भारत इस बिजनेस में देगा दुनिया को टक्‍कर, अभी 95 फीसदी चीन पर है निर्भर

7 hours ago

Last Updated:August 04, 2025, 12:17 IST

Container Business in India : भारत में कंटेनर बिजनेस को बढ़ाने के लिए सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसके लिए ग्‍लोबल एजेंसियों को हायर किया गया है, जो कारोबार बढ़ाने और ग्‍लोबल कंपनियों से मुकाबला करने के ...और पढ़ें

भारत इस बिजनेस में देगा दुनिया को टक्‍कर, अभी 95 फीसदी करता है आयातभारत अपनी जरूरत का 95 फीसदी कंटेनर आयात करता है.

हाइलाइट्स

भारत में कंटेनर बिजनेस को बढ़ाने की तैयारी शुरू.भारत का कंटेनर बिजनेस 25 अरब डॉलर का, 2030 तक 40 अरब डॉलर का अनुमान.भारत हर साल 50 हजार से 1 लाख कंटेनर आयात करता है.

नई दिल्‍ली. ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत सरकार लगातार विनिर्माण को बढ़ावा देने में लगी है. इसकी अगली कड़ी में एक ऐसे बिजनेस को बड़ा बनाने की तैयारी है, जिस पर भारत ने कभी ध्‍यान ही नहीं दिया. शिपिंग कंटेनर बनाने के इस बिजनेस को अब बड़ा करने पर जोर दिया जा रहा है और भारत ने इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी है. शिपिंग कंटेनर बिजनेस को बड़ा बनाने के लिए सरकार ने ग्‍लोबल एजेंसियों से सलाह भी मांगी है. अभी भारत का शिपिंग कंटेनर बिजनेस कितना बड़ा है और इसे लेकर क्‍या रोडमैप बनाया जा रहा है.

पिछले दिनों कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि देश की सबसे बड़ी कंटेनर कंपनी कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटे यानी CONCOR इस योजना की अगुवाई कर रही है. कंपनी ने शिपिंग कंटेनर बिजनेस को बड़ा बनाने के लिए Ernst & Young, KPMG और PwC जैसी ग्‍लोबल एजेंसियों से सलाह लेनी शुरू कर दी है. इन एजेंसियों से ग्‍लोबल बिजनेस का मुकाबला करने के लिए रोडमैप बनाने और उसके लिए जरूरी संसाधनों की जानकारी जुटाने के लिए कहा गया है.

कितना बड़ा है भारत का कंटेनर बिजनेस
भारत का कंटेनर बिजनेस अभी करीब 25 अरब डॉलर का है, जिसके साल 2030 तक बढ़कर 40 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान है. देश के निर्यात को बढ़ावा देने के साथ भारत ही भारत को कंटेनर बिजनेस को भी बढ़ावा होगा, क्‍योंकि अभी वह ज्‍यादातर विदेशी कंपनियों पर निर्भर है. भारत की सबसे बड़ी कंटेनर कंपनी CONCOR के पास करीब 37 हजार कंटेनर हैं, जिसमें 20 से 40 फुट वाले कंटेनर शामिल हैं. इसकी कुल क्षमता करीब 60 हजार टीटीयू (20 फुट इक्‍यूवैलेंट यूनिट) है. हालांकि, यह कंपनी कंटेनर हैंडलिंग बिजनेस में है. शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) की क्षमता करीब 1 लाख टीटीयू की है, जबकि लैंसर कंटेनर लाइन्स लिमिटेड की क्षमता भी 20 से 30 हजार टीटीयू तक हो सकती है. अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (APSEZ) के पास भी कुछ कंटेनर हैं, लेकिन कुल कंटेनर की क्षमता देखी जाए तो भारत के पास महज 2 से 3 लाख टीटीयू कंटेनर ही हैं, जो दुनिया के मुकाबले काफी कम है.

कितनी क्षमता का कंटेनर संभालता है भारत
भारतीय शिपिंग कंपनियों के पास खुद के कंटेनर भले ही न हों, लेकिन भारतीय बंदरगाहों की कंटेनर संभालने की क्षमता करीब 2.6 करोड़ टीटीयू की है. जाहिर है कि उसे ज्‍यादातर कंटेनर बाहर से ही मंगाने पड़ते हैं. फिलहाल भारत में कोई भी ऐसी स्‍वदेशी कंपनी नहीं है, जो ग्‍लोबल लेवल पर शिपिंग लाइन को संभालती हो. दुनिया के सबसे बड़े शिपिंग कंटेनर उत्‍पादक देशों की बात करें तो स्विटरलैंड, चीन, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के नाम आते हैं.

हर साल कितना कंटेनर मंगाता है भारत
भारत का निर्यात जैसे-जैसे बढ़ रहा है, उसकी कंटेनर की जरूरत भी बढ़ती जा रही है. मौजूदा अनुमान के मुताबिक, भारत हर साल 50 हजार से 1 लाख कंटेनर बाहर से मंगाता है. इसमें से भी 99 फीसदी कंटेनर वह चीन से मंगा रहा है. इसकी वजह ये है कि चीन के कंटेनर सस्‍ते होते हैं और उन्‍हें मंगाना भी आसान होता है. भारत में अभी APPL Containers, DCM Hyundai और कल्याणी कास्ट टेक जैसी कंपनियों ने कंटेनर निर्माण शुरू किया है, लेकिन उनकी कुल क्षमता 15,000-20,000 कंटेनर प्रतिवर्ष है, जो बढ़ती डिमांड के आगे काफी कम है.

