पूर्व CJI जस्टिस गवई ने खींच दी बड़ी लकीर, सेवानिवृत्त होते ही छोड़ी ये सुविधा

1 hour ago

Last Updated:November 24, 2025, 12:55 IST

बीआर गवई ने सेवानिवृत्ति पर सरकारी वाहन छोड़कर एक नई मिसाल पेश की. उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह से लौटते समय सरकारी वाहन का उपयोग नहीं किया. बल्कि उन्होंने अपनी गाड़ी उत्तराधिकारी सीजेआई सूर्यकांत के लिए छोड़ दी. उनके इस कदम की खूब सराहना की जा रही है. यह एक सांकेतिक चीज है लेकिन इसके पीछे का संदेश बहुत अहम है.

पूर्व CJI जस्टिस गवई ने खींच दी बड़ी लकीर, सेवानिवृत्त होते ही छोड़ी ये सुविधापूर्व सीजेआई जस्टिस गवई ने रिटायर होने के साथ ही अपनी आधिकारिक कार छोड़ दी.

देश के पूर्व चीफ जस्टिस बीआर गवई रविवार को रिटायर हो गए. उनकी जगह जस्टिस सूर्यकांत भारत के चीफ जस्टिस बने हैं. लेकिन, सेवानिवृत्ति के साथ ही जस्टिस गवई ने एक नई मिसाल पेश की, जो न्यायपालिका में जनता के भरोसे को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. दरअसल, सोमवार को जस्टिस गवई के उत्तराधिकारी जस्टिस सू्र्यकांत को सीजेआई पद की शपथ दिलाई गई. इस मौके पर राष्ट्रपति भवन में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस दौरान जस्टिस गवई अपनी आधिकारिक गाड़ी से राष्ट्रपति भवन पहुंचे लेकिन समारोह खत्म होने के बाद वह निजी वाहन से लौटकर अपने आवास पहुंचे.

उन्होंने लौटते समय सरकारी वाहन का उपयोग नहीं किया. बल्कि उन्होंने अपनी गाड़ी अपने उत्तराधिकारी सीजेआई सूर्यकांत के लिए छोड़ दी. उनके इस कदम की खूब सराहना की जा रही है. यह एक सांकेतिक चीज है लेकिन इसके पीछे का संदेश बहुत अहम है. दरअसल, बीते कुछ समय से न्यायपालिका की साख पर सवाल उठ रहे हैं. कुछ महीने पहले पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायर होने के बाद भी सीजेआई के लिए आवंटित आवास में रहने की खबर आई थी. हालांकि चंद्रचूड़ ने कहा कि उनकी बेटियां अपाहिज थीं और वे आईसीयू जैसे सेटअप में घर में ही रह रही थीं. इस कारण उनको बंगला खाली करने में देरी हुई.

गुरुवार को सुनाया अहम फैसलाa

जस्टिस गवई दलित समुदाय से आते हैं. चीफ जस्टिस बनने वाले वह दूसरे दलित जज हैं. शुक्रवार को बतौर जज अंतिम बार सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस गवई ने रविवार को कहा था कि विधेयकों की मंजूरी के वास्ते राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा की व्यवस्था को समाप्त करने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय एक संतुलित फैसला है, क्योंकि संविधान इसकी अनुमति नहीं देता, लेकिन राज्यपाल भी विधेयकों को अनिश्चितकाल तक रोककर नहीं रख सकते. अपने सरकारी आवास पर मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत में जस्टिस गवई ने कहा कि संविधान शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत पर आधारित है और जहां समय-सीमा का उल्लेख नहीं है, वहां अदालत अपने स्तर पर समय-सीमा तय नहीं कर सकती. जस्टिस गवई 23 नवंबर (रविवार) को सेवानिवृत हुए. उन्होंने कहा कि हमने न केवल समयसीमा हटाई है, बल्कि यह कहकर इसे संतुलित भी किया है कि राज्यपाल विधेयकों को अनिश्चितकाल तक नहीं रोक सकते.

राष्ट्रपति द्वारा इस विषय पर परामर्श मांगे जाने पर प्रधान न्यायाधीश रहे बीआर गवई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपनी सर्वसम्मति वाली राय में 20 नवंबर को कहा था कि राज्यपालों द्वारा अनिश्चितकालीन विलंब की सीमित न्यायिक समीक्षा का विकल्प खुला रहेगा. न्यायमूर्ति गवई ने यशवंत वर्मा मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह मुद्दा फिलहाल संसदीय समिति के समक्ष विचाराधीन है.

संतोष कुमार

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...

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First Published :

November 24, 2025, 12:51 IST

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