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दुनिया को समंदर में दिखाएगा रास्ता, नौसेना का आ रहा है ऐसा खास जहाज, दुनिया की लाईफ लाइन का बनाऐगा चार्ट
Indian Navy survey ship : चीन दुनिया भर में समुद्र के जरिए अपनी ताकत बढ़ा रहा है. चीन की यह एक ताकत है जिसका वह बेजा इस्तेमाल भी करता है. उसका 80 फीसदी व्यापार इंडीयन ओशन रीजन से होकर ही गुजरता है. क्या आपको पता है कि भारत के बनाए गए हाईड्रोग्राफी चार्ट के जरिए ही चीन अपनी अर्थव्यवस्था को चलाता है. सुन कर हैरानी जरुर होगी लेकिन यह सच है. यह सिर्फ चीन नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों के युद्धपोत और मालवाहक जहाज इस चार्ट के बिना हिंद महासागर क्षेत्र से गुजरते ही नहीं. हिंद महासागर क्षेत्र में सिर्फ भारत के पास ही यह तकनीक है. इस तरह के हाईड्रोग्राफिक चार्ट भारतीय नौसेना बनाती आयी है. भारतीय नौसेना में एक नया सर्वे शिप विशाखापट्टनम में शामिल हो रहा है. इसका नाम ही है ‘निर्देशक’. यह एक हाइड्रोग्रफिक सर्वे वेसल हो जो कि समुद्र के नीचे सर्वे कर के नेविगेशन चार्ट बनाएगा.
स्वदेशी निर्देशक की ताक़त
“निर्देशक” GRSE कोलकाता में निर्मित है. इस सर्वे शिप का 80 फीसदी से ज्यादा सामग्री स्वदेशी है. इस शिप का निर्माण और डिजाइन भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भरता को दिखाता है. सर्वे वेसेल प्रोजेक्ट का यह दूसरा जहाज है. यह जहाज 110 मीटर लंबा और लगभग 3800 टन वजनी है. इसमें दो डीजल इंजन लगे हैं. इंडियन नेवल शिप (INS) निर्देशक के पास समुद्र में 25 दिन से ज्यादा समय तक ठहरने की क्षमता है. यह 18 नॉटिकल मील प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार से चल सकता है. यह जहाज भारत के समुद्री ताक़त को बढ़ाने के साथ-साथ देश के समुद्री क्षेत्र का मैपिंग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. यह हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक मौजूदगी को मजबूत करेगा. यह जहाज नए उपग्रह आधारित नेविगेशन और संचार प्रणालियों, साथ ही अत्याधुनिक सेंसरों का इस्तेमाल करके समुद्र की गहराईयों और उसके इलाके को बहुत सटीकता से मैप करेगा.
INS निर्देशक – समुद्र के पथप्रदर्शक
समुद्र की सतह पर तो खतरे को देखा जा सकता है. पानी के अंदर खतरे से बचने के लिए हाइड्रोग्राफिक चार्ट की जरूरत होती है. आने वाले समय में इस तरह का चार्ट बनाने की जिम्मेदारी INS निर्देशक के हाथ ही होगी. समुद्र की सतह समान नहीं है. कई गहराई ज्यादा है कहीं कम. हार्बर के पास तो इसकी समुद्री गहराई कुछ ही मीटर की होती है. समुद्र में आने वाली सुनामी से भी तल पर बदलाव होता रहता है. अगर किसी के पास अपडेटेड हाइड्रोग्राफिक मैप नहीं है तो दुर्घटना निश्चित है. INS निर्देशक सर्वे वेसल पूरी तलहटी को स्कैन करके चार्ट तैयार करेगा.
चीन ने खूब किया इस चार्ट का इस्तेमाल
चीनी जहाजों का श्रीलंका के पोर्ट पर आना जाना आम है. उसके वॉरशिप भी कोलंबो, हम्बनटोटा पर डॉक करते है. यह सब भारत के बनाए हाईड्रोग्राफिक चार्ट के जरिए ही करता है. दरअसल भारत का श्रीलंका सहित हिंद महासागर के कई देशों के साथ करारा है. जो अपने इलाके में हाईड्रोग्राफी सर्वे से नेविगेशन चार्ट बनाने का अनुरोध करते है. भारत उसमें उनकी मदद करता है. एक बार चार्ट बन जाए तो वह इंटरनेश्नल हो जाता है, कोई भी उसे खरीद कर सकता है. और अपनी समुद्री गतिविधियों के लिए अंजाम दे सकता है. चीन इन्हीं चार्ट के जरिए श्रीलंका सहित कई अन्य देशों में वर्चसव को बढ़ा रहा है.
Tags: Indian navy
FIRST PUBLISHED :
December 17, 2024, 20:18 IST