Last Updated:May 07, 2025, 05:25 IST
India Attack Pakistan PSWS: भारत ने पाकिस्तान पर किए इस हमले में प्रेसिजन स्ट्राइक वेपन सिस्टम यानि PSWS का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना के जेट विमानों की तरफ से किया गया. ये क्या होता है, आइये जानते हैं...

पाकिस्तान पर हमले में PSWS का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना के जेट विमानों की तरफ से किया गया.
हाइलाइट्स
भारत ने पाकिस्तान पर PSWS का इस्तेमाल किया.ऑपरेशन सिंदूर में 9 टारगेट पर एयर स्ट्राइक की गई.PSWS से लक्षित हमले में न्यूनतम अप्रत्यक्ष क्षति होती है.India Attack Pakistan PSWS: भारत ने कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले का बदला ले लिया. देर रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिये भारत ने मिसाइल अटैक से आतंकियों को मिट्टी में मिला दिया. इस हमले में पीओके में 5 और पंजाब प्रांत में 4 जगहों पर एयर स्ट्राइक किया गया. यह पूरी से आतंकियों के खिलाफ लक्षित हमला था. इस तरह पाकिस्तान में कुल 9 टारगेट पर भारत ने स्ट्राइक की. बहावलपुर में जैश का मुख्यालय पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया गया. आतंकी आका मसूद अजहर और हाफिज सईद के मदरसे या कहें तो ठिकाने इसमें पूरी तरह से तबाह, बर्बाद हो गए. इस हमले में प्रेसिजन स्ट्राइक वेपन सिस्टम यानि PSWS का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना के जेट विमानों की तरफ से किया गया, ताकि सिर्फ टागरेटिड जगहों को निशाना बनाया जा सके. आखिर ये पीएसडब्ल्यूएस क्या होता है, चलिए जानते हैं…
दरअसल, प्रेसिजन स्ट्राइक वेपन सिस्टम (PSWS) एक सैन्य हथियार प्रणाली है, जिसे विशेष रुप से दुश्मन के ठिकानों, संपत्तियों या ढांचे को सटीक रूप से टारगेट करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसके साथ ही मकसद Minimal collateral damage यानि न्यूनतम अप्रत्यक्ष क्षति होता है, जिसका मतलब किसी एक्टिविटी या कार्य के दौरान अनजाने में या अप्रत्यक्ष रूप से होने वाले नुकसान को कम से कम करना होता है. ये सिस्टम उच्च सटीकता के साथ अक्सर लंबी दूरी से टारगेटिड लक्ष्यों को हिट करने के लिए एडवांस गाइडेंस टेक्नोलॉजी, निगरानी और लक्ष्यीकरण क्षमताओं को जोड़ते हैं.
इस सिस्टम में टागरेट के कुछ मीटर के भीतर हमला करने के लिए GPS, लेजर, रडार या इन्फ्रारेड गाइडेंस का इस्तेमाल किया जाता है. हाई एक्यूरेसी के साथ सिस्टम अटैक करता है.
कोलाट्रल डैमेज को कम करना : इसका मकसद टारगेट को नेस्तनाबूद करने के साथ ही आसपास के क्षेत्रों या नागरिकों को होने वाले नुकसान को भी सीमित करना होता है. यानि आसपास कम से कम नुकसान हो.
यह एक सेफ दूरी से लॉन्च किया जा सकता है, जिससे ऑपरेटर या लॉन्च प्लेटफ़ॉर्म के लिए जोखिम कम हो जाता है. सैनिकों की जान को कम खतरा होता है. यह अक्सर खुफिया, निगरानी और टोही (ISR) प्रणालियों के साथ काम करता है. इसके जरिये कम समय में लक्ष्य पर हमला किया जाता है.
इसमें इंटेलिजेंस और सर्विलांस से जुड़ाव होता है. इस तरह ये सिस्टम ड्रोन, सैटेलाइट या रडार से मिलने वाली जानकारी से जुड़कर लक्ष्यों की पहचान और हमले की योजना बनाता है.
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