Last Updated:November 14, 2025, 23:58 IST
ECI Bihar Chunav Result: बिहार चुनाव 2025 ने राजनीति की तस्वीर बदल दी. एनडीए ने मोदी फैक्टर, आक्रामक सोशल इंजीनियरिंग और महिला वोट बैंक के दम पर बड़ी जीत दर्ज की, जबकि महागठबंधन नेतृत्वहीनता और सीट-बंटवारे के विवादों में उलझा रहा. विकास का नैरेटिव जाति समीकरण पर भारी पड़ा और मतदाताओं ने स्टार चेहरों पर नहीं, स्थानीय काम करने वाले उम्मीदवारों पर भरोसा जताया.

ECI Bihar Election Result: बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की बड़ी जीत का सबसे निर्णायक कारण मोदी फैक्टर और आक्रामक सोशल इंजीनियरिंग रही. बीजेपी ने गैर-यादव ओबीसी, महादलित और अति-पिछड़े वर्गों को एक साझा राजनीतिक छतरी के नीचे ला दिया. मोदी की व्यक्तिगत विश्वसनीयता और केंद्र-राज्य डबल इंजन मॉडल का संदेश गांव-स्तर तक मजबूती से उतरा, जिससे एंटी-इन्कंबेंसी का असर लगभग खत्म हो गया.

महागठबंधन पूरे चुनाव में एक स्पष्ट नेतृत्व और तालमेल से वंचित दिखा. सीट-बंटवारे से लेकर प्रचार तक, हर स्तर पर अविश्वास और असंतोष हावी रहा. आरजेडी के भीतर संगठनात्मक कमजोरी और कांग्रेस की सीमित भूमिका ने गठबंधन की पकड़ ढीली कर दी. चुनाव बाद अब जो असंतोष सामने आ रहा है, वह संकेत देता है कि यह हार महज सीटों की नहीं, रणनीतिक दिशा की भी है.

बिहार की राजनीति दशकों तक जातीय समीकरणों पर टिकी रही, लेकिन इस चुनाव में विकास का नैरेटिव हावी रहा. पीएम आवास, उज्ज्वला, मुफ्त राशन, सड़क-बिजली जैसे मुद्दों ने जाति-आधारित लामबंदी की धार को कमजोर कर दिया. एनडीए ने युवा रोजगार, उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर को चुनावी चर्चा के केंद्र में रखकर विपक्ष की पारंपरिक जाति-समीकरण वाली रणनीति को अप्रभावी कर दिया.

महिलाओं का वोट इस चुनाव का गेमचेंजर साबित हुआ. उज्ज्वला, नल-जल और राशन योजनाओं का सीधा लाभ लेने वाली महिलाओं ने बड़े पैमाने पर एनडीए के पक्ष में मतदान किया. ग्रामीण क्षेत्रों में साइलेंट वोटर के रूप में महिलाएं बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की मजबूती का आधार बनीं. महागठबंधन महिलाओं को लेकर कोई ठोस एजेंडा पेश नहीं कर पाया, जो उसकी बड़ी कमजोरी रही.

इस बार मतदाताओं ने स्टार पावर या जातिगत लोकप्रियता से ज्यादा स्थानीय कामकाज को महत्व दिया. कुछ बड़े नाम, यहां तक कि फिल्मी चेहरे भी हार गए, जबकि जमीनी स्तर पर सक्रिय उम्मीदवारों को भारी समर्थन मिला. यह संकेत है कि बिहार का मतदाता अब केवल पार्टी या चेहरे से नहीं बल्कि ठोस प्रदर्शन और स्थानीय कनेक्ट से प्रभावित हो रहा है. यह बदलाव भविष्य की राजनीति को प्रभावित करेगा.

बिहार चुनाव 2025 में जनसुराज को मिले भारी प्रचार और सोशल मीडिया चर्चा जमीनी वोटों में तब्दील नहीं हो सके. पार्टी कई सीटों पर अच्छी लड़ाई लड़ने के बावजूद जीत के करीब भी नहीं पहुँच पाई. संगठन की कमजोरी, मजबूत उम्मीदवारों की कमी और स्थानीय समीकरणों को साधने में विफलता इसका बड़ा कारण रही. बदलाव का नैरेटिव तो बना, लेकिन वोट बैंक खड़ा न हो सका.

बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों में बीजेपी 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि उसके बाद करीबी मुकाबले में जेडी(यू) ने 85 सीटें हासिल कीं. आरजेडी को केवल 25 सीटों पर सिमटना पड़ा, जो उसके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. एलजेपी (आरवी) ने 19 सीटें लेकर अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई. कांग्रेस को 6, AIMIM और हम (HAMS) को 5-5 सीटें मिलीं. अन्य दलों और निर्दलीयों ने कुल 9 सीटें जीतीं, जिससे विधानसभा में बहुमत के समीकरण और रोचक हो गए हैं.

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