नकल, पेपर लीक.. नीट में फर्जीवाड़ा कैसे होता है? चौंका देंगे ये 6 तरीके

9 hours ago

नई दिल्ली (NEET UG Controversy). नीट यूजी परीक्षा 04 मई 2025 को हुई थी. हाल ही में नीट यूजी की प्रोविजनल आंसर की जारी हुई थी, जोकि सवालों के घेरे में है. neet.nta.nic.in पर नीट यूजी रिजल्ट 14 जून 2025 तक किसी भी दिन जारी होने की संभावना है (NEET UG 2025 Result). पिछले कुछ सालों में नीट यूजी परीक्षा में कई तरह के फर्जीवाड़े सामने आए हैं. नीट में धांधली या फर्जीवाड़ा एक गंभीर मुद्दा है. इससे नीट परीक्षा की निष्पक्षता और विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आती है.

साल 2024 में नीट यूजी स्कैम ने हर किसी को चौंका दिया था. नीट यूजी रिजल्ट में 67 स्टूडेंट्स को ऑल इंडिया रैंक 1 मिली थी. इस पर कई कैंडिडेट्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर जांच के लिए याचिका दायर की थी. फिर नीट यूजी रिजल्ट दोबारा बनाया गया था. उसके साथ ही पेपर लीक और नकल जैसे कई पहलुओं पर जांच भी शुरू हो गई थी. तब नीट यूजी परीक्षा में बड़ा घोटाला सामने आया था. जानिए नीट यूजी परीक्षा में कितनी तरह के फर्जीवाड़े होते हैं.

NEET UG Scam: नीट यूजी में फर्जीवाड़ा

नीट यूजी राष्ट्रीय स्तर की मेडिकल प्रवेश परीक्षा है. देश-विदेश के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए नीट यूजी पास करना जरूरी है. यह दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल है. मेडिकल कॉलेज में सीट हासिल करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं. जानिए नीट यूजी में फर्जीवाड़ा कैसे होता है.

1- नीट यूजी पेपर लीक

इस केस में नीट यूजी परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र को अवैध रूप से हासिल किया जाता है (NEET UG Paper Leak). पेपर लीक करवाने में प्रिंटिंग प्रेस, ट्रांसपोर्टेशन या परीक्षा केंद्र से जुड़े लोग शामिल हो सकते हैं. लीक हुआ पेपर डार्कनेट, टेलीग्राम या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बेचा जाता है.

उदाहरण: 2024 में NEET-UG के मामले में, पटना (बिहार) और गोधरा (गुजरात) में पेपर लीक के आरोप सामने आए थे. बाद में जले हुए पेपर, उत्तर पुस्तिकाएं और पैसे के लेन-देन के सबूत मिले थे.

नुकसान: कई कैंडिडेट्स को नीट यूजी परीक्षा से पहले से ही जवाब मिल जाते हैं. इससे ईमानदार अभ्यर्थियों का नुकसान होता है.

2- नीट यूजी परीक्षा में नकल

इस मामले में अभ्यर्थी ब्लूटूथ डिवाइस, इयरपीस या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करके बाहर से जवाब हासिल करते हैं. संगठित गिरोह या कोचिंग सेंटर माफिया इसमें शामिल होते हैं, जो रियल-टाइम में जवाब सप्लाई करते हैं. कुछ मामलों में परीक्षा केंद्रों पर कमजोर निगरानी के कारण नकल होती है.

उदाहरण: रूसी हैकर्स द्वारा IIT प्रवेश परीक्षा में सेंध लगाने या ब्लूटूथ डिवाइस के इस्तेमाल जैसे तरीके NEET में भी देखे गए हैं.

नुकसान: अयोग्य कैंडिडेट्स को हाई मेरिट के साथ मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल जाता है.

यह भी पढ़ें- खुद पढ़ लेंगे डॉक्टर का पर्चा, नहीं जाना पड़ेगा मेडिकल स्टोर, नोट कीजिए Tricks

3. प्रॉक्सी उम्मीदवार भी करते हैं फर्जीवाड़ा

इस तरह के मामलों में कोई दूसरा व्यक्ति (प्रॉक्सी) असली उम्मीदवार की जगह परीक्षा देता है. आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्रों में हेरफेर कर फर्जी पहचान बनाई जाती है. परीक्षा केंद्रों पर बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन (जैसे फिंगरप्रिंट, फोटो) में गड़बड़ी से यह फर्जीवाड़ा होता है.

