बैंकों पर आने वाली है मुसीबत! छोटे-मझोले उद्यम नहीं चुका पाएंगे अपना कर्ज

2 weeks ago

Last Updated:October 07, 2025, 06:41 IST

Tariff Effect : रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि अमेरिका के टैरिफ लगाने की वजह से भारतीय बैंकों के सामने एनपीए की समस्‍या एक बार फिर आ सकती है. छोटे और मझोले उद्यम अपना कर्ज चुकाने में अक्षम हो सकते हैं.

बैंकों पर आने वाली है मुसीबत! छोटे-मझोले उद्यम नहीं चुका पाएंगे अपना कर्जटैरिफ की वजह से बैंकों पर एनपीए का बोझ बढ़ सकता है.

नई दिल्‍ली. अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के टैरिफ वॉर की वजह से भारतीय बैंकों के सामने नई मुसीबत खड़ी होने वाली है. घरेलू र‍ेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने आशंका जताई है कि टैरिफ की वजह से भारत के छोटे-मझोले उद्यमों के सामने कर्ज चुकाने की समस्‍या आ सकती है. इसका असर बैंकों की कर्ज वसूली पर पड़ सकता है. क्रिसिल ने कहा कि इस वजह से बैंकों के सामने एनपीए बढ़ने की समस्‍या आ सकती है, क्‍योंकि टैरिफ की वजह से छोटे उद्यमों की कमाई पर असर पड़ेगा और वह कर्ज चुकाने में अक्षम हो सकते हैं.

क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बैंकों द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को दिए गए ऋण से जुड़ी सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) वित्तवर्ष 2025-26 के अंत तक मामूली रूप से बढ़कर लगभग 3.9 प्रतिशत हो सकती हैं. क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा कि इन गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एपीए) में वृद्धि मुख्य रूप से अमेरिका के भारतीय निर्यात पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क के चलते होगी. पिछले कुछ समय से सरकार की कोशिशों से एनपीए घटाने में मदद मिली है, लेकिन एक बार फिर इसमें उछाल की आशंका दिख रही है.

कितना है अभी बैंकों का एनपीए
गौरतलब है कि इस क्षेत्र का कुल एनपीए, जो बैंकिंग प्रणाली के बकाया कर्ज का 17 प्रतिशत है, वित्तवर्ष 2024-25 के अंत में 3.59 प्रतिशत रहा था. एजेंसी की निदेशक सुभा श्री नारायणन ने कहा कि हमारा अनुमान है कि चालू वित्तवर्ष में एमएसएमई क्षेत्र के एनपीए में मामूली वृद्धि होगी, जो 3.7-3.9 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका के शुल्कों में भारी वृद्धि करने के चलते होगा.

किस सेक्‍टर में सबसे ज्‍यादा समस्‍या
नारायणन ने कहा कि ये शुल्क कपड़ा, परिधान और कालीन, रत्न एवं आभूषण, झींगा और प्रसंस्कृत समुद्री खाद्य पदार्थ और रसायन उद्योग के कुछ क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे. इसका मतलब है कि इन सेक्‍टर्स से जुड़ी कंपनियों पर टैरिफ का सबसे ज्‍यादा असर दिखेगा और बैंकों का एनपीए भी इन्‍हीं सेक्‍टर्स से जुड़ा हो सकता है. हालांकि, अन्‍य सेक्‍टर पर भी इसका असर पड़ेगा, लेकिन अमेरिका को सबसे ज्‍यादा निर्यात इन सेक्‍टर्स की कंपनियों से ही होता है. लिहाजा इनके कर्ज के एनपीए होने की आशंका ज्‍यादा रहेगी.

क्‍यों लगाया है ट्रंप ने टैरिफ
डोनाल्‍ड ट्रंप ने अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए भारत सहित दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगा दिया है. हालांकि, रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर 25 फीसदी ज्‍यादा टैरिफ लगाया गया है. इस तरह भारत से जाने वाले निर्यात पर 50 फीसदी टैरिफ हो गया है, जो किसी भी अन्‍य देश के मुकाबले सबसे ज्‍यादा है. यही वजह है कि भारतीय निर्यात कंपनियों पर इसका असर भी सबसे ज्‍यादा दिख रहा है. माना जा रहा है कि करीब 60 अरब डॉलर के निर्यात पर टैरिफ का असर दिख सकता है.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

October 07, 2025, 06:41 IST

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