Last Updated:December 27, 2025, 12:25 IST
पलवल में पांच साल की बच्ची के साथ रेप और फिर उसकी हत्या के दोषी को मिली फांसी की सजा उम्रकैद में बदली. पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने दोषी की मां को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा, मां का बेटे के लिए अंधा प्यार अपराध नहीं है, लेकिन दोषी को बिना छूट के उम्रकैद जरूरी है.
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने रेप और हत्याकांड के दोषी की फांसी को उम्रकैद में बदला, मां को बरी किया.पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने बलात्कार और हत्या के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए दोषी व्यक्ति की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. वहीं उसकी मां को यह कहते हुए बरी कर दिया कि वह केवल अपने ‘राजा बेटे’ को बचाने की कोशिश कर रही थी. अदालत ने साफ कहा कि बेटे के लिए मां का अंधा प्यार नैतिक रूप से भले ही गलत हो, लेकिन इस आधार पर उसे भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधी नहीं ठहराया जा सकता.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अनूप चितकारा की बेंच ने दोषी को पूरी जिंदगी बिना किसी छूट के जेल में रखने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि यह सजा समाज की दूसरी बच्चियों और महिलाओं को दोषी की विकृत मानसिकता से बचाने के लिए जरूरी है. कोर्ट के मुताबिक, इस तरह दोषी को पूरी तरह ‘अक्षम’ कर देना ही न्याय का संतुलित तरीका है.
क्या है पूरा मामला?
यह जघन्य घटना 31 मई 2018 को हरियाणा के पलवल जिले में हुई थी. एक छोटे टेंट कारोबारी की पांच साल की बेटी को उसी के कर्मचारी ने अगवा कर लिया. बच्ची के पिता और आरोपी पास ही टेंट लगाने गए थे. इसी दौरान आरोपी खाना लेने के बहाने बच्ची को साथ ले गया.
बच्ची का पिता जब आराम कर रहा था तभी वह शख्स बच्ची को अपने घर ले गया और उसके साथ बलात्कार किया. इसके बाद सबूत मिटाने की घबराहट में रसोई के चाकू से कई वार कर बच्ची की हत्या कर दी और शव को घर के अंदर एक ड्रम में छिपा दिया, जिसमें उसकी मां आटा रखा करती थी.
सबूतों की मजबूत कड़ी
हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की पूरी श्रृंखला मौजूद है. ग्रामीणों ने आरोपी को बच्ची का हाथ पकड़कर अपने घर की ओर जाते देखा था. आरोपी ने बच्ची के पिता को झूठा बहाना दिया कि उसने बच्ची को छोड़ दिया है. बाद में बच्ची का शव आरोपी के घर से बरामद हुआ. ड्रम और पास पड़े पत्थर पर मिले खून के धब्बे पीड़िता के डीएनए से मेल खाते थे.
हालांकि आरोपी के कपड़ों पर डीएनए या सेमन के ठोस प्रमाण नहीं मिले, लेकिन कोर्ट ने कहा कि इतने मजबूत सबूतों के सामने यह कमी मामले को कमजोर नहीं करती.
कोर्ट ने फिर क्यो टाली फांसी की सजा?
अदालत ने 23 दिसंबर को सुनाए अपने फैसले में कहा कि यह हत्या पूर्व नियोजित नहीं थी, बल्कि बलात्कार के बाद सबूत मिटाने की घबराहट में की गई. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने माना कि ऐसे मामलों में फांसी के बजाय बिना रिहाई की उम्रकैद ही उपयुक्त सजा है.
मां को क्यों मिली राहत?
ट्रायल कोर्ट ने आरोपी की मां को सात साल की सजा सुनाई थी, क्योंकि उसने तलाशी के दौरान ग्रामीणों को घर में घुसने से रोका और बिजली भी बंद कर दी थी. लेकिन हाई कोर्ट ने इसे आपराधिक साजिश मानने से इनकार कर दिया.
कोर्ट ने बेहद तीखी सामाजिक टिप्पणी करते हुए कहा, ‘दुर्भाग्य से हमारे समाज में परिवार के सदस्य, खासकर मांएं, अपने बेटों के प्रति अंधा प्रेम रखती हैं. चाहे बेटा कितना भी अपराधी या खलनायक क्यों न हो, वह उनके लिए ‘राजा बेटा’ ही रहता है. उसका यही एक दोष है कि वह अपने बेटे को बचाना चाहती थी, जिसके लिए उसे आईपीसी के तहत सजा नहीं दी जा सकती.’
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An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
First Published :
December 27, 2025, 12:23 IST

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