(रिपोर्ट: अनिंद्य बनर्जी)
नई दिल्ली. एक नई किताब में खुलासा किया गया है कि देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री की विशेष पहल के बावजूद बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों के भारत में प्रवेश के खिलाफ थे. ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पड़ोसी देश में हमले के शिकार बांग्लादेशी हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए न केवल अपना समर्थन जताया है, बल्कि शेख हसीना को सुरक्षित शरण भी दी है. जबकि भाजपा नेता डॉ. अनिर्बान गांगुली की नई किताब में सनसनीखेज दावा किया गया है. इस किताब में विभाजन से लेकर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) तक का इतिहास दिया गया है. इसमें दावा किया गया है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू न केवल बांग्लादेशी हिंदुओं की दुर्दशा को खारिज करते थे, बल्कि तत्कालीन पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री और कांग्रेसी डॉ. बीसी रॉय के एसओएस भेजे जाने के बावजूद उन पर कोई ध्यान नहीं दिया.
जब नेहरू ने बांग्लादेशी हिंदुओं को ‘छोड़ दिया’
डॉ. अनिर्बान गांगुली गृह मंत्री अमित शाह के जीवनीकार भी हैं. वो अपनी नई किताब ‘फ्रॉम पार्टीशन टू प्रोग्रेस: पर्सक्यूटेड हिंदूज एंड द स्ट्रगल फॉर सिटिजनशिप’ लेकर आ रहे हैं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भारतीय संसद में पूर्वी पाकिस्तान में हिंदू उत्पीड़न का मुद्दा कैसे उठाना पड़ा, इसका साफ उदाहरण देते हुए गांगुली लिखते हैं कि “1950 के दशक में नेहरू ने हिंदू शरणार्थियों के लिए हर दरवाजा बंद करना शुरू कर दिया था. जब बंगाल के मुख्यमंत्री डॉ. बीसी रॉय ने नेहरू से दरवाजा खोलने की अपील की, तो नेहरू ने यह कहते हुए मना कर दिया कि ‘अगर हमने दरवाजा खोला, तो हम सब डूब जाएंगे.’
सीएए: राहुल गांधी नेहरू की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं?
लेखक ने जवाहर लाल नेहरू और राहुल गांधी के बीच समानताएं दिखाने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का बार-बार इस्तेमाल किया है. जिसका असर विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में मतुआ जैसे समुदायों के बीच बहुत अधिक है, जो पीढ़ियों से इस तरह के कानून की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सीएए का ‘पूरी ताकत से’ विरोध करने का संकल्प लिया. जैसा कि इस घटना से पता चलता है, राहुल गांधी के परदादा ने भारत के पड़ोस से सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता के अधिकार देने का लगातार विरोध किया था. नेहरू विशेष रूप से बंगाली हिंदू शरणार्थियों के खिलाफ थे और उनके प्रति तीखे थे.
राहुल गांधी भी नेहरू की तरह हिंदू शरणार्थियों के लिए उदासीन
राहुल गांधी और नेहरू के कामों के बीच संबंध दिखाते हुए उन्होंने लिखा कि आज उनके राजनीतिक वारिसों ने भारत के पड़ोस से सताए गए और निकाले गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का सक्रिय रूप से विरोध किया है. नेहरू के वारिसों ने भावनाओं को भड़काया और कानून की जानबूझकर गलत व्याख्या करके सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की कोशिश की. ऐसा करके, उन्होंने विभाजन के इतिहास के बारे में अपनी अज्ञानता और शरणार्थियों की दुर्दशा के प्रति एक पत्थर की तरह तिरस्कारपूर्ण उदासीनता दिखाई, जो सात दशकों से लगभग दुर्दशा का जीवन जी रहे हैं. गांगुली डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के अध्यक्ष हैं. वे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य भी हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 11, 2024, 17:41 IST