दो सगी बहनें अचानक हुईं गायब, रची खौफनाक साजिश, एक सुराग से सुलझ गई ये गुत्थी!

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Last Updated:December 22, 2025, 18:44 IST

दिल्ली के मुंडका इलाके से 15 दिसंबर को 13 और 16 साल की दो सगी बहनें रहस्यमयी ढंग से गायब हो गईं. पिता की एक छोटी सी डांट ने ऐसी चिंगारी सुलगाई कि दोनों ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एएचटीयू टीम ने तकनीकी सर्विलांस और जमीनी जांच के जरिए उन्हें रनहोला के एक गुप्त कमरे से बरामद किया. सस्पेंस और डर के बीच पुलिस ने आखिरकार दोनों को सुरक्षित परिवार से मिलाया. जानिए इस सनसनीखेज रेस्क्यू ऑपरेशन की पूरी इनसाइड स्टोरी और कैसे एक सुराग ने पुलिस को उनके ठिकाने तक पहुंचाया.

दो सगी बहनें अचानक हुईं गायब, रची खौफनाक साजिश, एक सुराग से सुलझ गई ये गुत्थी!

नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली के मुंडका इलाके में 15 दिसंबर 2025 की वो सर्द सुबह एक परिवार के लिए ऐसी काली रात में बदल गई, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी. एक साधारण से घर की दो सगी बहनें, जिनकी उम्र महज 13 और 16 साल थी, अचानक रहस्यमयी तरीके से गायब हो गईं. घर में सन्नाटा था और माता-पिता के जेहन में सिर्फ एक ही सवाल था क्या उनका अपहरण हो गया है या वे किसी बड़ी मुसीबत में हैं? दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने जब इस केस की फाइल हाथ में ली तो यह मामला किसी सस्पेंस थ्रिलर फिल्म की तरह परत-दर-परत खुलता चला गया.

एक डांट और खौफनाक फैसला तफ्तीश में पता चला कि ये दोनों बहनें 7वीं और 8वीं कक्षा की छात्राएं थीं. उनके माता-पिता पास की ही एक टाइल फैक्ट्री में मजदूरी कर परिवार का पेट पालते थे. 15 दिसंबर को किसी बात पर पिता ने दोनों बेटियों को डांट दिया था. उस वक्त तो सब शांत रहा, लेकिन दोनों बहनों के मन में विद्रोह की चिंगारी सुलग चुकी थी. उन्होंने तय किया कि वे अब इस घर में नहीं रहेंगी. उन्होंने घर की अलमारी से चुपके से 4000 रुपये निकाले और बिना किसी को कुछ बताए घर की दहलीज पार कर ली.

दो सगी बहनें घर से हो गईं गायब

जब 18 दिसंबर तक लड़कियों का कोई सुराग नहीं मिला, तो मुंडका थाने में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 137(2) के तहत अपहरण का मामला दर्ज किया गया. मामला नाबालिगों से जुड़ा था, इसलिए दिल्ली पुलिस की नोडल एजेंसी ‘एएचटीयू’ (AHTU) को जांच सौंपी गई. डीसीपी (क्राइम ब्रांच) पंकज कुमार के निर्देश पर इंस्पेक्टर मनोज दहि‍या, एसीपी सुरेश कुमार, एचसी अजीत, जय किशन और महिला कांस्टेबल मिंटू की एक स्पेशल टीम बनाई गई. टीम ने सबसे पहले पीड़ित परिवार से बात की और उनके दोस्तों के नेटवर्क को खंगालना शुरू किया.

पुलिस की एंट्री और ऑपरेशन ‘खोज’

तकनीकी सर्विलांस का बिछाया जाल पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि लड़कियां कोई मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं कर रही थीं. हालांकि, टीम ने तकनीकी निगरानी और मैनुअल इंटेलिजेंस का सहारा लिया. स्थानीय स्तर पर पूछताछ के दौरान पुलिस को एक सुराग मिला कि लड़कियों को एक दोस्त की मदद से कहीं ले जाते देखा गया था. पुलिस ने उस ‘दोस्त’ की पहचान की और उसके डिजिटल फुटप्रिंट्स का पीछा करना शुरू किया. कड़ी मशक्कत और कई घंटों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) के विश्लेषण के बाद पुलिस को एक लोकेशन मिली दिल्ली का रनहोला इलाका.

बंद कमरे में इस हालत में मिली

रनहोला के उस बंद कमरे का सच 22 दिसंबर 2025 की सुबह, एएचटीयू की टीम ने रनहोला की तंग गलियों में एक घर पर छापा मारा. वहां एक किराए के कमरे में दोनों बहनें सुरक्षित मिल गईं. पूछताछ में पता चला कि वे अपने एक दोस्त की मदद से वहां कमरा किराए पर लेकर रह रही थीं और घर वापस नहीं जाना चाहती थीं. 4000 रुपये में से कुछ पैसे उन्होंने खाने और कमरे के एडवांस के तौर पर खर्च कर दिए थे. उन्हें लग रहा था कि वे इस तरह अपनी अलग दुनिया बसा लेंगी, लेकिन वे इस बात से अनजान थीं कि बाहर की दुनिया उनके लिए कितनी खतरनाक हो सकती थी.

दिल्ली पुलिस एक सुराग से पहुंची

पुलिस ने दोनों बहनों को बरामद करने के बाद उनकी काउंसलिंग की और उन्हें समझाया कि गुस्से में लिया गया एक फैसला कैसे उनकी जान जोखिम में डाल सकता था. जब पुलिस इन दोनों बहनों को लेकर मुंडका थाने पहुंची और उन्हें उनके माता-पिता से मिलाया, तो पूरे थाने में भावुक माहौल हो गया. माता-पिता की आंखों में पछतावा था और बेटियों की आंखों में अपनी गलती का एहसास. क्राइम ब्रांच ने आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों लड़कियों को उनके परिवार को सौंप दिया है.

पुलिस की अपील डीसीपी पंकज कुमार ने इस सफल ऑपरेशन के बाद अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों के साथ संवाद का रास्ता खुला रखें. बच्चों की मानसिक स्थिति को समझना और उनके साथ मित्रवत व्यवहार करना बेहद जरूरी है, ताकि वे गुस्से में आकर ऐसे आत्मघाती कदम न उठाएं. इस मामले में एएचटीयू की मुस्तैदी ने एक बड़ी अनहोनी को टाल दिया, वर्ना इन मासूमों को मानव तस्करी के सौदागर अपना शिकार बना सकते थे.

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रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

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Delhi Cantonment,New Delhi,Delhi

First Published :

December 22, 2025, 18:44 IST

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