Last Updated:July 04, 2025, 16:32 IST
Shubhanshu Shukla News: शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से छात्रों के सवालों के जवाब दिए. बताया- कैसे दीवार से बंधकर सोते हैं, क्या खाते हैं और क्यों ले गए गाजर का हलवा! बच्चों को दी करियर की प्रेरणा.

शुभांशु शुक्ला ने छात्रों से संवाद किया. (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
अंतरिक्ष में दीवार से बंधकर सोते हैं: शुभांशुभारत से साथ ले गए गाजर का हलवा और आमरस'धरती को देखना सबसे सुंदर अनुभव': शुभांशुShubhanshu Shukla News: आज देश के कई राज्यों के छात्र बहुत उत्सुक थे. क्योंकि उनसे अंतरिक्ष से बात करने वाले थे भारत के बेटे शुभांशु शुक्ला. स्कूल के छात्र-छात्राओं ने हाल ही में वो सपना जिया, जो हर बच्चा देखता है वह है अंतरिक्ष यात्री से बात करने का. किन ये बात किसी वीडियो या फिल्म में नहीं, बल्कि सच्चाई में हुई. भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री, जो इस वक्त इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर तैनात हैं उन्होंने सीधे अंतरिक्ष से बच्चों के सवालों के जवाब दिए.
ISRO के ‘विद्यार्थी संवाद कार्यक्रम’ के तहत हुई इस बातचीत ने बच्चों को न सिर्फ रोमांचित किया, बल्कि उन्हें विज्ञान और स्पेस रिसर्च की दुनिया में कदम रखने का हौसला भी दिया. कार्यक्रम में गगनयान मिशन के दूसरे क्रू सदस्य, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप भी शामिल हुए. जिन्होंने छात्रों को एविएशन और स्पेस साइंस में करियर की प्रेरणा दी.
गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आमरस – अंतरिक्ष की मिठास
शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में भोजन प्री-पैक्ड होता है, लेकिन स्वाद का पूरा ख्याल रखा जाता है. उन्होंने बच्चों को बताया कि “मैं अपने साथ भारत से गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आमरस लाया हूं.” इस बातचीत के दौरान बच्चों के चेहरों पर जो मुस्कान थी वो शायद जिंदगी भर ना मिटे.
बिना सीट वाली साइकिल और बेल्ट से बंधकर एक्सरसाइज
माइक्रोग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण की कमी शरीर को कमजोर कर देती है, इसलिए वहां रोज व्यायाम करना जरूरी होता है. शुभांशु शुक्ला ने बच्चों को बताया, “हम यहां साइकिल चलाते हैं लेकिन साइकिल में सीट नहीं होती. खुद को बेल्ट से बांधना पड़ता है.” इस पर बच्चे हंसते हुए बोले, “मजा आ गया!”
तकनीक के सहारे, परिवार की यादें भी पास
मानसिक स्वास्थ्य पर पूछे सवाल के जवाब में शुभांशु ने कहा कि तकनीक ने दूरी मिटा दी है. उन्होंने कहा, “हम अपने परिवार और दोस्तों से बात कर सकते हैं. इससे बहुत मदद मिलती है.”
वापस धरती पर लौटना भी चुनौती
अंतरिक्ष में शरीर धीरे-धीरे अनुकूल हो जाता है लेकिन जब वापसी होती है तो फिर से धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति को अपनाना पड़ता है. शुभांशु ने कहा, “ये खुद में एक नई चुनौती होती है.” इस खास मुलाकात के बाद छात्रों ने ISRO के इस संवाद कार्यक्रम की तारीफ की. एक छात्रा ने कहा, “शुभांशु सर ने जो बताया, वो किसी साइंस फिक्शन से कम नहीं लगा. अब मुझे यकीन है कि मैं भी एक दिन अंतरिक्ष में जा सकती हूं.”
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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