नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर बढ़े सियासी टकराव के बीच अब चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर सख्त रुख अपनाया है. टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी के तीखे आरोपों और चुनाव आयोग पर लगाए गए हमलों के बाद आयोग ने साफ शब्दों में कहा है कि चुनावी ड्यूटी में लगे किसी भी कर्मचारी को धमकाने या डराने की कोशिश बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी. यह बयान सीधे तौर पर अभिषेक बनर्जी के उन आरोपों के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. बयना में उन्होंने आयोग पर संस्थाओं को कमजोर करने तक का आरोप लगाया था.
चुनाव आयोग का यह पलटवार ऐसे वक्त आया है, जब टीएमसी प्रतिनिधिमंडल और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के बीच हुई ढाई घंटे लंबी बैठक के बाद बयानबाजी तेज हो गई है. एक तरफ अभिषेक बनर्जी वोटर लिस्ट को ‘हथियार’ बनाए जाने का आरोप लगा रहे हैं, तो दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने कानून-व्यवस्था और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर जोर देते हुए सख्त चेतावनी जारी की है.
क्या है पूरा मामला?
पश्चिम बंगाल में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर टीएमसी और चुनाव आयोग आमने-सामने हैं. इस प्रक्रिया के तहत अब तक 58.2 लाख से ज्यादा नाम मतदाता सूची से हटाए जा चुके हैं. इसी को लेकर टीएमसी का 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में, नई दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से मिला.
बैठक के बाद अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि आयोग उनके सवालों के ठोस जवाब देने से बचता रहा और चर्चा को भटकाया गया. इसके जवाब में अब चुनाव आयोग ने एक विस्तृत बयान जारी कर अपना पक्ष सामने रखा है.
चुनाव आयोग ने क्या-क्या साफ कहा?
चुनाव आयोग ने अपने बयान में टीएमसी प्रतिनिधिमंडल को कई अहम बातें स्पष्ट कीं. आयोग ने कहा कि पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि ECI द्वारा स्वीकृत बढ़ा हुआ मानदेय सभी बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) को तुरंत जारी किया जाए, ताकि चुनावी काम में किसी तरह की रुकावट न हो.
इसके साथ ही आयोग ने यह भी बताया कि मतदाताओं की सुविधा के लिए ऊंची इमारतों, गेटेड कम्युनिटीज और झुग्गी बस्तियों में मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी वर्ग के मतदाता को वोट डालने में दिक्कत न हो.
(फोटो PTI)
धमकी और दबाव बर्दाश्त नहीं: आयोग इतना सख्त क्यों?
चुनाव आयोग ने साफ शब्दों में कहा कि राजनीतिक प्रतिनिधियों या कार्यकर्ताओं द्वारा किसी भी चुनावी कर्मचारी चाहे वह BLO हो, ERO, AERO या पर्यवेक्षक को डराना-धमकाना बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा. आयोग ने टीएमसी को यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि उनके जमीनी स्तर के नेता या कार्यकर्ता चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को धमकाने में शामिल न हों. आयोग का कहना है कि अगर कोई असामाजिक तत्व कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
अभिषेक बनर्जी के आरोप और तीखी भाषा
इस पूरे विवाद के केंद्र में अभिषेक बनर्जी का तीखा बयान भी है. उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि उन्हें इस संस्था और देश को बर्बाद करने के मिशन पर भेजा गया है. उन्होंने ढाई घंटे चली बैठक की CCTV फुटेज सार्वजनिक करने की चुनौती भी दी और दावा किया कि बैठक में वही बोलते रहे.
अभिषेक बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट में सॉफ्टवेयर के जरिए ‘चोरी’ की जा रही है और ‘लॉजिकल डिस्क्रेपेंसी लिस्ट’ और ‘सस्पिशस लिस्ट’ जैसे नए टूल्स के जरिए मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं.
विपक्ष को नसीहत और सियासी संदेश
News18 इंडिया के सवाल पर अभिषेक बनर्जी ने विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, पर भी निशाना साधा. उन्होंने हरियाणा में कांग्रेस की हार का जिक्र करते हुए कहा कि चुनाव सोशल मीडिया पर नहीं, जमीन पर लड़े जाते हैं. उनका यह बयान बताता है कि टीएमसी सिर्फ चुनाव आयोग से ही नहीं, बल्कि विपक्ष की रणनीति से भी असंतुष्ट है.
एक तरफ चुनाव आयोग चुनावी कर्मचारियों की सुरक्षा और निष्पक्षता पर जोर दे रहा है, तो दूसरी तरफ टीएमसी वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगातार उठा रही है. यह टकराव संकेत देता है कि पश्चिम बंगाल में SIR को लेकर सियासी तापमान और बढ़ सकता है, और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और ज्यादा आक्रामक राजनीतिक बहस का रूप ले सकता है.

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