ब्रह्मोस से ताकतवर 'ब्रह्मास्‍त्र'! दुश्‍मन के जोन में एंटर किए बिना तबाही

1 week ago

Last Updated:August 14, 2025, 05:46 IST

DRDO SAAW Project: DRDO एक ऐसे प्रोजेक्‍ट पर काम कर रहा है, जिससे राफेल और Su-30MKI जैसे फाइटर जेट को नई ताकत मिलेगी. यह नया अपग्रेडेड वेपन दुश्‍मन के डिफेंस जोन में गए बिना ही तबाही लाने में सक्षम होगा.

ब्रह्मोस से ताकतवर 'ब्रह्मास्‍त्र'! दुश्‍मन के जोन में एंटर किए बिना तबाहीडीआरडीओ SAAW को अपग्रेड कर रहा है, जिससे इसकी रेंज दोगुनी से भी ज्‍यादा हो जाएगी. इसे राफेल और Su-30MKI में इंटीग्रेट किया जाएगा, जिससे इनकी ताकत काफी बढ़ जाएगी.

DRDO SAAW Project: भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अपने स्वदेशी स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन (SAAW) को एक नए जेट-पावर्ड वेरिएंट में अपग्रेड करने की दिशा में कदम बढ़ाया है. यह वर्जन एक प्रिसिजन ग्लाइड बम से बदलकर मिनी एयर-लॉन्च्ड क्रूज़ मिसाइल के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसकी क्षमताएं मौजूदा मॉडल से कहीं अधिक होंगी. यह प्रोजेक्‍ट भारत की उन्नत प्रिसिजन स्ट्राइक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है और आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप डिफेंस सिस्‍टम में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मजबूत कदम है. कुछ मायनों में यह ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से भी ज्‍यादा खतरनाक है.

नए वेरिएंट में कॉम्पैक्ट टर्बोजेट इंजन और इंटीग्रेटेड फ्यूल टैंक लगाया जाएगा, जिससे यह हथियार ग्रैविटी-आधारित ग्लाइड से आगे बढ़कर पूरी उड़ान में खुद प्रोपल्शन के जरिए ऑपरेट होगा. इसकी मारक क्षमता 100 किलोमीटर से बढ़कर 200 किलोमीटर से अधिक हो जाएगी. बढ़ी हुई रेंज इंडियन एयरफोर्स को दुश्मन के एयर डिफेंस जोन में प्रवेश किए बिना सुरक्षित दूरी से निशाना साधने में मदद करेगी. इस वेरिएंट की लंबाई करीब 2.5 मीटर होगी, जो मौजूदा 1.8 मीटर SAAW से लंबी है. अतिरिक्त आकार में इंजन और फ्यूल सिस्‍टम को फिट किया जाएगा, जबकि एयरोडायनामिक दक्षता बरकरार रखी जाएगी.

DRDO जिस वेपन को अपग्रेड कर रहा है, उसे१ Sukhoi Su-30MKI फाइटर जेट में भी इंटीग्रेट किया जाएगा. (फोटो: एपी)

एडवांस्ड गाइडेंस और IIR सीकर

SAAW के नए संस्‍करण में एडवांस्ड इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल (EO) सीकर और इमेजिंग इन्फ्रारेड (IIR) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जो ‘फायर-एंड-फॉरगेट’ क्षमता प्रदान करेगी. इसका मतलब है कि हथियार लॉन्च के बाद खुद लक्ष्य को खोजकर सटीक वार करेगा. IIR सीकर मौजूदा सैटेलाइट और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम की तुलना में अधिक सटीकता देगा, जिससे यह दिन-रात, खराब मौसम और मोबाइल टार्गेट पर भी प्रभावी रहेगा. DRDO पहले भी नाग एंटी-टैंक मिसाइल और एयर डिफेंस सिस्टम में इस तकनीक का सफल इस्तेमाल कर चुका है. इस तकनीक से हथियार की सटीकता (CEP) तीन मीटर से भी कम हो जाएगी.

मल्टी-प्लेटफॉर्म क्षमता

जेट-पावर्ड SAAW को सुखोई-30MKI, राफेल समेत कई वायुसेना प्लेटफॉर्म पर इंटीग्रेट किया जाएगा. सुखोई-30MKI प्राथमिक लॉन्च प्लेटफॉर्म रहेगा, जो इंडिजिनस स्मार्ट क्वाड रैक सिस्टम के जरिए एक साथ कई SAAW ले जा सकता है. इससे दुश्मन के एयरफील्ड, रनवे, रडार और अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों पर एक साथ बड़े पैमाने पर हमला संभव होगा. 200 किलोमीटर से अधिक रेंज होने के कारण लॉन्चिंग एयरक्राफ्ट ज्यादातर सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (SAM) की पहुंच से बाहर रहेंगे, जिससे पायलट और विमान की सुरक्षा बढ़ेगी.

SAAW के अपग्रेडेड वर्जन से राफेल जेट भी ताक‍तवर बनेगा. (फोटो: एपी)

रणनीतिक महत्व

यह विकास भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को मजबूती देगा और विदेशी हथियारों पर निर्भरता घटाएगा. साथ ही, यह हथियार दुश्मन की वायु शक्ति को शुरुआती चरण में ही निष्क्रिय करने में सक्षम होगा, जो भविष्य के किसी भी वायु अभियान के परिणाम को प्रभावित कर सकता है.

परीक्षण और भविष्य

नए वेरिएंट के ट्रायल साल 2025 के अंत तक होने की संभावना है, जिसमें अलग-अलग मौसम और दिन-रात की परिस्थितियों में रेंज, सटीकता और विश्वसनीयता की जांच होगी. सफल परीक्षण के बाद इसका उत्पादन शुरू होगा. इस विकास के साथ, भारत उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा जिनके पास उन्नत एयर-लॉन्च्ड क्रूज़ मिसाइल तकनीक है, और DRDO को एक विश्वस्तरीय रक्षा तकनीक डेवलपर के रूप में और मजबूती मिलेगी.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 14, 2025, 05:44 IST

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