दिल्ली दंगा केस लाइव: खालिद की जमानत पर दलील देते हुए ऐसा क्या बोल गए सिब्बल

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Last Updated:December 02, 2025, 15:11 IST

Umar Khalid-Sharjeel Imam Bail Plea Live: दिल्ली दंगा केस के आरोपी उमर खालिद के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दे रहे थे तभी जस्टिस कुमार ने कहा कि उनका तर्क है कि उनके भड़काऊ भाषण ने लोगों को उकसाया. इस पर सिब्बल ने दलील दी कि मैंने भाषण लगा दिया है. अगर ये भड़काऊ है तो हममें से कई लोगों को जेल जाना पड़ सकता है. इस मामले में एक आरोपी महिला की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें दी थी.

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नई दिल्ली. साल 2020 में नार्थ ईस्ट दिल्ली दंगे मामले में आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर, शादाब अहमद और मोहम्मद सलीम खान की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई. इस दौरान आरोपियों की तरफ से कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील पेश की. दिल्ली दंगा के आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ कर रही है. उमर खालिद और अन्य आरोपियों ने दिल्ली हाईकोर्ट के 2 सितंबर को दिए उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है जिसमें उन्हें जमानत देने से साफ इनकार कर दिया गया था.

उमर खालिद और शरजील इमाम की सुप्रीम कोर्ट में दलीलें लाइव

– सिब्बल ने आगे कहा है कि मान लीजिए कि जस्टिस ने इसे खारिज कर दिया. मैं अगले तीन साल जेल में रहूंगा यानी बिना किसी मुकदमे के आठ साल. मैं एक शिक्षाविद हूं. मैं एक व्यक्ति हूं. मुझे किसी भी प्रत्यक्ष कृत्य के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है. सिब्बल ने कहा कि मैं आरोपों पर बहस करने के लिए तैयार था और ट्रायल जज ने कहा कि नहीं, क्या देरी मेरी वजह से हो सकती है? एएसजी का ऐसा करना उचित नहीं है. इस पर एएसजी एसवी राजू ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां उन्होंने कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, वे आरोपों पर बहस नहीं करेंगे. मुझे अनुचित मत कहिए. इस पर सिब्बल ने दलील दी कि यह विशेषाधिकार केवल उनके पास है. हमारे पास नहीं (या बहस के बीच में बोलते हुए). न्यायमूर्ति कुमार: कृपया भावुक न हों…

– उमर खालिद की ओर से कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें देते हुए कहा कि मैं बस मन ही मन सोच रहा था. मैं 5 साल 3 महीने से जेल में हूं. 13 सितंबर 2020 से अब तक. अभियोजन पक्ष का तो यह भी दावा नहीं है कि मैंने दिल्ली में किसी भी गतिविधि में हिस्सा लिया था. मुझे एक व्यापक साजिश के आधार पर दर्ज की गई एफआईआर में शामिल किया गया है. मुझ पर 17 फरवरी को महाराष्ट्र में एक भाषण देने का आरोप है. बस इतना ही मेरे नाम पर आरोप लगाया गया है. दूसरी बात यह है कि मुझे एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया था. किसी और ने जोड़ा था और मेरा कोई संदेश नहीं था. आरोपों का सार यही है.

– सिंघवी ने दलील में कहा कि सत्ता परिवर्तन का आरोप बेहद असाधारण है. आपने अपनी चार्जशीट में सत्ता परिवर्तन का आरोप कहां लगाया है? उनका कहना है कि यह असम को भारत से अलग करने की एक अखिल भारतीय साजिश है? इसका आधार क्या है? न्यायमूर्ति कुमार ने कहा किृ यह शरजील इमाम के संबंध में था. सिंघवी ने आगे कहा कि हाईकोर्ट या ट्रायल कोर्ट में कभी व्यवस्था परिवर्तन पर बहस नहीं हुई. वे अचानक व्यवस्था परिवर्तन कह देते हैं ताकि मामला ज़्यादा गंभीर लगे. व्हाट्सएप ग्रुप में व्यवस्था परिवर्तन कहने वाला व्यक्ति कोई आरोपी नहीं है. वह असली है, काल्पनिक है या कोई ऐसा व्यक्ति है, जिसे उन्होंने अपनी जेब से निकाला है.

– जब जस्टिस कुमार ने सिंघवी से पूछा, क्या वह दिल्ली की निवासी हैं? क्या वह उसी पते पर रहती हैं? तो इस पर सिंघवी ने कहा कि हां. सीलमपुर में… दूसरे देशों में तो पायल और जीपीएस से आजादी सुनिश्चित होती है. उसे जेल में रखकर हम कौन सा जनहित कर रहे हैं? वो क्या करेगी? क्या वो भागने की कोशिश करेगी? सिंघवी ने आगे दलील दी कि इस केस में बंद मैं अकेली महिला हूं जो जेल में बंद है. बाकी महिलाओं को 2021 में जमानत मिली. मेरा मामला बहुत छोटा है. उन्हें 2020 में गिरफ़्तार किया गया था.

– वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (गुलफिशा फातिमा की ओर से पेश हुए): उन्होंने दलील में कहा कि मेरा क्लाइंट लगभग 6 साल से जेल में है. 16 सितंबर 2020 को एक चार्जशीट दाखिल की गई है, लेकिन मानो चार्जशीट की रस्म ही चल रही हो, पूरक चार्जशीट लगातार दाखिल हो रही हैं. अब तक हमें 4 पूरक और 1 मुख्य चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. गिरफ्तारी 2020 में हुई थी.

क्या है मामला?
फरवरी 2020 में तत्कालीन प्रस्तावित नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर हुई झड़पों के बाद नार्थ ईस्ट दिल्ली में दंगे हुए थे. दिल्ली पुलिस के अनुसार, इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए थे. मौजूदा मामला उन आरोपों से जुड़ा है कि आरोपियों ने कई दंगे भड़काने की एक बड़ी साजिश रची थी. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने आईपीसी और यूएपीए के विभिन्न प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की थी. दिल्ली दंगा के आरोपियों पर कई एफआईआर दर्ज थीं, जिसके चलते उन्होंने अलग-अलग अदालतों में कई जमानत याचिकाएं दायर कीं. ज़्यादातर आरोपी 2020 से ही न्यायिक हिरासत में हैं. उमर खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उस पर आपराधिक साजिश, दंगा, गैरकानूनी सभा के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कई अन्य अपराधों का आरोप लगाया गया था और वह तब से वह जेल में है.

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अरुण बिंजोला

अरुण ब‍िंजोला इस वक्‍त न्‍यूज 18 में बतौर एसोसिएट एड‍िटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वह करीब 15 सालों से पत्रकार‍िता में सक्र‍िए हैं और प‍िछले 10 सालों से ड‍िजिटल मीड‍िया में काम कर रहे हैं. करीब एक साल से न्‍यूज 1...और पढ़ें

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First Published :

December 02, 2025, 15:11 IST

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