दुनिया के ऐसे आविष्कार जिनका शुरू में खूब मजाक बना,बाद में लोगों की जिंदगी बने

1 hour ago

दुनिया में कई ऐसे आविष्कार हुए जिनका पहले लोगों ने मज़ाक उड़ाया। उन्हें बेकार और बिना काम का कहते हुए सिरे से खारिज कर दिया लेकिन वही आविष्कार बाद में सुपरहिट ही नहीं साबित हुए बल्कि हमारी जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन गए. उन्होंने दुनिया को बदलकर रख दिया.

ऐसे आविष्कार में टेलीफोन भी है और हमारे घरों में रोशनी देने वाले बल्ब भी. हवाई जहाज भी हैं और मोटर कार भी. दुनिया में लोगों ने इन्हें शुरुआत में खारिज किया, ये कहा कि ये तो काम ही नहीं आ सकता. बाद में समझ आ गया कि ये बहुत शानदार आविष्कार हुए हैं. हकीकत यही है कि इन्हीं आविष्कारों ने दुनिया में रहना आसान कर दिया.

टेलीफोन को खिलौना बताकर खारिज कर दिया गया

पहली कहानी टेलीफोन की है. जब अलेक्ज़ेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन बनाया तो टेलीग्राम कंपनी वेस्टर्न यूनियन ने इसे खारिज कर दिया. उसने इसे खिलौना बनाया. कंपनी ने इस आविष्कार को खारिज करते हुए कहा कि “इस खिलौने का कोई व्यावसायिक मूल्य नहीं है.” वही टेलीफोन पूरी दुनिया की संचार क्रांति का आधार बन गया. टेलीफोन के ही रास्ते पर चलते हुए स्मार्ट फोन यानि मोबाइल आए जिन्होंने पूरी दुनिया को ही बदल दिया.

आप जरा उस दिन को याद करें जब टेलीफोन के जरिए पूरी दुनिया में सीधे बातचीत हो जाती थी और संदेश एक जगह से दूसरी जगह तुरंत पहुंचते थे. लंबे समय तक लोग टेलीफोन के आविष्कार को लेकर हैरान भी होते रहे कि इससे कैसे बातचीत हजारों किमी दूर बैठ शख्स से हो जाती है.

बिजली बल्ब की खिल्ली उड़ाई गई

दूसरा आविष्कार बिजली का वो बल्ब था, जिसने हम सभी के घरों में रोशनी पहुंचाई. रात के अंधेरे को बिजली के बल्ब ने हरा दिया. ये आविष्कार थॉमस अल्वा एडिसन का था. वो दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक थे. जिन्होंने एक नहीं ना जाने कितने शानदार आविष्कार किए. जब तक बिजली के बल्ब नहीं आए थे, तब तक लोगों को गैस लैंप से रात में काम चलाना पड़ता था. तब पूरी दुनिया को गैस लैंप ही सबसे उम्दा और सुरक्षित लगता था.हालांकि तब उससे भी आग लगने की खूब घटनाएं होती थीं.

बिजली बल्ब के आविषकार के बाद जब एडीसन ने इसका प्रदर्शऩ किया तो लोगों ने एक सिर से इसे खारिज कर दिया. उनका कहना था कि ये बल्ब “बहुत नाज़ुक” हैं. उन्हें घरों में लगाना “खतरनाक” होगा. लेकिन एडिसन की मेहनत ने इसे हर घर का हिस्सा बना दिया. अब तो एडीसन के बल्ब को पूरी दुनिया का अनिवार्य हिस्सा बने हुए भी 100 साल से ज्यादा हो चुके हैं.

लोगों को लगा ही नहीं कि विमान हवा में उड़ पाएगा

सबसे बड़ी हैरानी आप को इस बात पर हो सकती है कि एक जमाने में जब राइट ब्रदर्स ने हवाई जहाज उड़ाकर दिखाया था, तब लोगों को लगा ही नहीं था कि कभी इससे पूरी दुनिया नापी जा सकेगी. ये पूरी दुनिया में आवागमन का सबसे तेज और उम्दा साधन बनकर उभरेगा. अब तो दुनियाभर के आसमान पर रोज तकरीबन 1.1 लाख विमान उड़ाने होती हैं.

2024-2025 के आंकड़ों के अनुसार, यह पूरी दुनिया को जोड़ने वाला एक विशाल नेटवर्क बन चुका है. दुनियाभर में हर दिन औसतन 1,00,000 से 1,15,000 कामर्शियल उड़ानें उड़ान भरती हैं. अगर हम कार्गो, सैन्य और निजी जेट विमानों को भी जोड़ लें, तो यह संख्या और भी बढ़ जाती है. व्यस्ततम समय में दुनिया के आसमान में एक साथ 8,000 से 20,000 विमान हवा में होते हैं. साल 2025 के अनुमानों के मुताबिक, सालाना कुल उड़ानों की संख्या लगभग 3.9 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. हर दिन पूरी दुनिया में 1.3 करोड़ से 1.5 करोड़ लोग विमान से सफर करते हैं.

