Nuclear Attack on Japan: अगस्त 1945 में जब हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए थे उस समय अमेरिका के बमवर्षक विमानों में से एक जैकोब बेसर नाम के एक रडार विशेषज्ञ भी मौजूद थे. वहीं दूसरी तरफ त्सुतोमु यामागुची नाम के एक जापानी इंजीनियर दोनों हमले से बच गए थे. ये दोनों ही व्यक्ति जैकोब बेसर और त्सुतोमु यामागुची कभी एक-दूसरे से नहीं मिले लेकिन दोनों ने ही जीवन भर परमाणु हथियारों को खत्म करने की जी-तोड़ मेहनत की. अब दशकों के बाद उनके पोते-पोतियों, अरि बेसर और कोसुजु हराडा ने अपने दादाओं की कहानी साझा करने के लिए हाथ मिलाया है.
दोनों हमलों से कैसे बचे यामागुची?
कोसुजु अपने दादा को शांति के लिए काम करने वाले व्यक्ति के तौर पर याद करती हैं. त्सुतोमु यामागुची को हिरोशिमा बमबारी में काफी गंभीर चोटें आई थीं लेकिन वह जैसे-तैसे बचकर नागासाकी पहुंचे. जब वह वहां अपने साथियों को बमबारी के बारे में बता रहे थे उसी समय दूसरा धमाका हुआ. हालांकि अपने इस अनुभव के बारे में यामागुची 90 साल की उम्र तक कभी खुलकर बात नहीं की, क्योंकि उन्हें भेदभाव का डर था. 2010 में यामागुची की मौत हो गई.
क्या बम गिराना सही था?
अरि बेसर के दादा जैकोब बेसर को अपने कामों के लिए स्कूलों में हीरो माना जाता था. जैकोब ने एक बार हिरोशिमा में कहा था, यह हमारे लिए सबसे गर्व का पल नहीं था. उन्होंने ये भी कहा, दुनिया को ये तय करना होगा कि ऐसा दोबारा ना हो. अरि बेसर ने 2011 में पहली बार जापान का दौरा किया. तब से उन्होंने कई सारे लोगों से मुलाकात की जो इस हमले में बच गए, अरि का मानना है कि वह बम गिराए जाने को सही नहीं ठहरा सकते.
किस विमान से गिराया गया था बम?
अरि बेसर ने बमबारी में कहा कि, मैं लोगों को ये बात समझाना चाहता हूं जिससे ये फिर से ना हो. दरअसल उनके दादा दोनों B-29 विमान पर थे जिस वजह से बेसर हमेशा से उन लोगों से मिलना चाहते थे जो दोनों हमलों से बच गए थे. लेकिन हराडा और उनकी मां तब हैरान हुईं जब उन्हें पता चला कि सीनियर बेसर भी अपने मिशन के दौरान रेडिएशन के संपर्क में आए थे. इसपर हराडा ने कहा, हम खुद को बस पीड़ित की नजरों से देख रहे थे लेकिन हमें अब पता चला कि युद्ध ने हम सभी के जीवन को प्रभावित किया है.
हराडा को क्यों डर लगता है?
अरि बेसर और हराडा का मानना है कि ये उनकी जिम्मेदारी है कि वो अपने दादाओं की कहानियों को जिंदा रखें. दोनों मिलकर एक किताब पर भी काम कर रहे हैं और इस मुश्किल समय में कुछ उम्मीद जगाने की कोशिश कर रहे हैं. अरि बेसर कहते हैं कि, आज दुनिया में जो संघर्ष या युद्ध हो रहे हैं उनसे उन्हें डर लगता है कि कहीं इतिहास फिर से दोहराया ना जाए.