Last Updated:May 13, 2025, 11:00 IST
New CJI Justice BR Gavai: देश के नए प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने वकील से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज तक का सफर तय किया है. अब वह देश के 52वें CJI बने हैं. पूर्व सीजेआई केजी बालाकृष्णन के बाद जस्टिस ...और पढ़ें

जस्टिस बीआर गवई देश के 52वें CJI बन गए हैं. (फोटो: पीटीआई)
हाइलाइट्स
जस्टिस बीआर गवई बने सुप्रीम कोर्ट के 52वें और दूसरे दलित सीजेआईCJI गवई नोटबंदी, आर्टिकल 370 जैसे मामलों की सुनवाई में रहे शामिलमई 2019 में बने सुप्रीम कोर्ट जज, नवंबर 2025 तक बने रहेंगे सीजेआईनई दिल्ली. सीजेआई संजीव खन्ना रिटायर हो गए हैं. सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज जस्टिस बीआर गवई ने देश के नए प्रधान न्यायाधीश (CJI) का कार्यभार संभाल लिया है. वह सुप्रीम कोर्ट के 52वें CJI हैं. साथ ही देश के ज्यूडिशियल स्ट्रक्चर के सुप्रीम पोस्ट तक पहुंचने वाले वह दूसरे दलित हैं. जस्टिस गवई से पहले केजी बालाकृष्णन सीजेआई के पद तक पहुंचे थे. जस्टिस गवई ने नागपुर से बीए एलएलबी की डिग्री ली और अपने लीगल प्रोफेशन की शुरुआत की. जस्टिस गवई नवंबर 2003 में हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने और साल 2005 में उनको स्थाई जज बनाया गया था. इसके बाद 24 मई 2019 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और अब उन्होंने CJI का पद संभाला है. वह 23 नवंबर 2025 को रिटायर होंगे.
देश के नए CJI जस्टिस बीआर गवई 5 बड़े मामलों की सुनवाई करने वाली पीठ में बतौर जज शामिल रहे, जो देश के न्यायिक इतिहास में दर्ज हैं -:
नोटबंदी
सरकार ने साल 2016 में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट को बंद करने की घोषणा की थी. सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. शीर्ष अदालत की पांच जजों की पीठ ने 4-1 की बहुमत के साथ इन याचिकाओं को खारिज कर दिया था. पांच जजों की पीठ में जस्टिस बीआर गवई भी शामिल थे. जस्टिस गवई के अलावा बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना भी शामिल थीं. जस्टिस गवई ने जस्टिस नागरत्ना के साथ मिलकर फैसला पढ़कर सुनाया था.
अनुच्छेद-370
केंद्र सरकान ने जम्मू-कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेषाधिकार को समाप्त करने का फैसला लिया था. संसद से इसे पास भी करा लिया गया था. सरकार के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था. तत्कालीन CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था. पांच जजों की बेंच में जस्टिस बीआर गवई भी शामिल थे. इनके अलावा जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एसके कौल और और जस्टिस संजीव खन्ना (अब रिटायर्ड) भी शामिल थे.
इलेक्टोरल बॉन्ड
चुनावी चंदा को लेकर इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम लाई गई थी. स्कीम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. तत्कालीन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की सुनवाई की थी. सुप्रीम कोर्ट न इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द करने का फैसला दिया था. मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में जस्टिस बीआर गवई भी शामिल थे. इसके अलावा जस्टिस संजीव खन्ना (रिटायर्ड), जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे.
SC/ST सब-क्लासिफिकेशन
SC/ST कैटेगरी में सब-क्लासिफिकेशन पर दिए गए ऐतिहासिक फैसले में भी जसिटस बीआर गवई शामिल रहे थे. जस्टिस गवई ने SC/ST में क्रीमी लेयर तय करने की पुरजोर वकालत की थी. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में इन कैटेगरी में कोटे के अंदर कोटे के कदम को जायज ठहराया गया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था.
राहुल गांधी मामला
राहुल गांधी पर मानहानि मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में भी जस्टिस बीआर गवई शामिल रहे थे. उनकी बेंच ने कांग्रेस नेता को बड़ी राहत प्रदान की थी. इसके अलावा सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण से जुड़े अदालत की अवमानना ममाले की सुनवाई करने वाली बेंच में भी जस्टिस गवई शामिल थे. प्रशांत भूषण को दोषी ठहराया गया था.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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