Muhammad Yunus vs Jamaat E Islami: बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद अगले साल आम चुनाव होने जा रहे हैं. बावजूद इसके इन चुनावों के स्वतंत्र और निष्पक्ष होने को लेकर लगातार संशय जारी है. इसका सबसे बड़ा कारण वो लोग हैं जिन्होनें तख्तापलट के दौरान मुहम्मद यूनुस की सहायता की थी. वही लोग अब यूनुस के खिलाफ होते नजर आ रहे हैं, जिसके चलते बांग्लादेश में चुनावों से पहले अराजकता के हालात बन गए हैं.
क्यों बन रहे हालात?
दरअसल, बांग्लादेश में चुनावों से पहले यूनुस और जमात द्वारा महत्वपूर्ण पदों पर अपने-अपने लोगों को बैठाने के चलते अंतरिम सरकार और जमात-ए-इस्लामी के बीच दरार दिखाई देने लगी है.विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए साफ संकेत मिल रहा है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होंगे. इतना ही नहीं विशेषज्ञों ने आने वाले महीनों में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और जमात-ए-इस्लामी के बीच हालात और बिगड़ने के सकंते देते हुए देश में फिर से हिंसा भड़कने की पूरी संभावना जताई है.
जमात का चाल यूनुस परेशान
कुछ समय पहले ढाका यूनिवर्सिटी में हुए चुनावों में जमात की भारी जीत ने उसकी स्थिति को मजबूत कर दिया है. इसके बाद से जमात छात्रों के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए बांग्लादेश के सभी विश्वविद्यालयों में अपने लोगों को प्रमुख पदों पर बैठा रही है. इसके पीछे विशेषज्ञ मानते हैं कि बांग्लादेश के युवाओं खासकर छात्रों को कोई भी पार्टी हल्के में नहीं लेगी. क्योंकि, वो जानते हैं कि युवाओं के विरोध प्रदर्शनों ने न केवल बांग्लादेश में बल्कि नेपाल में भी सत्ता परिवर्तन किया है.
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यूनुस के फैसले पर जमात को आपत्ती
जमात-ए-इस्लामी द्वारा अपने वफादारों सदस्यों को सरकारी संस्थानों में भी बड़े पदों पर बैठाने से कई लोगों को हैरानी हो रही है. जमात के इस कदम से कुछ लोगों का मानना है वो चुनाव जीतने में नाकाम होने पर भी बांग्लादेश की सत्ता में बने रहना चाहते हैं. तो वहीं दूसरी ओर जमात ने मुहम्मद यूनुस के द्वारा मुख्य संस्थानों में राजनीतिक नियुक्ति पर वफादार लोगों को बैठाने पर नाराजगी जताई है.

14 hours ago
