Last Updated:June 10, 2025, 14:22 IST
Donald Trump: लॉस एंजलिस में दंगों के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने नेशनल गार्ड और मरीन तैनात किए, जिसका गवर्नर न्यूजम ने विरोध किया. यह स्थिति भारत में CBI बैन जैसी है, जहां केंद्र-राज्य सरकारों के बीच अक्सर टकराव दिखत...और पढ़ें

अमेरिका के लॉस एंजलिस में भारी हिंसा भड़की है.
हाइलाइट्स
लॉस एंजलिस में ट्रंप ने नेशनल गार्ड तैनात किए.कैलिफोर्निया के गवर्नर ने ट्रंप की तैनाती का विरोध किया.बंगाल और कर्नाटक में CBI की एंट्री पर बैन है.Donald Trump: अमेरिका के लॉस एंजलिस में स्थिति काफी बिगड़ गई है. दंगाइयों ने भारी उत्पात मचा रखा है. इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा नेशनल गार्ड और मरीन की तैनाती का भारी विरोध हो रहा है. यह स्थिति भारत के पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे राज्यों में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की जांच पर लगाए गए प्रतिबंधों की याद दिलाती है. दोनों मामलों में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव और स्वायत्तता का मुद्दा केंद्र में है. रिपोर्ट के मुताबिक लॉस एंजलिस में 6 जून से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) की छापेमारी के खिलाफ हैं, जिसमें 100 से अधिक लोग हिरासत में लिए गए.
ट्रम्प ने 4,000 नेशनल गार्ड सैनिकों और 700 मरीन की तैनाती का आदेश दिया, जिसे कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजम ने अवैध और राज्य की संप्रभुता का उल्लंघन करार दिया है. कुछ ऐसी ही स्थिति भारत में है. पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे विपक्ष शासित राज्यों ने अपने यहां CBI को बिना राज्य की अनुमति के जांच करने से रोक दिया है.
लॉस एंजलिस में तैनाती और विरोध
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार लॉस एंजलिस में प्रदर्शनकारी ICE छापों को लैटीन समुदाय के खिलाफ हमला मानते हैं. प्रदर्शनकारियों ने राजमार्ग अवरुद्ध किए, तमाम कारों में आग लगाई और नारे लगाए. ट्रम्प ने इसे विद्रोह करार देते हुए नेशनल गार्ड को बिना न्यूजम की सहमति के तैनात कर दिया. इससे पहले 1965 में अमेरिका में ऐसी घटना देखी थी. अमेरिका के तमाम जानकार इसे ट्रंप की तानाशाही और सेना को राजनीतिक हथियार बनाने की कोशिश बताया. न्यूजम ने रॉयटर्स के हवाले से कहा कि यह तानाशाही है. उन्होंने ट्रंप के खिलाफ मुकदमा दायर किया. उन्होंने इसे राज्य की स्वायत्तता पर हमला बताया है. इस बीच ट्रंप ने इन्सुरेक्शन एक्ट लागू करने की धमकी है, जो सेना को घरेलू प्रदर्शनों के खिलाफ इस्तेमाल करने की अनुमति देता है.
बंगाल और कर्नाटक में CBI बैन
भारत की बात करें तो अपने यहां भी संघ और राज्यों के बीच शक्तियों के बंटवारे के मुद्दे पर विवाद देखे जाते रहे हैं. कांग्रेस शासित कर्नाटक ने 26 सितंबर 2024 को CBI को सामान्य सहमति वापस ले ली, जबकि पश्चिम बंगाल ने 2018 में ऐसा किया. इन राज्यों का आरोप है कि केंद्र की भाजपा सरकार CBI और ED जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए करती है. तमिलनाडु और केरल ने भी अपने राज्य में सीबीआई की एंट्री पर रोक लगाई है. दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1946 की धारा 6 के तहत CBI को राज्य की सहमति के बिना जांच का अधिकार नहीं है.
दोनों मामलों में केंद्र और राज्य के बीच टकराव साफ है. लॉस एंजलिस में ट्रंप की तैनाती को न्यूजम ने राज्य के अधिकारों पर हमला बताया, जैसे बंगाल और कर्नाटक में सीबीआई बैन को केंद्र के हस्तक्षेप के खिलाफ कदम माना गया. द गार्जियन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप का यह कदम सेना को राजनीतिक हथियार बनाने की कोशिश है, जबकि भारत में विपक्ष सीबीआई को बीजेपी का हथियार बताता है.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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