भारत की तरकश में ब्रह्मोस से ताकतवर एक और ब्रह्मास्‍त्र, S-500-आयरन डोम फेल

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Last Updated:June 18, 2025, 10:57 IST

DRDO Project Vishnu: दुनिया में जिस तेजी से हालात बदल रहे हैं, भारत के लिए डिफेंस सिस्‍टम को मजबूत और उसे अपग्रेड कराना काफी जरूरी हो गया है. डीआरडीओ का प्रोजेक्‍ट विष्‍णु उस दिशा में अहम कदम है.

भारत की तरकश में ब्रह्मोस से ताकतवर एक और ब्रह्मास्‍त्र, S-500-आयरन डोम फेल

भारत कटिंग एज हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल डेवलप कर रहा है, जिसकी जल्‍द ही टेस्टिंग की जाएगी. (सांकेतिक तस्‍वीर)

हाइलाइट्स

भारत प्रोजेक्‍ट विष्‍णु के तहत अल्‍ट्रा मॉडर्न क्रूज मिसाइल डेवलप किया हैहाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल की रफ्तार 11000 किलोमीटर प्रति घंटा है इंडिया अब अमेरिका, रूस और चीन के कल्‍ब में शामिल हो गया है

DRDO Project Vishnu: इजरायल-ईरान सैन्‍य टकराव के चलते दुनिया इस वक्‍त दो धड़ों में बंट चुकी है. इजरायल की तरफ अमेरिका के साथ ही अन्‍य पश्चिमी ताकतें खुलकर सामने आ चुकी हैं तो दूसरी तरफ ईरान को चीन और रूस जैसे देशों का समर्थन हासिल है. वहीं, भारत का कुछ सप्‍ताह पहले ही पाकिस्‍तान के साथ सैन्‍य झड़प हुई थी. तुर्की जैस देशों ने खुलकर आतंकवाद का साथ देते हुए पाकिस्‍तान को सपोर्ट किया था. लगातार बदलते जियोपॉलिटिकल हालात को देखते हुए भारत के लिए अपने डिफेंस सिस्‍टम को अपडेट करते हुए उसे मजबूत करना समय की मांग है. भारत भी इसे अच्‍छी तरह समझता है. यही वजह है कि फाइटर जेट से लेकर ड्रोन और मिसाइल सिस्‍टम को लगातार अपग्रेड कर नए-नए वेपन तैयार किए जा रहे हैं. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) इस दिशा में लगातार काम कर रहा है. ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल, अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल, आकाश एयर डिफेंस सिस्‍टम आदि इसी सजगता और सतर्कता का परिणाम है. अब DRDO एक और क्रूज मिसाइल का परीक्षण करने की तैयारी कर रहा है, जो ब्रह्मोस से भी ज्‍यादा घातक है. इसके साथ ही भारत अब गिनेचुने देशों की लिस्‍ट में आ गया है, जिसके पास हाइरपसोनिक क्रूज मिसाइल डेवलप करने की टेक्‍नोलॉजी है. DRDO ने इसे प्रोजेक्‍ट विष्‍णु का नाम दिया है.

भारत ने मिलिट्री टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है. DRDO ने एक्‍सटेंडेड ट्रेजेक्‍टरी लॉन्‍ग ड्यूरेशन हाइपरसोनिक मिसाइल (ET-LDHCM) डेवलप की है. जानकारी के अनुसार, ET-LDHCM को जल्‍द ही लॉन्‍च करने की तैयारी है. प्रोजेक्‍ट विष्‍णु के तहत ET-LDHCM खासकर पाकिस्‍तान पर भारत की सामरिक बढ़त को और पुष्‍ट करेगा. इसके जरिये चीन को भी काउंटर बैलेंस किया जा सकेगा. ET-LDHCM दुश्‍मन की मांद में घुसकर उसे तबाही का मंजर दिखाने में सक्षम है. हाइपरसोनिक स्‍पीड और प्रीसाइज अटैक की कैपेबिल‍िटी इसे ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से भी ज्‍यादा घातक और खतरनाक बनाती है. ET-LDHCM रेंज के मामले में भी मौजूदा ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से कहीं ज्‍यादा प्रभावी और मारक है. खास बात यह है कि स्‍क्रैमजेट इंजन से लैस ET-LDHCM को पूरी तरह से देसी तकनीक की मदद से डेवलप किया गया है. अल्‍ट्रा मॉडर्न इंजन होने की वजह से इस क्रूज मिसाइल की रफ्तार सामान्‍य मिसाइल से कहीं ज्‍यादा होने वाली होगी.

