शुभ्रांशु शुक्ला का कितनी रकम का अंतरिक्ष बीमा,दुनिया का सबसे महंगा इंश्योरेंस

5 hours ago

भारत के शुभ्रांशु शुक्ला 14 दिनों के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए हैं. अंतरिक्ष जाने वाले एस्ट्रोनॉट का इंश्योरेंस दुनिया में सबसे महंगा होता है. इसकी रकम 40 करोड़ से लेकर 160 करोड़ तक हो सकती है. ये बीमा क्या क्या कवर करता है, क्यों किया जाता है और ये दुनिया का सबसे महंगा बीमा क्यों होता है. इसके साथ आप ये भी जानेंगे कि हादसे की स्थिति में ऐसा बीमा क्लेम किसे किसे दिया जा चुका है.

गौरतलब है कि शुक्ला तीन और देशों के एस्ट्रोनॉट्स के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर गए हुए हैं. वह वहां 14 दिनों के लिए गए हैं. वह नासा के एक्सिओम-4 मिशन पर अंतरिक्ष गए हैं.

अंतरिक्ष में जाने वाले हर यात्री का बीमा किया जाता है. अंतरिक्ष यात्रा काफी जोखिम भरी होती है, इसलिए अंतरिक्ष यात्रियों, अंतरिक्ष यान और मिशन से जुड़े उपकरणों के लिए बीमा जरूरी होता है. ये बीमा मिशन से जुड़ी संस्था जैसे NASA, ISRO या निजी कंपनियों द्वारा किया जाता है. लॉयड्स ऑफ लंदन जैसी बीमा कंपनी आमतौर पर अंतरिक्ष यात्रा के उच्च जोखिमों को कवर करते हुए इंश्योरेंस करती है.

चूंकि शुभ्रांशु शुक्ला एक्सिओम मिशन-4 पर गए हैं, लिहाजा उनका भी बीमा हुआ है. दरअसल भारत सरकार ने उनके लिए इस मिशन यान पर एक सीट खरीदी थी, जिसकी कीमत करीब $60 million (करीब ₹500 करोड़) है, जिसे भारतीय सरकार ने 2025 में अदा किया, इसमें बीमा कराने की रकम भी शामिल है.

भारत सरकार ने एक्सिओम स्पेस मिशन के लिए जो रकम दी, उसमें मिशन की लागत, सीट खर्च, प्रशिक्षण, और बीमा शामिल हैं. एक्सिओम स्पेस और स्पेस एक्स आम तौर पर अपनी निजी स्पेसफ्लाइट मिशन के यात्रियों के लिए लाइफ और एक्सीडेंट इंश्योरेंस करते हैं.

कितने का बीमा

Axiom मिशनों में दुर्घटना बीमा राशि $5 (42 करोड़ रुपए) –$20 मिलियन (168 करोड़ रुपए) प्रति यात्री होती है, जिसके लिए इसका बीमा प्रीमियम करीब 10‑20 फीसदी तक जाता है.

चूंकि शुभ्रांशु शुक्ला की सीट की कीमत $60M से अधिक है, इसलिए कुल बीमा कवरेज इसी राशि के अनुसार निर्धारित की गई होगी, तो उनकी बीमा इंश्योरेंस की जोखिम राशि और ज्यादा होगी. इसका मतलब ये है कि उनके लिए इंश्योरेंस जोखिम राशि भी और ज्यादा होगी, जो 150 करोड़ से लेकर 200 करोड़ तक हो सकती है. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती.

बीमा में क्या कवर होता है

– मिशन के दौरान मृत्यु या गंभीर चोट
– ट्रेनिंग या ट्रेनिंग कैंसल होने पर आर्थिक हानि
– मिशन कैंसिलेशन या लंबित रहने पर अतिरिक्त जोखिम
– बीमा कवर आम तौर पर मिशन की अवधि और संभावित ट्रेनिंग अवधि दोनों को शामिल करता है

बीमा कौन कराता है

– राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियां (जैसे NASA, ESA, Roscosmos)
– अमेरिका में NASA अपने अंतरिक्ष यात्रियों की जान-माल का बीमा कराता है.
– NASA अपने अंतरिक्ष यात्रियों और उनके परिजनों के लिए लाइफ इंश्योरेंस पालिसी और एक्सीडेंटल डेथ कवरेज देता है
– अंतरराष्ट्रीय मिशन (जैसे ISS) में भागीदार देश अपनी-अपनी सरकारों या स्पेस एजेंसियों के ज़रिए अपने अंतरिक्ष यात्रियों का बीमा करते हैं.

पहले क्या होता था

60 के दशक में Apollo मिशन के दौरान NASA बीमा नहीं करा पाया था, इसलिए अंतरिक्ष यात्री मिशन से पहले अपने ऑटोग्राफ्स पर हस्ताक्षर करके छोड़ जाते थे, ताकि अगर कुछ हो जाए तो इस ऑटोग्राफ के जरिए वो परिवार के लिए पैसा कमा सकें.

कौन सी बीमा कंपनियां ये करती हैं

पूरी दुनिया में सिर्फ कुछ ही बीमा कंपनियाँ हैं जो अंतरिक्ष बीमा में हाथ डालती हैं
लायड्स ऑफ लंदन
ग्लोबल एयरोस्पेस
एक्सा एक्सएल
स्टार कंपनीज
म्युनिख रे
ये सभी कंपनियां बहुत हाई-रिस्क बीमा के लिए जानी जाती हैं.

