भारत के दुनिया के उन देशों में है, जहां मिठाइयां खूब पसंद की जाती हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि देश के किस शहर को स्वीट कैपिटल कहते हैं. जहां से सबसे ज्यादा सुपरहिट मिठाइयां इस देश को दी गईं. वो इतनी हिट हैं कोलकाता से निकलकर पूरी दुनिया पर छा गईं. इस शहर में एक हलवाई की दुकान तो ऐसी भी है जिसने एक दो नहीं बल्कि कई मिठाइयां ईजाद कीं.
ये शहर कोई और नहीं बल्कि कोलकाता है. इस शहर ने देश को कई सुपरहिट मिठाइयां दीं, जिनका जादू जीभ पर कभी उतरने का नाम ही नहीं लेता. ये सदाबहार हिट मिठाइयां साबित हुई हैं.
कोलकाता को देश की मिठाई संस्कृति का सबसे बड़ा केंद्र कहा जा सकता है. छेने का आविष्कार दुनिया में सबसे पहले यहीं हुआ. फिर छेने से मिठाइयां बनाने का प्रयोग भी यहीं किया गया. ये शहर छेने का रसगुल्ला, रसमलाई, संदेश और चमचम जैसी कई हिट मिठाइयों का क्रेडिट ले सकता है. ये मिठाइयां यहां से निकलीं. फिर पूरी दुनिया में फैलीं.
वो हलवाई की दुकान जिसने दो सुपर हिट मिठाइयां दीं
कोलकाता की मिठाई का सबसे सबसे चमकता सितारा रहे हैं नोबिन चंद्र दास, जिन्हें “रसगुल्ला का कोलंबस” कहा जाता है. 19वीं सदी में जब कोलकाता ब्रिटिश भारत की राजधानी थी. तब नोबिन चंद्र की शोभा बाजार में छोटी-सी मिठाई की दुकान (नोबिन चंद्र दास एंड संस) थी. यहीं उन्होंने सबसे पहले वो मिठाई बनाई, जिसने मिठाई की दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया – वो था रसगुल्ला.
रसगुल्ले का पेटेंट झगड़ा भी कई साल चला था कि ये ओडिशा की मिठाई है या बंगाल की. आखिरकार मान लिया गया कि ये बंगाल में ही विकसित हुई
कैसे पैदा हुआ रसगुल्ला
1868 में उन्होंने छेना को गोल आकार में ढालकर चीनी की चाशनी में पकाया. इस तरह एक नरम, रसीली मिठाई का जन्म हुआ. यह मिठाई इतनी लोकप्रिय हुई कि कोलकाता की हर गली में इसकी खुशबू फैलने लगी. जीभ में आते ही ये स्वाद का लजीज डांस कराती थी.
छेने का रसगुल्ला सबसे पहले कोलकाता में ईजाद किया गया (NEWS18)
फिर यहां से निकली रसमलाई
नोबिन चंद्र यहीं नहीं रुके. उनकी दुकान से निकली रसमलाई की कहानी भी उतनी ही रोचक है. कहा जाता है कि छेने का रसगुल्ले बनाते समय उसकी कुछ गोलियां गलती से रबड़ी के बर्तन में गिर गईं. नोबिन या उनके किसी शेफ ने इसे चखा और पाया कि यह नया स्वाद कुछ अनोखा है. इसमें इलायची, केसर, और पिस्ता से सजाकर इसे “रसमलाई” नाम दिया गया, जो “रस” (जूस) और “मलाई” (क्रीम) का मिश्रण था. यह मिठाई जल्द ही शादियों, त्योहारों, और उत्सवों की शान बन गई. पहले छेने को मिठाइयों के लायक नहीं समझा जाता था लेकिन नोबिन चंद्र ने छेना को नरम, स्पंजी मिठाइयों में बदलकर पूरी तस्वीर ही बदल दी.
चमचम, राजभोग और संदेश का जन्म
फिर नोबिन के बेटे, कृष्ण चंद्र दास (के.सी. दास), ने पिता की विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. कहा जाता है कि उन्होंने रसगुल्ला को डिब्बाबंद करके देश विदेश तक पहली बार पहुंचाने का काम किया. 1930 में के.सी. दास ने कोलकाता में अपनी नई दुकान शुरू की. उनकी दुकान ने चमचम, राजभोग, और कई तरह के संदेश (जैसे नोलन गुड़ सोंदेश, कोरापैक) को लोकप्रिय बनाया. केसी दास की कोलकाता में कई मिठाई की दुकानें हैं. उनकी दुकानें आज भी कोलकाता की मिठाई संस्कृति का प्रतीक हैं.
स्वादिष्ट रसमलाई का जन्म भी कोलकाता में नबीन चंद्र दास हलवाई की दुकान पर हुआ (NEWS18)
काली पूजा के समय नई मिठाई बनाने की होड़ होती है
कोलकाता के लिए कहा जाता है कि हर काली पूजा त्योहार के लिए यहां नई मिठाई बनाने की होड़ लगती है. इसी के चलते यहां दरबेश (लड्डू का बंगाली रूप) और मिहिदाना जैसी मिठाइयां निकलीं.
