तेजस्वी की 'लंका' में किसने लगाई 'आग', देखते ही देखते क्या से क्या हो गया?

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Last Updated:November 14, 2025, 12:36 IST

Tejashwi Yadav on Bihar Chunav Result: बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव की 'लंका' में किसने लगाई 'आग'? जानें बिहार चुनाव में मोदी और नीतीश की जोड़ी हिट कराने में किसने निभाई अहम भूमिका?

तेजस्वी की 'लंका' में किसने लगाई 'आग', देखते ही देखते क्या से क्या हो गया?तेजस्वी यादव का वोटबैंक कैसे बिहार चुनाव में गया बिखर?

पटना. बिहार चुनाव 2025 में भोजपुरी एक्टर पवन सिंह का गाया गाना ‘जोड़िया मोदीया नीतीश की हिट होई’, वाकई में में कमाल कर गया. पीएम मोदी और सीएम नीतीश की जोड़ी ऐसी हिट हुई कि महागठबंधन के सीएम फेस और आरेजडी नेता तेजस्वी यादव की मुस्लिम-यादव वोट बैंक की लंका हवा में उड़ गई. तेजस्वी यादव का सपना 2020 के बाद अब 2025 में अधुरा रह गया. ऐसे में बड़ा सवाल आखिर तेजस्वी यादव के वोट बैंक मुस्लिम-यादव (MY) वाली लंका में किसने आग लगाई?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे से अब लगभग साफ हो चुका है एनडीए की सरकार बनने जा रही है. एनडीए 190 से अधिक सीट पर या तो आगे या जीत चुकी है. इन नतीजों ने न सिर्फ चुनावी पंडितों को हैरान किया है, बल्कि एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार की जोड़ी का कोई तोड़ नहीं है. खास बात इस जोड़ी को हिट कराने में देश के गृह मंत्री अमित शाह ने असली ‘चाणक्य’ का रोल अदा किया. अमित शाह की ही रणनीति थी, जिसने तेजस्वी यादव के मुस्लिम वोटबैंक पस्त हो गई.

क्यों बिहार में महागठबंधन की हार हुई?

तेजस्वी का सपना, सपना ही क्यों रह गया?

भोजपुरी के पावर स्टार और बीजेपी नेता पवन सिंह ने चुनाव से पहले ही एक गाना रिलीज किया था कि ‘जोड़ी मोदीया नीतीश की हिट होई’, और परिणामों ने इसे पूरी तरह से सही साबित कर दिया है. एनडीए की जीत का सबसे बड़ा झटका आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को लगा है. 2020 के बाद अब 2025 में भी उनका मुख्यमंत्री बनने का सपना अधूरा रह गया. आरजेडी की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण उनका पारंपरिक MY (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक है, जिसमें इस बार बड़ी सेंध लगी है.

मुस्लिम-यादव वोटबैंक में सेंध

सीमांचल जैसे इलाकों में AIMIM और अन्य दलों की उपस्थिति के कारण मुस्लिम वोटों का बंटवारा हुआ. RJD और कांग्रेस के पारंपरिक वोटबैंक में फूट पड़ गई. एनडीए ने इस फूट का पूरा फायदा उठाया. बीजेपी और जेडीयू ने अपने पूरे अभियान में 90 के दशक के ‘जंगलराज’ का डर दिखाया. तेजस्वी यादव पर भले ही कोई दाग न हो, लेकिन आरजेडी के बाहुबली प्रत्याशियों को टिकट देने के फैसले ने सवर्ण और अति पिछड़ा वर्ग ईबीसी के वोटों को तेजी से एनडीए की तरफ धकेल दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. (फाइल फोटो)

यादव वोट में दरार

तेजस्वी यादव ने भले ही नौकरी और विकास की बात की, लेकिन यादव समुदाय का एक बड़ा हिस्सा विशेषकर युवा पीएम मोदी की राष्ट्रीय छवि और केंद्र की योजनाओं से प्रभावित रहा. कुर्मी और कोइरी वोटबैंक के साथ यादवों का एक छोटा हिस्सा भी एनडीए के पक्ष में गया, जिससे आरजेडी की जीत का गणित बिगड़ गया.

साइलेंट वोटर का कमाल

नीतीश कुमार ने महिला मतदाताओं के लिए जो काम किए जैसे शराबबंदी, पंचायतों में आरक्षण आदि उसका फायदा एनडीए को मिला. महिला मतदाताओं ने बड़ी संख्या में एनडीए को वोट दिया, जिससे आरजेडी के माई समीकरण का असर कम हो गया.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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Patna,Patna,Bihar

First Published :

November 14, 2025, 12:36 IST

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