पंजाब में इस बार धान की बंपर फसल हुई है. हालांकि यह हाइब्रिड राइस है और इसे लेकर राइस मिल वालों ने हाय तौबा मचाना शुरू कर दिया है. इस हाइब्रिड चावल को दुनियाभर में उत्पादकता बढ़ाने के लिए मान्यता प्राप्त है, लेकिन पंजाब के राइस मिलर्स ने इन किस्मों की मिलिंग आउटटर्न (OTR) को लेकर चिंता जताई है और उनकी उपयुक्तता पर सवाल उठाए हैं.
इस मामले ने पंजाब में हाइब्रिड चावल को अपनाने के पीछे व्यापक चुनौतियों को उजागर कर दिया है. ऐसे में समझते हैं कि इस हाइब्रिड चावल को लेकर यह विवाद क्या है और पंजाब में इसकी कितनी पैदावार हुई है?
कौन सी हाइब्रिड चावल की किस्में जांच के दायरे में हैं?
पंजाब में पैदा हुई हाईब्रिड राइस की सावा 7501, सावा 7301, और 468 किस्में सवालों के घेरे में हैं. ये हाइब्रिड राइस कई दूसरे भारतीय राज्यों में भी उगाई गई हैं, लेकिन पंजाब के राइस मिलर्स इन वेराइटीज को लेकर खुश नहीं.
पंजाब में इन हाइब्रिड किस्मों की कितनी पैदावार
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) के हवाले से बताया गया है कि वर्ष 2023-24 सीजन में कुल चावल क्षेत्र की लगभग 2% हिस्से में इन तीन हाइब्रिड किस्मों के चवाल की पैदावार हुई है. इसमें 1.20 फीसद चावल सावा 7301, 0.56% चावल सावा 7501, और 0.22% खेतों में 468 वेराइटी की हाइब्रिड राइस लगाई गई. पंजाब में लगभग 32 लाख हेक्टेयर खेत में चावल की खेती होती है, जिसमें लगभग 26 लाख हेक्टेयर धान (गैर-बासमती) शामिल है. इससे संकेत मिलता है कि हाइब्रिड धान की किस्में कुल क्षेत्र का लगभग 5% कवर कर सकती हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया के चेयरमैन और सवाना सीड्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ और एमडी ने अजय राणा कहा, ‘इस साल पंजाब को सवाना किस्मों के लगभग 1,300 से 1,400 टन बीज की सप्लाई की गई थी. यह पहला मौका है जब पंजाब में इन हाइब्रिड चावलों पर सवाल उठाया जा रहा है, जबकि ये पिछले तीन वर्षों से यहां उगाई जा रही हैं.
पंजाब के राइस मिलर्स की चिंता क्या?
राइस मिलर्स का तर्क है कि ये हाइब्रिड चावल मिलिंग प्रोसेस में टूट जाती है, जिससे वित्तीय नुकसान होता है. वह कहते हैं कि भारतीय खाद्य निगम के मानकों के अनुसार यह ऑउटटर्न रेश्यो (OTR) कम से कम 67% होना चाहिए, लेकिन ये हाइब्रिड चावल केवल 60 से 63% आउटटर्न ही दे रहे हैं.
वैसे बीज उद्योग के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये चिंताएं उन कारणों से उपजी हैं जिनका बीजों से कोई लेना-देना नहीं है. कई अध्ययनों में फसल नमी प्रबंधन (हार्वेस्ट मॉइस्चर मैनेजमेंट) पर गौर किया गया है. मिलिंग रिकवरी अनाज में नमी के स्तर पर बहुत निर्भर करती है. बेहतर नतीजों के लिए 22-23% नमी पर कटाई और FCI खरीद के लिए लगभग 16-17% तक धूप में सुखाना, और उसके बाद 13-14% नमी पर मिलिंग जरूरी है. धान खरीद में आने वाली परेशानियों के कारण देर से कटाई से नमी कम हो जाती है, जिससे OTR पर बुरा असर पड़ता है और टूट-फूट बढ़ जाती है. जानकारों का यह भी कहना है कि पंजाब के ज्यादातर मिल मालिकों को बेहतर OTR परिणाम पाने के लिए अपनी मिलों में तकनीक को अपग्रेड करने की जरूरत है.
वह बताते हैं कि 130 दिनों में तैयार होने वाली 7501 किस्म से लगभग 38 से 40 क्विंटल प्रति एकड़ उपज मिलती है, जबकि 125 दिनों की अवधि वाली 7301 किस्म से लगभग 34 क्विंटल प्रति एकड़ उपज मिलती है. उन्होंने कहा कि झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, यूपी और हरियाणा जैसे राज्यों की तुलना में पंजाब में धान की हाइब्रिड किस्मों का रकबा सबसे कम है. इन राज्यों में 25% से 40% क्षेत्र हाइब्रिड के अंतर्गत है और वहाँ मिलिंग आउटटर्न में कोई समस्या नहीं देखी गई है.
जानकारों ने बताया कि हाइब्रिड चावल को दुनिया भर में सफलता मिली है, खासकर चीन और अमेरिका जैसे देशों में. भारत सरकार ने भी खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) जैसी पहलों के तहत हाइब्रिड अपनाने का समर्थन किया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जमीन कम है, लेकिन हाइब्रिड बीज से कम समय में ज्यादा अच्छी फसल होती है.
Tags: Agriculture, Punjab
FIRST PUBLISHED :
November 4, 2024, 19:22 IST