प्रोजेक्‍ट विष्‍णु के तहत डेवलप ET-LDHCM मिसाइल को जल्‍द ही लॉन्‍च किया जाएगा. (सांकेतिक तस्‍वीर)

ब्रह्मोस से तीन गुना ज्‍यादा रफ्तार

किसी भी वेपन की मुख्‍य विशेषता उसकी रफ्तार, रेंज और मारक क्षमता होती है. ET-LDHCM इन तीनों क्षमताओं से लैस है. स्‍वदेशी तकनीक के दम पर डेवलप ET-LDHCM में मॉडर्न स्‍क्रैमजेट इंजन का इस्‍तेमाल किया गया है. मिसाइल या फिर जेट को हाइपरसोनिक बनाने के लिए स्‍क्रैमजेट इंजन का इस्‍तेमाल किया जाता है. डीआरडीओ ने ET-LDHCM को स्‍क्रैमजेट इंजन के साथ डेवलप किया है. स्‍क्रैमजेट इंजन एयर-ब्रीदिंग इंजन कॉन्‍सेप्‍ट पर आधारित होता है. इसमें घूमने वाले कॉम्‍प्रेसर का इस्‍तेमाल नहीं किया जाता है, बल्कि अंदर वाली हवा का कॉम्‍ब्‍यूशन (जलने के लिए) के तौर पर इस्‍तेमाल किया जाता है. यही वजह है कि स्‍क्रैमजेट इंजन ज्‍यादा रफ्तार पैदा करने में सक्षम होता है. डीआरडीओ की ओर से डेवलप ET-LDHCM मैक-8 यानी तकरीबन 11000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से टारगेट की तरफ मूव करने में सक्षम है. यानी कुछ ही मिनट में पूरे पाकिस्‍तान में एक साथ हमला किया जा सकता है. बता दें कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल मैक-3 पर ट्रैवल करती है यानी इसकी गति 3675 प्रति घंटा है.

ET-LDHCM एक्‍सट्रीम हीट कंडीश्‍न में भी अपने लक्ष्‍य को पूरा करने में सक्षम है. ET-LDHCM 2000 ड‍िग्री सेल्सियस तापमान में भी सामान्‍य तरीके से काम कर सकता है. बता दें कि यह टेक्‍नोलॉजी अभी तक सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन के ही पास है.

1500 किलोमीटर रेंज

ET-LDHCM रफ्तार के साथ ही रेंज में भी मौजूदा ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से आगे है. शुरुआत में ब्रह्मोस की गति 290 किलोमीटर थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 400-450‍ किलोमीटर किया गया. वहीं, ET-LDHCM की रेंज 1500 किलोमीटर है. इस तरह ET-LDHCM रेंज के मामले में भी ब्रह्मोस से 3 गुना से ज्‍यादा शक्तिशाली है. ET-LDHCM 1000 से 2000 किलोग्राम वॉरहेड ले जाने में सक्षम है. यह मॉडर्न मिसाइल कन्‍वेंशनल (यानी पारंपरिक) के साथ न्‍यूक्लियर वॉरहेड के साथ टारगेट को हिट करने में सक्षम है. ET-LDHCM को डीआरडीओ ने इस तरह से डेवलप किया है कि वह कम ऊंचाई पर भी ट्रैवल करने में सक्षम है. इस वजह से ET-LDHCM रडार को आसानी से बायपास कर सकता है.

ET-LDHCM की खासियत से इस बात का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह ब्रह्मोस से भी ज्‍यादा एडवांस और ताकतवर होगी. (पीटीआई/फाइल फोटो)

जल-थल-नभ कहीं से भी लॉन्‍च

ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी ET-LDHCM की खास और प्रमुख विशेषता है. इसे जमीन, हवा या फिर समंदर कहीं से भी लॉन्‍च किया जा सकता है. यह भारत की सामरिक और रणनीतिक पहुंच की क्षमता को और मजबूत करता है. पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों के विपरीत ET-LDHCM की इलाके की भौगोलिक स्थिति के अनुसार ट्रैवल करने और उड़ान के बीच में अपना रास्ता बदलने की क्षमता दुश्मन के लिए कहर से कम नहीं है. इसके जरिये दुश्‍मनों के ठिकानों को ध्‍वस्‍त करते हुए गहरी चोट पहुंचाना काफी आसान हो जाएगा. 11 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार और 1500 किलोमीटर की रेंज ET-LDHCM को और खतरनाक बनाती है.

2000 डिग्री सेल्सियस तापमान सहने में सक्षम

रेंज और स्‍पीड के साथ ही एक और ऐसी खासियत है जो किसी भी मिसाइल या फिर फाइटर जेट को बेहतरीन और खतरनाक बनाती है. कोई मिसाइल या फाइटर जेट कितना टेम्‍प्रेचर झेल सकता है, इसके आधार पर भी उसकी क्षमताओं का विश्‍लेषण किया जाता है. ET-LDHCM एक्‍सट्रीम हीट कंडीश्‍न में भी अपने लक्ष्‍य को पूरा करने में सक्षम है. जानकारी के अनुसार, ET-LDHCM 2000 ड‍िग्री सेल्सियस तापमान में भी सामान्‍य तरीके से काम करने में सक्षम है. बता दें कि यह टेक्‍नोलॉजी अभी तक सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन के ही पास है. ET-LDHCM का परीक्षण सफल रहने पर भारत इस क्‍लब का चौथा देश बन जाएगा.

Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

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