आप सोचिए कि वर्ष 1900 के आसपास अखबारों और वैज्ञानिकों का मानना था कि “मानव कभी उड़ नहीं सकता”. ऐसी कोई मशीन नहीं बन सकती जो हवा में लोगों को लेकर एक जगह से दूसरी जगह जा सके. यहां तक कि एक वैज्ञानिक पत्रिका ने लिखा, “मानव उड़ान संभव है, लेकिन अगले 10 लाख साल में.” कुछ साल बाद ही राइट ब्रदर्स ने हकीकत में उड़ान भर ली तो लोगों ने इसे असुरक्षित माना लेकिन उनके इस आविष्कार से प्रेरित होकर जल्दी ही विमानों की दुनिया बदलने लगी. बेहतर विमान बनने लगे. और जब कामर्शियल विमान आ गए तो वाकई दुनिया बदल गई.

कार से लोग डरते थे

अब जरा मोटरकार के आविष्कार के हंसी उड़ाने की बात भी जान लीजिए. 19वीं सदी में जब कारें आईं, तो लोगों ने कहा, “घोड़ा गाड़ी से तेज़ कोई चीज़ नहीं हो सकती.” ब्रिटेन में तो ‘रेड फ्लैग ऐक्ट’ नाम का कानून था, जिसके तहत कार के आगे एक आदमी लाल झंडा लेकर चलता था ताकि लोग डरें नहीं. आज कार आधुनिक जीवन का अहम हिस्सा है. इनके बगैर लोगों का आना जाना असंभव हो जाता है.

कंप्युटर को समय बर्बाद करने वाला बताया

1940-50 के दशक में बड़े-बड़े कंप्यूटर बनाए गए, तो आलोचकों का कहना था कि “दुनिया में शायद 4-5 कंप्यूटर से ज्यादा की जरूरत कभी नहीं होगी.” बाद में यही कंप्यूटर माइक्रोचिप और इंटरनेट क्रांति के जरिए हर जेब तक पहुंच गए. 1920-30 के दशक में जब टीवी तकनीक विकसित हो रही थी, तो कहा गया – “लोग रेडियो छोड़कर स्क्रीन क्यों देखेंगे?”. आलोचकों ने इसे “समय बर्बाद करने वाला” बताया. बाद में टीवी मनोरंजन और सूचना का सबसे बड़ा जरिया बना.

इंटरनेट के लिए कहा ये जनता के काम का नाम नहीं

1960-70 के दशक में जब अरपानेट यानि इंटरनेट का शुरुआती रूप आया, तो इसे सिर्फ सैन्य प्रयोग माना गया. कई लोग बोले कि “यह आम जनता के काम का नहीं है.” आज इंटरनेट ने पूरी दुनिया को समेट दिया है. सबकुछ पलक झपकते इंटरनेट से पता चला जाता है. इससे सूचना से लेकर वीडियो और फोटो तक सेकेंडों एक जगह से लाखों किमी दूर किसी जगह पर चली जाती हैं. एक तरह से इंटरनेट ने क्रांति ही कर दी है.

स्मार्टफोन को अमीरों का खिलौना बताया गया

और अब हैरान होने वाले हैं. क्योंकि आप तो बगैर मोबाइल फोन के जिंदगी के बारे में सोच ही नहीं सकते. कुछ लोग तो मजाक में अब इसे शरीर का एक्सटेंडेट अंग ही मानने लगे हैं. जब शुरुआती मोबाइल फोन 1980 के दशक में तो उन्हें बहुत भारी, बेकार और सिर्फ “अमीरों का खिलौना” माना गया.
आलोचकों ने कहा कि “आम आदमी के पास यह कभी नहीं होगा.” आज हर इंसान की जेब में मोबाइल है और स्मार्टफोन तो जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है. और ये स्मार्टफोन बात करने के अलावा इतना कुछ कर रहा है कि ये मुहावरा गढ़ा जा चुका है कि मोबाइल है तो दुनिया मुट्ठी में और वाकई ऐसा ही है.

रिकॉर्डेड म्यूजिक का विरोध 

अब थामस अल्वा एडीसन के ही एक और आविष्कार की बात करते हैं. ये रिकॉर्डेड म्यूज़िक और ग्रामोफोन है. थॉमस एडिसन जब ग्रामोफोन रिकॉर्डिंग लेकर आए, तो कई संगीतकारों ने विरोध किया. उनका तर्क था, “रिकॉर्डिंग से लाइव म्यूज़िक खत्म हो जाएगा, लोग संगीत की आत्मा भूल जाएंगे.” लेकिन रिकॉर्डिंग ने संगीत को घर-घर पहुंचाया और एक पूरी इंडस्ट्री बना दी.

ये उदाहरण दिखाते हैं कि हर क्रांतिकारी विचार को पहले संदेह, मज़ाक या विरोध का सामना करना पड़ता है लेकिन समय के साथ वही विचार दुनिया को नया आकार भी देते हैं.

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