Last Updated:August 08, 2025, 08:45 IST
India-US Tariff War: ट्रंप की टैरिफ धमकी के बाद भारत ने ‘रेयर अर्थ’ सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने की योजना शुरू की. मोदी सरकार देश में ही प्रोसेसिंग यूनिट और मैगनेट फैक्ट्री लगाने की रणनीति पर काम कर रही है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब भारत पर और टैरिफ यानी टैक्स लगाने की धमकी दी, तो यह सिर्फ एक व्यापारिक चेतावनी नहीं थी. इसके पीछे एक बड़ा संदेश छिपा था- अगर भारत कुछ जरूरी चीजों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहेगा, तो किसी भी समय उसे नुकसान झेलना पड़ सकता है. खासकर रेयर अर्थ सेक्टर में, जो तकनीकी और रक्षा जैसे अहम क्षेत्रों के लिए बेहद जरूरी होता है.
ऐसे में अब मोदी सरकार ने तय कर लिया है कि भारत को हर हाल में आत्मनिर्भर बनना है. खासकर उन चीजों में, जो भविष्य की तकनीक, सुरक्षा और उद्योगों के लिए बेहद जरूरी हैं. ऐसी ही एक चीज है- रेयर अर्थ.
क्या होता है ‘रेयर अर्थ’, और क्यों है ये इतना जरूरी?
‘रेयर अर्थ’ यानी दुर्लभ खनिज. ये ऐसे खास मिनरल्स होते हैं जो इलेक्ट्रिक गाड़ियों, मोबाइल फोन, सैटेलाइट, फाइटर जेट और मिसाइल जैसी हाईटेक चीजों को बनाने में काम आते हैं. मतलब साफ है, अगर हमें भविष्य की टेक्नोलॉजी में आगे रहना है तो इन मिनरल्स की जरूरत पड़ेगी ही.
अभी तक भारत इन मिनरल्स को प्रोसेस करने और रेयर अर्थ से बनने वाले मैगनेट (जिसे REPM यानी Rare Earth Permanent Magnet कहते हैं) बनाने के लिए काफी हद तक दूसरे देशों पर निर्भर है, खासकर चीन पर. लेकिन अब सरकार ने इसे बदलने का फैसला किया है.
मोदी सरकार ने बनाई बड़ी योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी निगरानी में सरकार ने तय किया है कि अब भारत खुद अपने यहां रेयर अर्थ प्रोसेस करेगा और उसका इस्तेमाल करके जरूरी चीजें बनाएगा. इस काम में स्टील, माइंस और हेवी इंडस्ट्रीज मंत्रालय मिलकर एक रणनीति पर काम कर रहे हैं. इस पूरी योजना को लेकर केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने News18 को एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे सरकार धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रही है.
देश में ही बनेगा हाईटेक मैगनेट
IREL यानी Indian Rare Earths Limited, जो सरकार की कंपनी है, उसने भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (BARC) और डिफेंस मेटलर्जिकल रिसर्च लैब (DMRL) के साथ मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट का मकसद यह समझना है कि भारत में ही रेयर अर्थ से जुड़ी इंडस्ट्री कैसे खड़ी की जा सकती है.
इस रिपोर्ट को नीति आयोग का भी समर्थन मिला है और अब हेवी इंडस्ट्रीज मंत्रालय इस पर काम शुरू कर चुका है. मंत्रालय इस दिशा में दो बार इंडस्ट्री के लोगों से बातचीत कर चुका है ताकि जरूरतें और चुनौतियों को समझा जा सके.
सिर्फ चीन नहीं, दूसरे देशों से भी मदद लेगा भारत
सरकार की योजना ये भी है कि जब तक भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर नहीं बन जाता, तब तक चीन पर निर्भरता कम करके बाकी देशों से रेयर अर्थ मैगनेट मंगाया जाए. इसके लिए भी इंडस्ट्री और दूसरे मंत्रालयों से बातचीत की जा चुकी है. सरकार चाहती है कि देश के भीतर ही ऐसी कंपनियां खड़ी हों जो REPM यानी Rare Earth Permanent Magnet का निर्माण कर सकें.
अभी एक ही कंपनी करती है मिनरल्स की प्रोसेसिंग
भारत में अभी तक केवल IREL ही इन रेयर अर्थ मिनरल्स की माइनिंग और प्रोसेसिंग का काम करती है. यह कंपनी Department of Atomic Energy के तहत आती है. यही विभाग तय करता है कि देश में कितनी सप्लाई होगी और क्या दूसरे प्राइवेट प्लेयर्स को इसमें लाया जा सकता है या नहीं.
देश के अंदर खनन और माइनिंग बढ़ाने की कोशिश
भारत में अभी तक कई जगहों पर मिनरल्स की खोज और जांच चल रही है, लेकिन असली माइनिंग यानी खनन अभी शुरू नहीं हुआ है. इस वजह से सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा माइनिंग ब्लॉक्स की नीलामी हो, ताकि देश के अंदर ही रेयर अर्थ की सप्लाई बढ़ सके. इसके लिए भी हेवी इंडस्ट्रीज मंत्रालय और माइंस मंत्रालय के बीच 17 जून को एक अहम बैठक हुई थी, जिसमें इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सहमति बनी.
कंपनियों ने दिखाई दिलचस्पी
सरकार जिस योजना पर काम कर रही है, उसमें कई बड़ी कंपनियों ने भी दिलचस्पी दिखाई है. खासकर ऑटोमोबाइल और डिफेंस सेक्टर की कंपनियां चाहती हैं कि वे भारत में ही रेयर अर्थ मैगनेट बनाने की यूनिट लगाएं. इससे न सिर्फ रोजगार बढ़ेगा, बल्कि भारत का तकनीकी विकास भी तेज होगा.
क्या मिलेगा कंपनियों को?
सरकार ने जो योजना बनाई है, उसके तहत दो बड़ी चीजें दी जाएंगी:
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 08, 2025, 08:45 IST