India- Pakistan conflict: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लगभग 21 मिनट तक चले देश के नाम संबोधन में मेड-इन-इंडिया हथियारों की सराहना की. इन हथियारों का इस्तेमाल भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में किया था. भारतीय सेना ने इनका इस्तेमाल पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर हमला करने के लिए किया. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमलों का भारत द्वारा दिया गया जवाब था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे.
पहलगाम हत्याकांड पर भारत की आक्रामक प्रतिक्रिया ने पाकिस्तान को दिखा दिया कि खुफिया जानकारी, सैन्य ताकत और स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल के मामले में वह आज किस स्थिति में है. ऑपरेशन सिंदूर बैठक में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल की गई हथियार प्रणाली पर गहन चर्चा हुई. पूरे ऑपरेशन के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें भारत में निर्मित टेक्नॉलॉजी और हथियारों का इस्तेमाल किया गया. जबकि पाकिस्तान पूरी तरह से चीन और अन्य देशों के हथियारों और गोला-बारूद पर निर्भर था. भारत ने आकाश मिसाइल प्रणाली से लेकर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित डी4 एंटी-ड्रोन प्रणाली तक विभिन्न प्रकार के हथियारों का इस्तेमाल किया.
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यहां भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले भारत निर्मित हथियारों पर एक नजर डाली गई है…
डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम: यह स्वदेशी रूप से विकसित ड्रोन डिटेक्शन और न्यूट्रलाइजेशन सिस्टम है. जिसका इस्तेमाल संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन हमलों को विफल करने के लिए किया गया था. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित यह स्वदेशी प्रणाली इस्लामाबाद के हमलों को विफल करने में सफल रही. यह प्रसिद्ध ‘आयरन डोम’ शील्ड के समान है जिसका उपयोग इजरायल द्वारा गाजा में हमास और यमन में हूथियों द्वारा रॉकेट हमलों को विफल करने के लिए किया जाता है. ड्रोन रोधी प्रणाली को शीघ्रता से विकसित करने के अपने प्रयास में डीआरडीओ ने विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त कम से कम चार प्रयोगशालाओं को एक साथ लिया. ताकि ऐसे मानवरहित विमानों का पता लगाने, उनकी पहचान करने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए एक बहु-सेंसर समाधान विकसित किया जा सके.
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आकाश मिसाइल प्रणाली: यह सतह से हवा में मार करने वाली एक स्वदेशी मिसाइल प्रणाली है. जिसे पश्चिमी सीमा और नियंत्रण रेखा पर बड़े पैमाने पर तैनात किया गया है. जिसने भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने वाले पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को रोकने में मदद की. आकाश मिसाइल प्रणाली 18,000 मीटर की ऊंचाई पर 45 किलोमीटर दूर तक के विमानों को निशाना बना सकती है. इसमें लड़ाकू जेट, क्रूज मिसाइल और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है. आकाश की परिकल्पना डीआरडीओ द्वारा की गई थी. इसे डीआरडीओ के साथ मिलकर भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने विकसित किया है.
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ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल: ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल पहली बार युद्ध में किया गया है. रिपोर्टों के अनुसार ब्रह्मोस ने पाकिस्तान के कई रणनीतिक एयरबेस और अंदर तक स्थित सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया, जिससे काफी नुकसान हुआ. ब्रह्मोस एक सटीक-स्ट्राइक वाली मिसाइल है जिसे जमीन, समुद्र और हवाई प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है. यानी आपको किसी दूर के टारगेट पर एकदम सटीक निशाना लगाना है तो ब्रह्मोस मिसाइल की मदद ले सकते हैं. इसे हर मौसम में हर तरह की स्थितियों में दिन-रात काम करने के लिए डिजाइन किया गया है.
लोइटरिंग म्यूनिशन (कामिकेज़ ड्रोन): भारत द्वारा पहली बार इस्तेमाल किया गया लोइटरिंग म्यूनिशन (आत्मघाती ड्रोन या कामिकेज़ ड्रोन या विस्फोटक ड्रोन) एक ऐसा हथियार है जो वारहेड से लैस है. यह लक्ष्य क्षेत्र पर मंडराते हुए उसे पहचानने के बाद उस पर सटीक तरह से हमला करता है. यह अक्सर सीधे उससे टकराता है. इसे अलग से भी संचालित किया जा सकता है या मानव ऑपरेटर द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है. इसे बेंगलुरु स्थित अल्फा डिजाइन और इजरायल के एल्बिट सिक्योरिटी सिस्टम ने बनाया था. स्काईस्ट्राइकर के नाम से मशहूर इस हथियार को 2021 में इजरायल से आपातकालीन ऑर्डर के दौरान खरीदा गया था. बाद में इसे भारत में विकसित किया गया.
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एल-70 एंटी-एयरक्राफ्ट गन: इसे मूल रूप से स्वीडन की बोफोर्स ने विकसित किया था और अब इसका निर्माण भारत में किया जाता है. हालांकि, भारत ने इसे रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और ऑटो-ट्रैकिंग सिस्टम के साथ अपग्रेड किया है.
प्रिसिशन स्ट्राइक वेपन सिस्टम: भारत के PSWS सिस्टम ने ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाई थी. यह तकनीक हथियारों को कम से कम नुकसान के साथ खास लक्ष्यों को नष्ट करने में मदद करती है. यह GPS, इंफ्रारेड, रडार और लेजर सहित मार्गदर्शन प्रणालियों का उपयोग करता है.
स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन: SAAW सिस्टम को डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है. स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन एक लंबी दूरी का स्टैंड-ऑफ सटीक हवा से सतह पर मार करने वाला हथियार है जो जमीनी लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है और इसका सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया.
बराक 8 मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल: बराक 8 सिस्टम को डीआरडीओ और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने विकसित किया है. ऐसा कहा जाता है कि इसने पाकिस्तान की फतेह-2 मिसाइल को मार गिराया. जिसके बारे में इस्लामाबाद ने गलत दावा किया था कि इसने भारत पर हमला किया है. बराक 8 प्रणाली ने पाकिस्तान से दागी गई मिसाइल को हवा में ही रोककर उसे निष्क्रिय कर दिया.
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इन हथियारों ने भी दिखाया दम: भारत में निर्मित हथियारों के साथ-साथ रूसी और तुर्की निर्मित उपकरण जैसे कि एस-400 वायु रक्षा प्रणाली और कामिकेज ड्रोनों ने रफीकी, मुरीद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर, चुनियन, पसरूर और सियालकोट जैसे स्थानों पर पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों, रडार साइटों, गोला-बारूद के भंडारों और कमांड केंद्रों को निशाना बनाया.
यह एक आत्मनिर्भरता-आधारित युद्ध था
इससे पहले, डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने भी पाकिस्तान के साथ भारत के हालिया संघर्ष में इस्तेमाल किए गए स्वदेशी हथियारों की सराहना की थी. रेड्डी ने एएनआई को बताया था, “इस युद्ध में कई स्वदेशी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया था और यह युद्ध एक आत्मनिर्भर युद्ध था. डीआरडीओ और निजी उद्योगों द्वारा विकसित एंटी-ड्रोन सिस्टम का बहुत सफलतापूर्वक उपयोग किया गया था क्योंकि बड़ी संख्या में ड्रोन आ रहे थे.”