Last Updated:November 13, 2025, 18:56 IST
Surinder Koli News; Nithari killings: निठारी कांड के आरोपी सुरिंदर कोहली को सुप्रीम कोर्ट ने 19 साल बाद बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि जांच में गंभीर खामियां थीं और सबूतों का कोई भरोसेमंद आधार नहीं था. कोर्ट ने माना कि संदेह पर सज़ा नहीं दी जा सकती. अब कोहली पूरी तरह से आजाद हैं और किसी भी केस में आरोपी नहीं बचे हैं. आइए जानते हैं वह कौन सी वजहें थीं जिसक कारण उन्हें रिहाई मिल गई.
निठारी कांड के आरोपी सुरिंदर कोहली को सुप्रीम कोर्ट ने 19 साल बाद बरी कर दिया.नई दिल्ली: देश को हिला देने वाले निठारी कांड के 19 साल बाद, इस केस के मुख्य आरोपी सुरिंदर कोहली अब आजाद हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (11 नवंबर) को उन्हें बरी करते हुए कहा कि “आरोपों का आधार संदेह पर नहीं, बल्कि ठोस सबूतों पर होना चाहिए.” अदालत ने यह भी कहा कि जांच में गंभीर लापरवाही हुई और सबूतों का कोई विश्वसनीय आधार नहीं रहा.
यह फैसला न केवल कानूनी इतिहास में अहम है, बल्कि उस दर्दनाक कांड की यादें भी ताजा कर गया जिसने 2006 में पूरे देश को दहला दिया था. निठारी के नाले से बच्चों के कंकाल मिलने के बाद जो भय और क्रोध पूरे देश में फैला था, अब वही मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खत्म हो गया है. कोहली अब किसी भी केस में आरोपी नहीं बचे हैं.
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: ‘संदेह पर नहीं हो सकती सजा’
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच- मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि “कानून में सज़ा का आधार शक नहीं, सबूत होता है. संदेह चाहे कितना भी गंभीर क्यों न हो, वह दोष सिद्ध करने का आधार नहीं बन सकता.”
कोर्ट ने यह भी माना कि जांच एजेंसियों ने कई गंभीर चूक कीं- मौके को सुरक्षित नहीं किया गया, मेडिकल जांच में देरी हुई. खुलासे के बयान समय पर दर्ज नहीं किए गए, और फॉरेंसिक साक्ष्य को अदालत में ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया.इन कमियों के चलते अदालत ने कहा कि “जांच की लापरवाही ने सच तक पहुंचने का रास्ता बंद कर दिया.”
निठारी के नाले से बच्चों के कंकाल मिलने के बाद जो भय और क्रोध पूरे देश में फैला था.
सुप्रीम कोर्ट ने किन वजहों से कोहली को बरी किया?
मुख्य कारण जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दर्ज हुए:
सबूतों की श्रृंखला टूटी हुई थी घटनास्थल को खोदने से पहले सुरक्षित नहीं किया गया मेडिकल रिपोर्ट में विरोधाभास गवाहों के बयान समय पर दर्ज नहीं हुए फॉरेंसिक जांच अधूरी रही डीएनए और पोस्टमॉर्टम मटेरियल अदालत में समय पर जमा नहीं हुआ कई गवाहों को पुलिस ने कभी पेश ही नहीं कियानिठारी केस की पूरी टाइमलाइन (2006–2025)
| दिसंबर 29, 2006 | निठारी में नाले से बच्चों के कंकाल मिले, देश हिल गया |
| जनवरी 2007 | CBI ने जांच संभाली, कोहली और मोनिंदर सिंह पंधेर गिरफ्तार |
| 2009–2012 | कोहली को कई मामलों में मौत की सज़ा मिली |
| जनवरी 2015 | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मौत की सज़ा को उम्रकैद में बदला |
| अक्टूबर 2023 | हाईकोर्ट ने कोहली और पंधेर दोनों को सभी मामलों में बरी किया |
| जुलाई 2025 | सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और पीड़ित परिवारों की अपील खारिज की |
| नवंबर 11, 2025 | सुप्रीम कोर्ट ने कोहली को अंतिम मामले में भी बरी किया |
कानूनी विश्लेषण: कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा-
अपराध कितना भी भयावह क्यों न हो, न्याय के सिद्धांत नहीं बदले जा सकते. जब जांच में गंभीर खामियां हों, तो अदालत के पास सज़ा बरकरार रखने का कोई आधार नहीं बचता.
कोर्ट ने यह भी कहा कि Article 21 के तहत हर व्यक्ति को निष्पक्ष जांच और न्याय पाने का अधिकार है, खासकर तब जब मामला मौत की सज़ा (Capital Punishment) से जुड़ा हो.
क्या था निठारी कांड?
यह मामला नोएडा सेक्टर 31 के निठारी गांव का है. 2005–2006 के बीच कई बच्चे और महिलाएं गायब हो रही थीं. दिसंबर 2006 में नाले से 16 कंकाल बरामद हुए. आरोप था कि घर के नौकर सुरिंदर कोहली और मालिक मोनिंदर सिंह पंधेर ने बच्चों के साथ दुष्कर्म और हत्या की. पुलिस ने 16 से अधिक चार्जशीट दाखिल की थीं.CBI जांच पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
जांच में लापरवाही और देरी से असली अपराधी की पहचान नहीं हो पाई. ऑर्गन ट्रेड (अंग व्यापार) के एंगल की जांच अधूरी रही. कई फॉरेंसिक रिपोर्ट्स समय पर दर्ज नहीं की गईं. पुलिस कस्टडी में आरोपी के अधिकारों की अनदेखी हुई. गवाहों के बयान विरोधाभासी और अधूरे थे.निठारी कांड ने एक दौर में पूरे देश को झकझोर दिया था.
फैसले का असर और सवाल
इस फैसले ने एक बार फिर जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. क्या अगर शुरुआत में जांच सही होती तो असली गुनहगार पकड़े जा सकते थे? कोर्ट ने कहा “जांच में पेशेवर दक्षता और संवैधानिक अनुपालन हो तो कठिन से कठिन अपराध सुलझाए जा सकते हैं.”
निठारी कांड ने एक दौर में पूरे देश को झकझोर दिया था. लेकिन 19 साल बाद यह केस न्याय व्यवस्था की सीमाओं को भी उजागर कर गया. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सिर्फ सुरिंदर कोहली की रिहाई नहीं, बल्कि भारत की जांच एजेंसियों के लिए एक कड़ा सबक है “सिर्फ भावनाओं से नहीं, कानून के दायरे में ही न्याय संभव है.”
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
November 13, 2025, 18:54 IST

1 hour ago