कवरेज कब से कब तक रहता है

– बीमा आमतौर पर मिशन शुरू होने से लेकर धरती पर सुरक्षित लौटने तक वैध रहता है.
– सकुछ बीमा पॉलिसियां ट्रेनिंग पीरियड (मिशन से पहले के हफ्तों/महीनों) को भी कवर करती हैं
उदाहरण के लिए अगर कोई अंतरिक्ष यात्री ट्रेनिंग के दौरान घायल हो जाए और बीमा में वो शामिल है तो कवरेज मिलेगा.

क्या बातें इसमें कवर नहीं होतीं

– अगर यात्री ने जानबूझकर ख़ुद को जोखिम में डाला
– शराब, नशे या अनुशासनहीनता के कारण दुर्घटना
-युद्ध या आतंकवाद के कारण हुई घटना
– मेडिकल कंडीशन छुपाने पर

कौन-कौन क्लेम कर सकता है

– अंतरिक्ष यात्री के परिवार के सदस्य
– मिशन संचालित करने वाली एजेंसी

क्या ये दुनिया का सबसे महंगा बीमा

– हां, सही बात है कि अंतरिक्ष बीमा दुनिया का सबसे महंगा बीमा है.
– स्पेसफ्लाइट के एक मिशन के लिए प्रीमियम बीमा रकम का 10%–20% तक हो सकता है.

अंतरिक्ष में जब कोलंबिया शटल यान में हादसा हो गया और टुकड़ों में टूट गया. इसी में भारत की कल्पना चावला भी थीं

अब तक किन अंतरिक्ष हादसों में बीमा या मुआवज़ा दिया गया

अपोलो 1 हादसा (1967)
घटना- ट्रेनिंग के दौरान कैप्सूल में आग लगने से 3 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत. NASA ने विशेष फंड से इनके परिवारों को मुआवज़ा दिया. Apollo मिशन के शुरुआती दौर में Life Insurance Policies नहीं थीं लेकिन बाद में NASA ने इसे अनिवार्य किया. पहले अंतरिक्ष यात्री मिशन से पहले अपने ऑटोग्राफ छोड़ते थे, ताकि उन्हें बेचा जाकर परिवारों के लिए पैसा जुटाया जा सके.

चैलेंजर हादसा (1986)
घटना – अंतरिक्ष शटल चैलेंजर उड़ान के 73 सेकंड बाद फट गया. 7 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत.
बीमा/मुआवज़ा – NASA ने सभी परिवारों को सरकारी लाइफ इंश्योरेंस और निजी मुआवज़ा दिया.
लायड्स ऑफ लंदन और अन्य बीमा कंपनियों ने क्लेम सेटल किए.
राशि सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन अनुमान $1 मिलियन (8.5 करोड़ रुपए) –$3 मिलियन (25 करोड़ रुपए) प्रति यात्री.

कोलंबिया हादसा (2003)
घटना – स्पेस शटल कोलंबिया धरती पर लौटते समय टूटकर बिखर गया. 7 अंतरिक्ष यात्री मारे गए. इसी में भारत की कल्पना चावला भी शामिल थीं.
बीमा/मुआवज़ा – नासा ने फेडरल एम्प्लाइज ग्रुप लाइफ इंश्योरेंस (FEGLI) और एजेंसी के विशेष बीमा कवरेज से मुआवज़ा दिया. साथ ही U.S. Congress ने अलग से Columbia Families Trust Fund बनाया.
अनुमानित बीमा राशि $2–$5 मिलियन (17 करोड़ रुपए से 50 करोड़ रुपए तक) प्रति यात्री.

इसी तरह के हादसे सोवियत सोयूज़ 11 (1971) और सोयूज 1 (1967) में हुए. उसमें सरकार ने आर्थिक सहायता दी लेकिन बीमा राशि के बारे में कुछ सार्वजनिक नहीं किया गया.

अंतरिक्ष बीमा दुनिया का सबसे महंगा बीमा क्यों

अंतरिक्ष बीमा को दुनिया का सबसे महंगा बीमा इसीलिए माना जाता है क्योंकि इसमें शामिल जोखिम, लागत, और तकनीकी जटिलताएं किसी भी अन्य बीमा से कहीं अधिक होती हैं
– अंतरिक्ष में ज़रा सी तकनीकी गड़बड़ी से पूरे मिशन की विफलता या मौत हो सकती है.
– स्पेस लांच, डॉकिंग, वापसी – हर चरण में मृत्यु या चोट का गंभीर खतरा है.
– बीमा कंपनियां जितना ज़्यादा जोखिम देखती हैं, उतना ज़्यादा प्रीमियम लेती हैं
– अंतरिक्ष में “no rescue” का नियम है यानि अगर कुछ गड़बड़ हुई तो कोई बचाने नहीं आएगा.
– एक सैटेलाइट या इंसानी मिशन की कीमत $100 मिलियन से लेकर $1 बिलियन तक हो सकती है.
– इस कीमत को कवर करने के लिए बीमा भी उतने ही बड़े पैमाने का होना पड़ता है.
– एक्सओम या स्पेस एक्स की एक सीट ही $50–60 मिलियन में बिकती है.

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