Last Updated:May 20, 2025, 18:26 IST
Scientist MR Srinivasan News, General Knowledge: भारत के न्यूक्लियर साइंटिस्ट एम आर श्रीनिवासन का 95 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने भारत के न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उनकी बे...और पढ़ें

Trending News, MR Srinivasan, general knowledge: एमआर श्रीनिवासन की फाइल फोटो.
हाइलाइट्स
एम आर श्रीनिवासन का 95 वर्ष की आयु में निधन.उन्होंने भारत का पहला न्यूक्लियर रिएक्टर 'अप्सरा' बनाया.श्रीनिवासन ने न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.MR Srinivasan, Trending News: भारत के न्यूक्लियर साइंटिस्ट एम आर श्रीनिवासन का निधन हो गया. उन्होंने 95 साल की उम्र में ऊटी में ली आखिरी सांसें लीं. वह भारत के न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम को नई ऊंचाइयों पर ले गए. उनके निधन की सूचना उनकी बेटी शारदा श्रीनिवासन ने फेसबुक पर पोस्ट के माध्यम से दी. शारदा ने बताया कि सोमवार को अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. मंगलवार सुबह 4 बजे उनका निधन हो गया. श्रीनिवासन ने जो मुकाम हासिल किया, वह उन युवाओं के लिए मिसाल है जो विज्ञान में करियर बनाना चाहते हैं और वैज्ञानिक बनकर देश दुनिया में नाम कमाना चाहते हैं.आइए आपको बताते हैं उनकी पूरी कहानी…
इंडिया में जन्म, कनाडा में की पढ़ाई
एम आर श्रीनिवासन का जन्म 5 जनवरी 1930 को भारत के बेंगलुरु में हुआ था. उन्होंने मैसुर के इंटरमीडिएट कॉलेज में साइंस की पढ़ाई की.उन्होंने इंग्लिश व संस्कृत को अपनी लैंग्वेज चुना. इंटरमीडिएट के बाद एम आर श्रीनिवासन ने 1950 में बेंगलुरु के एम विश्वेश्रैया इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन यानि बीटेक किया. 1952 में मास्टर्स पूरा करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए कनाडा चले गए. वहां उन्होंने मॉन्ट्रियल की मैकगिल यूनिवर्सिटी में गैस टर्बाइन टेक्नोलॉजी में पीएचडी की.
भारत लौटकर बने न्यूक्लियर साइंटिस्ट
1955 में श्रीनिवासन भारत लौटे और डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी से जुड़ गए. यहां उनकी मुलाकात भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक होमी जहांगीर भाभा से हुई. दोनों ने मिलकर अगस्त 1956 में देश का पहला न्यूक्लियर रिएक्टर’अप्सरा’बनाया,जो भारत के लिए एक बड़ी कामयाबी थी. 1966 में होमी भाभा की मौत के बाद भी श्रीनिवासन ने हार नहीं मानी. वह जानते थे कि भारत को न्यूक्लियर पावर बनाने के लिए अभी बहुत कुछ करना है. उन्होंने विक्रम साराभाई, डॉ.होमी सेठना, डॉ.राजा रामन्ना, डॉ.पी के आयंगर,डॉ.आर चिदंबरम और डॉ.अनिल काकोड़कर जैसे बड़े साइंटिस्ट्स के साथ मिलकर काम किया.श्रीनिवासन बाद में एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन बने. 1987 में उन्होंने मुंबई में न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCIL)की नींव रखी.उनकी अगुवाई में NPCILने देश में 18 न्यूक्लियर पावर यूनिट्स बनाए,जो आज भी भारत की एनर्जी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं.
WANO के फाउंडर मेंबर बने
श्रीनिवासन वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ न्यूक्लियर ऑपरेटर्स (WANO)के फाउंडर मेंबर थे. इसके अलावा वो इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग और इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के फेलो भी रहे. इंडियन न्यूक्लियर सोसाइटी ने उन्हें इमेरिटस फेलो का सम्मान भी दिया था.श्रीनिवासन की मेहनत और लगन ने भारत को न्यूक्लियर पावर के क्षेत्र में एक मजबूत पहचान दी.
Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...
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