नई दिल्ली. अवैध कब्जे को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण को अदालत के साथ ही आमलोगों की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ता है. इसे देखते हुए DDA ने पिछले कुछ महीनों से अतिक्रमण हटाओ मुहिम की रफ्तार को और तेज कर दिया है. DDA ने इसके तहत देश की राजधानी के कई इलाकों में सरकारी जमीन को कब्जे से मुक्त कराया है. इनमें से कई मामले धार्मिक स्थलों से भी जुड़े हैं. अब ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने DDA के काम में दखल देने से इनकार करते हुए स्थानीय लोगों की ओर से दायर याचिका को खरिज कर दिया है. यह मामला पार्क में बने दशकों पुराने शिव मंदिर से जुड़ा है. हाईकोर्ट ने इस मामले में याची के अधिकार पर ही सवाल उठा दिया. अदालत के आदेश के बाद अब तकरीबन 6 दशक पुराने मंदिर को ढहाने का रास्ता साफ हो गया है.
जानकारी के अनुसार, याची अविनेश कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. दरअसल, DDA ने कोंडली सब्जी मंडी में स्थित शिव पार्क में बने शिव मंदिर को ढहाने का फैसला लिया था. अथॉरिटी के इस कदम को ट्रायल कोर्ट में चुनौती दी गई थी, लेकिन निचली अदालत ने राहत देने से इनकार कर दिया. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. अब हाईकोर्ट ने भी DDA के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया. DDA का दावा है कि सार्वजनिक पार्क में अवैध तरीके से शिव मंदिर का निर्माण किया गया. दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याची के अधिकार पर ही सवाल उठा दिया. जस्टिस तारा वी. गंजू ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता का संबंधित जमीन पर कोई अधिकार ही नहीं है. ऐसे में DDA के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई मतलब नहीं बनता है.
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सरकारी जमीन पर शिव मंदिर
दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा, ‘शिव मंदिर जिस जमीन पर बना है, उसपर DDA का अधिकार है. रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि याची और अन्य स्थानीय निवासियों ने पार्क की 200 मीटर जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया और बाउंड्रीवॉल खड़ी कर दी, ताकि पार्क के उस हिस्से पर दावा ठोका जा सके.’ कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि याची की ओर से याचिकाएं दायर कर अवैध निर्माण को ढहाने की प्रक्रिया को सालों तक बाधित किया गया. कोर्ट अब इसका समर्थन नहीं कर सकता है.
दशकों पुराना मंदिर
हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया गया कि साल 1969 में शिव मंदिर का निर्माण किया गया था. इसके लिए लोगों से चंदा भी लिया गया था. याचिका में आगे कहा गया कि वह मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं और DDA के कदम से पूजा-अर्चना की उनकी स्वतंत्रता खत्म हो जाएगी. हाईकोर्ट ने पूजा-पाठ के अधिकार को तो सही माना, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को वैध तरीके से बने मंदिर में जाने से रोका नहीं जा रहा है. कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मंदिर का निर्माण ही अवैध तरीके से किया गया है, ऐसे में पूजा-पाठ के अधिकार की कोई बात ही नहीं है. इसके साथ ही याचिका खारिज कर दी गई.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 18:43 IST