नुकसान: योग्य कैंडिडेट्स की सीटें अयोग्य उम्मीदवारों को मिल जाती हैं.

4. आम है परीक्षा केंद्रों में गड़बड़ी

इस तरह के केस में कुछ परीक्षा केंद्रों पर स्टाफ या अधिकारी रिश्वत लेकर नियमों का उल्लंघन करते हैं. नीट यूजी परीक्षा केंद्र के अंदर सीटिंग प्लान में हेरफेर कर खास अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचाया जाता है. उदाहरण के लिए, हरियाणा के झज्जर में हरदयाल पब्लिक स्कूल में 6 अभ्यर्थियों को 720/720 अंक मिले, जो संदेहास्पद था.

उदाहरण: साल 2024 में बिहार और गुजरात के केंद्रों पर सेंटर बदलने, पोस्ट-डेटेड चेक और पैसे के लेन-देन के आरोप लगे थे.

नुकसान: एक ही केंद्र से कई कैंडिडेट्स असामान्य रूप से उच्च स्कोर हासिल करते हैं.

5. ग्रेस मार्क्स का दुरुपयोग

इस तरह के मामले में समय की कमी या अन्य कारणों से कुछ कैंडिडेट्स को ग्रेस मार्क्स दिए जाते हैं, लेकिन इसका दुरुपयोग भी हो सकता है.

उदाहरण: 2024 के NEET-UG विवाद में 1563 कैंडिडेट्स को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, जिस पर सवाल उठे और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दोबारा परीक्षा हुई.

नुकसान: अयोग्य कैंडिडेट्स को फायदा मिलता है और नीट यूजी रिजल्ट में असमानता आती है.

6. संगठित माफिया और कोचिंग सेंटर की भूमिका

कई मामलों में कोचिंग सेंटर और माफिया मिलकर पेपर लीक, नकल या जवाब सप्लाई करने का नेटवर्क चलाते हैं. राजनीतिक संबंधों वाले अपराधी कानून को लागू करने में बाधा डालते हैं. ये पेपर डार्कनेट पर बेचे जाते हैं, जिसका पता लगाना मुश्किल होता है.

उदाहरण: 2012 के बाद NEET के शुरू होने से पेपर लीक माफिया को राष्ट्रीय स्तर पर काम करने का मौका मिला.

नीट यूजी में फर्जीवाड़ा क्यों और कैसे होता है?

निगरानी में गड़बड़: परीक्षा केंद्रों पर CCTV, बायोमेट्रिक सत्यापन और स्टाफ की जवाबदेही में कमी.

भ्रष्टाचार: प्रिंटिंग, ट्रांसपोर्टेशन या केंद्र प्रबंधन में रिश्वतखोरी.

तकनीकी कमियां: डार्कनेट और एन्क्रिप्टेड चैट्स का गलत इस्तेमाल, जिसे ट्रैक करना कठिन है.

हाई प्रेशर: मेडिकल सीटों की सीमित संख्या और भारी प्रतिस्पर्धा के कारण फर्जीवाड़ा बढ़ता है.

नीट यूजी में फर्जीवाड़ा कैसे रोका जा सकता है?

कंप्यूटर-बेस्ड टेस्टिंग: GRE की तरह ऑन-डिमांड टेस्ट, जहां हर अभ्यर्थी को अलग-अलग प्रश्न दिए जाएं.

प्रश्न बैंक: यूनीक पेपर तैयार कर नकल का रिस्क कम करना.

सख्त निगरानी: CCTV, बायोमेट्रिक्स और प्रश्न पत्रों की सुरक्षित डिलीवरी.

कानूनी कार्रवाई: जांच प्रक्रिया में तेजी हो और दोषियों को सख्त सजा दी जाए.

यह भी पढ़ें- आर्ट्स या कॉमर्स, 10वीं के बाद किसमें लें एडमिशन? सोच-समझकर लें फैसला

Read Full Article at Source