कितने का आता है एक कंटेनर
कंटेनर आयात पर आने वाली लागत की बात करें तो 20 फुट वाले कंटेनर की क्षमता 1 टीटीयू होती है, उसे मंगाने पर करीब 2,085 डॉलर (करीब 1.80 लाख रुपये) का खर्चा आता है. 40 फुट वाले कंटेनर, जिसकी क्षमता करीब 2 टीटीयू की होती है, उसे मंगाने पर 2,350 डॉलर (2 लाख रुपये से ज्‍यादा) का खर्चा आता है. रेफ्रिजरेटर वाले कंटेनर की कीमत इससे कहीं ज्‍यादा होती है. इन कंटेनर का इस्‍तेमाल दवाओं और खाने-पीने की चीजों के निर्यात में किया जाता है. 40 फुट यानी 2 टीटीयू की क्षमता वाले इस कंटेनर को मंगाने पर करीब 844 डॉलर (करीब 7.50 लाख रुपये) का खर्चा आता है.

क्‍या है भारत की सबसे बड़ी चुनौती
कंटेनर उत्‍पादन बढ़ाने में भारत की सबसे बड़ी चुनौती इसकी लागत है. चीन से जहां 20 फुट का कंटेनर 2 लाख रुपये से भी कम में आ जाता है, वहीं भारत में इसके उत्‍पादन की लागत दोगुनी हो जाती है. कंटेनर उत्‍पादन के लिए कॉर्टन स्‍टील की जरूरत होती है, जिसमें जंग नहीं लगता. भारत में कॉर्टन स्‍टील बनाने में 80 हजार से 1 लाख रुपये प्रति टन का खर्चा आता है. इस लिहाज से सिर्फ स्‍टील की लागत ही 20 फुट के लिए 3 से 4 लाख रुपये हो जाती है और 40 फुट के लिए 4 से 6 लाख रुपये. इसके अलावा फर्श जो प्‍लाईवुड या बांस से बनाया जाता है, पेंट और लॉकिंग सिस्‍टम पर भी प्रति कंटेनर 50 हजार से 1 लाख का खर्चा आता है. उस पर से लेबर कॉस्‍ट भी प्रति कंटेनर 30 हजार से 50 हजार रुपये होती है. मशीनरी आदि पर भी 10 से 20 हजार रुपये प्रति कंटेनर की लागत आती है. इसके अलावा पानी, बिजली व अन्‍य सुविधाओं पर भी 5 से 10 हजार प्रति कंटेनर और लॉजिस्टिक्‍स पर 10 से 20 हजार प्रति कंटेनर जबकि इसके सर्टिफिकेशन पर प्रति कंटेनर 5 से 15 हजार रुपये की लागत आती है. इस तरह

भारत में कंटेनर बनाने पर कितनी लागत
ऊपर दिए गए आंकड़ों के हिसाब से देखें तो भारत में कंटेनर उत्‍पादन की लागत आयात के मुकाबले दोगुनी से भी ज्‍यादा आती है. 20 फुट के कंटेनर को बनाने में करीब 5 से 6 लाख खर्जा आता है तो 40 फुट का कंटेनर बनाने में 7 से 8 लाख रुपये का खर्चा आने का अनुमान है. रेफ्रिजरेटर वाले कंटेनर को बनाने में करीब 15 से 25 लाख रुपये का खर्चा आता है. इन कंटेनर में रेफ्रिजरेटर यूनिट और इन्‍सुलेशन लगाया जाता है, जिससे इनकी लागत काफी बढ़ जाती है. अगर उत्‍पादन को बढ़ाया जाए और कॉर्टन स्‍टील का उत्‍पादन बढ़ाया जाए तो कंटेनर की लागत 20 से 30 फीसदी तक घटाई जा सकती है.

किन देशों से होगा मुकबला
भारत को कंटेनर बिजनेस में आगे बढ़ने के लिए दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर उत्‍पादक चीन से मुकाबला करना होगा. चीन अभी दुनिया के कुल कंटेनर उत्‍पादन का करीब 95 फीसदी बनाता है. इसके अलावा दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और यूरोपीय देश भी कंटेनर का उत्‍पादन करते हैं. सबसे बड़ी कंटेनर कंपनियों की बात करें तो मेडिटेरेनियन शिपिंग कंपनी (MSC) अग्रणी है. इसका मुख्‍यालय जिनेवा (स्विटजरलैंड) में है, जिसका ग्‍लोबल उत्‍पादन में 19.9 फीसदी हिस्‍सा है. एपी मोलर-मार्स्‍क दूसरी सबसे बड़ी कंटेनर उत्‍पादन कंपनी है, जो ग्‍लोबल उत्‍पादन का 14 फीसदी बनाती है. इसका मुख्‍यालय कोपेनहेगन (डेनमार्क) में है. CMA CGM ग्रुप का एशिया और यूरोप में दबदबा है और यह तीसरी सबसे बड़ी कंटेनर विनिर्माण कंपनी है. इसके अलावा कुछ और बड़ी कंपनियों में COSCO शिपिंग, हापाग-लॉयड, Ocean Network Express, एवरग्रीन मरीन कॉर्पोरेशन, Hyundai Merchant Marine, यांग मिंग मरीन ट्रांसपोर्ट और चाइना शिपिंग कंटेनर लाइन्स शामिल हैं.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 04, 2025, 12:17 IST

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