Last Updated:December 24, 2025, 16:43 IST
Bihar land purchase rules: बिहार में जमीन खरीदने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. अब जमीन खरीद के लिए केवल जमाबंदी की रसीद ही पर्याप्त होगी. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसे लेकर नई गाइडलाइन जारी कर दी है. इस फैसले से जमीन खरीदने से पहले लगने वाले कागजातों की संख्या कम होगी और आम लोगों को दफ्तरों के अनावश्यक चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.
बिहार: जमीन खरीद में अब सिर्फ जमाबंदी रसीद मान्य, जानें प्रक्रियापटना. बिहार में जमीन खरीद अब सिर्फ जमाबंदी की रसीद से संभव होगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी, फर्जीवाड़े और विवादों पर रोक लग पाएगी. बिहार के उपमुख्यमंत्री और राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा इन दिनों विभागीय कामकाज की लगातार समीक्षा कर रहे हैं. उनका फोकस जमीन से जुड़े मामलों में पारदर्शिता लाने और आम लोगों को वर्षों तक लंबित मामलों से राहत दिलाने पर है. इसी क्रम में विभाग ने जमीन खरीद की प्रक्रिया को डिजिटल और विवाद-मुक्त बनाने के लिए यह अहम निर्णय लिया है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने हाल ही में अपने आधिकारिक एक्स हैंडल के जरिए जानकारी साझा की कि बिहार में जमीन खरीदने के लिए अब सिर्फ जमाबंदी की रसीद ही मान्य दस्तावेज होगी. इसका मतलब यह है कि जमीन खरीदने से पहले अब कई तरह के प्रमाण पत्र जुटाने की बाध्यता नहीं रहेगी. सरकार का मानना है कि इससे फर्जीवाड़े और विवादों पर भी काफी हद तक लगाम लगेगी.
जमीन खरीदने से पहले इन बातों की जांच जरूरी
हालांकि विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जमाबंदी की रसीद के आधार पर खरीद तो होगी, लेकिन खरीदार को कुछ जरूरी बातों की खुद जांच करनी होगी. सबसे पहले यह देखना जरूरी है कि जमीन की जमाबंदी ऑनलाइन है या नहीं. इसके लिए खरीदार www.biharbhumi.bihar.gov.in पोर्टल पर जाकर ‘जमाबंदी देखें’ विकल्प का उपयोग कर सकते हैं.
खेसरा नंबर और रकबा की जांच जरूरी
दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि ऑनलाइन जमाबंदी में जमीन का खेसरा नंबर और पूरा रकबा सही तरीके से दर्ज है या नहीं. अगर खेसरा या क्षेत्रफल में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो भविष्य में कानूनी विवाद खड़ा हो सकता है. इसलिए खरीद से पहले इन विवरणों का मिलान जरूरी बताया गया है.
विजय कुमार सिन्हा के नेतृत्व में बिहार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जमीन खरीद प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए नई व्यवस्था लागू की है.
विक्रेता के नाम पर जमाबंदी अनिवार्य
तीसरी अहम शर्त यह है कि जमीन की जमाबंदी विक्रेता के ही नाम पर दर्ज हो. अगर जमीन संयुक्त है और विक्रेता के नाम पर पूरी जमाबंदी नहीं है, तो यह जांचना जरूरी होगा कि सभी हिस्सेदारों की लिखित सहमति उपलब्ध है या नहीं. बिना सहमति के की गई खरीद आगे चलकर विवाद का कारण बन सकती है.
पटना जिले से शुरू हुआ डिजिटल सुधार अभियान
पटना जिले में चल रहे राजस्व महाभियान को और प्रभावी बनाने के लिए विभाग ने कई तकनीकी सुधार लागू किए हैं. डिजिटाइज्ड जमाबंदी में त्रुटि सुधार, छूटी हुई जमाबंदी को ऑनलाइन करना और बंटवारा व नामांतरण से जुड़े आवेदनों को अब सीधे विभागीय पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है.
31 दिसंबर तक 1.20 लाख आवेदनों का लक्ष्य
बता दें कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने 31 दिसंबर तक करीब 1.20 लाख आवेदनों की स्कैनिंग और अपलोडिंग का लक्ष्य तय किया है. सभी अंचल अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर तय समयसीमा में काम पूरा करें. विभाग का मानना है कि इसके बाद जमीन से जुड़े सभी आवेदन पूरी तरह ऑनलाइन मोड में आ जाएंगे.
आम लोगों को होगा सीधा फायदा
इस नई व्यवस्था से आम लोगों को बड़ा लाभ मिलेगा. जमीन खरीद-बिक्री से जुड़े मामलों में पारदर्शिता बढ़ेगी, भ्रष्टाचार और देरी कम होगी और लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. अगर यह व्यवस्था प्रभावी ढंग से लागू होती है, तो बिहार में जमीन सुधार के क्षेत्र में यह एक ऐतिहासिक बदलाव साबित हो सकता है.
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First Published :
December 24, 2025, 16:43 IST

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