Last Updated:March 16, 2025, 10:19 IST
India 5th generation fighter: भारत की वायु सेना को 48 स्क्वायड्रन की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में केवल 31 स्क्वायड्रन हैं. भारत ने 183 तेजस विमानों का ऑर्डर दिया है और 5वीं पीढ़ी के विमान बनाने की योजना पर काम क...और पढ़ें

देसी फाइटर जेट तेजस.
हाइलाइट्स
भारत को 48 स्क्वायड्रन की जरूरत, वर्तमान में 31 स्क्वायड्रन हैं.भारत ने 183 तेजस विमानों का ऑर्डर दिया, 5वीं पीढ़ी के विमान पर काम जारी.महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स 5th जेन फाइटर जेट प्रोजेक्ट से बाहर.चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों से घिरे भारत की वायु सेना बड़ी चुनौती का सामना कर रही है. वह इस वक्त बहुत कम लड़ाकू विमानों से काम चल रही है. भारत के पास लड़ाकू विमानों के कम से कम 48 स्क्वायड्रन की जरूरत है लेकिन वह इस वक्त केवल 31 स्क्वायड्रन से काम चल रही है. एक स्क्याड्रन में 18 लड़ाकू विमान होते हैं. भारत ने बीते सालों में फ्रांस से सीधे 36 रॉफेल लड़ाकू विमान खरीदे थे. उसके दो स्क्वायड्रन बनाए गए. एक स्क्वायड्रन की तैनाती पाकिस्तान की सीमा पर जबकि दूसरे स्क्वायड्रन की तैनाती चीन की सीमा पर किया गया.
इस बीच भारत की योजना खुद के देसी लड़ाकू विमान को सेवा में लेने की है. वह विदेशों से अपनी निर्भरता हटाना चाहता है. भारत ने अपना लड़ाकू विमान बना भी लिया है. उसे सेना में शामिल भी कर लिया गया है. उसका नाम तेजस लड़ाकू विमान है. भारतीय वायु सेना मिग-21 विमानों को सेवा से हटा रही है. इसके लिए उसने 183 तेजस विमानों का ऑर्डर दिया है. इन विमानों को बनाने वाली कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) पर इनकी जल्दी सप्लाई करने का दवाब है. ये तेजस विमान चौथी पीढ़ी या उससे ऊपर के विमान बताए जा रहे हैं.
भारत का 5th जेन फाइटर जेट
इस वक्त भारत अपनी जरूरतों को देखते हुए पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने की योजना पर कर रहा है. इसके एडवांस मिडियम कम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) पर काम चल रहा है. इस विमान को हर हाल में 2035 तक बना लेने का लक्ष्य है. भारत ने इस प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा करने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की रणनीति बनाई है. इसके लिए प्राइवेट सेक्टर की तीन नामी कंपनियों का चयन हुआ. ये तीन कंपनियां हैं- टाटा समूह की टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स और लार्सन एंड टुब्रो.
ये तीनों कंपनियां और भारत की पब्लिक सेक्टर की कंपनी एचएएल इस 5th जेन फाइटर जेट को बनाने वाली थीं. इसमें एचएएल को विमान बनाने का लंबा अनुभव है. वह देश में ही रूस से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत सुखोई-30 एमकेआई का निर्माण करती है. वह भारत में विकसित तेजस का निमार्ण करती है.ॉ लेकिन, पांचवीं पीढ़ी के विमान बनाने में पब्लिक-प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी तय की गई है.
महिंद्रा हो गई बाहर
ऐन मौके पर एक प्राइवेट कंपनी महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स इस प्रोजेक्ट से बाहर हो गई है. महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह की यह कंपनी लंबे समय से सेना के लिए बख्तरबंद गाड़ियां, आर्टिलरी और नेवल सिस्टम बनाती रही है. कंपनी ने कहा है कि उसके पास विमान बनाने का अनुभव नहीं है. इस कारण वह 5th जेन फाइटर जेट प्रोजेक्ट में शामिल नहीं हो पाएगी.
अब दो अन्य कंपनियां टाटा एडवंस्ड सिस्टम्स और एलएंडटी इस प्रोजेक्ट में भागीदार है. इन कंपनियों को विमान के कई कल-पुर्जे और अन्य उपकरण बनाने हैं, जिससे कि फाइटर जेट को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके. टाटा विमान कंपनी एयरबस के लिए कई उपकरण बनाती है.
डिफेंस से जुड़ी खबरें देने वाली वेबसाइट डिफेंस डॉट इन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि कई अन्य कंपनियों ने 5th जेन फाइटर जेट प्रोजेक्ट में शामिल होने का ऑफर दिया था. लेकिन अब अंतिम दौर में केवल दो कंपनियां टाटा और एलएंडटी बच गई हैं.
अब 5th जेन फाइटर जेट के लिए एक बिल्कुल अलग कंपनी बनी है. इसमें एचएएल के अपेक्षाकृत कम शेयर हैं. महिंद्रा के हटने केबाद इसमें दो अन्य कंपनियां बची हैं. इस प्रोजेक्ट पर शुरुआती खर्च करीब 15000 करोड़ रुपये है, जबकि कुल प्रोजेक्ट खर्च 40 से 45 हजार करोड़ रुपये आने वाला है. महिंद्रा के हटने से इस प्रोजेक्ट में दिक्कत आएगी. क्योंकि इसके कल पुर्जे और अन्य पार्ट्स बनाने में और समय लग सकता है. ऐसे में 2035 तक इस पांचवीं पीढ़ी के विमान को बना लेना एक बड़ी चुनौती है.
पाकिस्तानी सेना के पास 5th फाइटर जेट
उधर, पाकिस्तान की वायु सेना ने चीन से पांचवीं पीढ़ी के 40 फाइटर जेट खरीदने का फैसला किया है. चीन ने जे-20 फाइटर जेट बनाया है. यह एक स्टील्थ 5th जेन फाइटर जेट है. चीन की सेना इसका इस्तेमाल भी कर रही है.
First Published :
March 16, 2025, 10:10 IST