशन फर्स्ट के लिए वाल्ट्ज के योगदान की सराहना के रूप में पेश किया. उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी कहा कि इसे फायरिंग कहना गलत है क्योंकि ट्रंप ने उन्हें सीनेट कन्फर्मेशन वाली नई जिम्मेदारी दी है.

गलती के बाद भी तारीफ कर रहे

दूसरा मामला स्टेट डिपार्टमेंट की प्रवक्ता टैमी ब्रूस का है. वे विदेश मंत्री मार्को रुबियो की टीम के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रही थीं. साथ ही मध्य पूर्व-यूक्रेन और अन्य मुद्दों पर प्रेस ब्रीफिंग में जवाब देने से बचने लगी थीं. एक मौके पर उन्होंने गलत जानकारी भी दे दी कि विशेष दूत गाजा क्षेत्र जा रहे हैं. जबकि वे यूरोप के दौरे पर थे. इसके बावजूद ट्रंप ने उनकी तारीफ की और उन्हें संयुक्त राष्ट्र में डिप्टी रिप्रेजेंटेटिव बना दिया.

तीसरा नाम है बिली लॉन्ग का जिन्होंने पद संभालने के दो महीने में ही प्रशासन के संदेश के उलट बयान दिए. जैसे डायरेक्ट फाइल प्रोग्राम खत्म करने की बात. बाद में व्हाइट हाउस ने उन्हें आइसलैंड का राजदूत बना दिया. व्हाइट हाउस का कहना है कि राष्ट्रपति लॉन्ग को पसंद करते हैं और मानते हैं कि वे इस पद पर बेहतर काम करेंगे.

'आप फायर हैं' कहने से बच रहे

ट्रंप का यह तरीका एक तरफ नापसंद लोगों को बड़ी भूमिकाओं से हटाने का है तो दूसरी तरफ उन्हें प्रशासन के दायरे में रखकर संभावित आलोचकों में बदलने से रोकने का भी. उनके पहले कार्यकाल में जहां कई बड़े अधिकारियों को सीधे बाहर कर दिया गया था वहीं इस बार वे 'आप फायर हैं' कहने से बच रहे हैं. लेकिन राजनीतिक गणित में फिट न बैठने वालों को किनारे करने में भी पीछे नहीं हैं.

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