ये है कोलकाता में आविष्कार की गई संदेश मिठाई ( news18)
कोलकाता में ईजाद मिठाइयों की सूची
रसगुल्ला – छेना की गोलियां, चाशनी में डूबी हुई
रसमलाई – छेने का रसगुल्ला को रबड़ी में डुबोकर बनाया गया.
संदेश – खोया और चीनी से बनी, सैकड़ों स्वादों में उपलब्ध.
चमचम – रसगुल्ला का रंगीन और मलाईदार रूप.
मिहिदाना और सीताभोग – नवरंगी और बर्धमान की खास मिठाइयां.
कमलाभोग- संतरे के स्वाद वाली रसगुल्ला की किस्म.
लेडीकनी – भीम चंद्र नाग ने लेडी कैनिंग के सम्मान में ये मिठाई बनाई.
छेना टोस्ट – तली हुई ब्रेड और छेना की मिठाई
मिष्टी दोई – कोलकाता में खूब लोकप्रिय मीठा दही
पंतुआ – रसगुल्ले जैसा पर तला हुआ
इनके अलावा, कोलकाता ने नोलन गुड़ रसगुल्ला और चॉकलेट संदेश जैसे फ्यूजन मिठाइयों को भी जन्म दिया.
क्यों बना कोलकाता मिठाई का गढ़
– यहां छेना (पनीर) को मिठाइयों में लाने का एक्सपेरिमेंट सबसे पहले बंगाली हलवाइयों ने किया.
– ब्रिटिश जमाने में यूरोपीय बेकरी और भारतीय परंपरा का संगम हुआ।
– रसगुल्ले की तरह रस वाली मिठाइयां और दही की मिठाइयां पहली बार यहीं मशहूर हुईं.
– राजा-महाराजाओं और अंग्रेज अफसरों की दावतों में लगातार नए स्वाद ईजाद होते रहे.
अन्य शहरों का क्या हाल
आगरा का पेठा – पारदर्शी पेठे का आविष्कार आगरा में हुआ. यहां का पेठा मुगलकाल में शाहजहां के शाही रसोईघर में जन्मा. कद्दू से बनी पारदर्शी मिठाई आज भी मशहूर है. आगरा की मिठाइयां पेठे कई वेरिएशन और कुछ बर्फी तक सीमित हैं, जो कोलकाता की विविधता से कम है.
मथुरा का पेड़ा – मथुरा का पेड़ा, जिसे भगवान कृष्ण को समर्पित माना जाता है, बहुत प्रसिद्ध है. मथुरा की मिठाइयां मुख्य रूप से खोया-आधारित हैं.
मैसूर पाक – मैसूर पाक 1935 में मैसूर के शाही रसोईघर में एक शेफ ने गलती से बनाया. यह बेसन, घी, और चीनी से बना एक स्वादिष्ट मिठाई है. हालांकि मैसूर की मिठाई परंपरा भी कोलकाता जैसी व्यापक नहीं है.
बीकानेर का राजभोग और मोती पाक – बीकानेर का राजभोग और मोती पाक भी प्रसिद्ध हैं. वहां की मिठाइयां ज्यादातर खोया और मेवा-आधारित हैं. नए आविष्कारों की संख्या कोलकाता से कम है.
शहर और वहां पैदा हुईं खास मिठाइयां
मथुरा (यूपी) पेड़ा दूध को गाढ़ा कर के बनाई गई
वाराणसी (यूपी) लल्ला की मलाईयो, परवल की मिठाई ठंडाई व मलाई की मीठी डिश, परवल के अंदर खोया-नट्स, लौंगलता
लखनऊ मख़न मलाई, गुलाब जमुन सर्दियों की फेमस मख़न मलाई
आगरा पेठा कद्दू से बनी, मुग़लकाल से
कानपुर बूंदी के लड्डू, बालूशाही
दिल्ली गाजर का हलवा, डोडा बर्फी सर्दियों में खास
जयपुर घेवर, मावा कचौड़ी
बीकानेर रसगुल्ला (बीकानेरी रसगुल्ला), बूंदी
उज्जैन माखन वड़ा (दही बड़े जैसा पर मीठा)
इंदौर रबड़ी जलेबी सुबह-सुबह का नाश्ता
अमृतसर फलूदा कुल्फ़ी
पटना खाजा परतदार और कुरकुरी मिठाई
गया तिलकुट तिल और गुड़/चीनी से बनी
ओडिशा (पुरी) खीर मोहन (ओडिशा रसगुल्ला)
मैसूर मैसूर पाक
चेन्नई अडहिरसम पाल पायसम
हैदराबाद खुबानी का मीठा खसखस-खजूर वाली डिश
मुंबई मोदक
पुणे पूरन पोली (गुड़ और चने की दाल वाली मीठी रोटी)